मध्यप्रदेश

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लोकसेवकों को डीए देने में पड़ोसी प्रांतों से पिछड़ी मप्र सरकार : बीके गोयल

कोलारस - प्रदेश के अधिकारी कर्मचारियों के साथ जिस प्रकार अन्याय किया जा रहा है उससे अधिकारी कर्मचारियों एवं पेंशनभोगियों में आक्रोश की स्थिति निर्मित हो रही है। प्रदेश के पड़ोसी प्रांतों उत्तरप्रदेश, राजस्थान, गुजरात, बिहार में केन्द्र के समान 28 प्रतिशत डीए दिया जा रहा है, जबकि मप्र सरकार केवल 12 प्रतिशत ही दे रही है। डीए देने में पड़ोसी राज्यों से मध्यप्रदेश सरकार पिछड़ गई है। अधिकारी कर्मचारियों के अधिकारों का हनन करना अन्यायपूर्ण रवैया है। यह बात अधिकारी कर्मचारी संयुक्त मोर्चा कोलारस के संरक्षक तथा पेंशनर संघ के संभागीय सचिव बीके गोयल ने कही। उन्होंने कहा कि वर्तमान में लगातार बेतहाशा मंहगाई बढ़ रही है तथा डीए न मिलने से लोकसेवक अपने आपको ठगा सा महसूस कर रहा है। सरकार अपने विधायकों के वेतन भत्ते बढ़ाने में किसी प्रकार की अड़चनें पैदा नहीं करती है जबकि लोकसेवकों के साथ दोहरा व्यवहार किया जाता है। आखिर लोकसेवकों की खामोशी कब तक सरकार संभाल सकती है। पड़ोसी राज्यों ने कोविड से सामान्य हालात होने पर अपने कर्मचारियों को केन्द्र के समान डीए दे दिया, लेकिन मप्र सरकार 16 प्रतिशत डीए देने के मूड़ में दिखाई नहीं दे रही है। कमलनाथ सरकार ने जाते-जाते प्रदेश के कर्मचारियों को 5 प्रतिषत डीए दिया था, लेकिन शिवराज सरकार ने खजाना खाली होने का रोना रोकर उसे भी स्थगित कर दिया था। कोरोना संकट के समय सरकार ने डीए पर रोक लगाकर खजाना खाली होने का बहाना बनाया था। मुख्यमंत्री का कहना था कि कोविड काल खत्म होते ही कर्मचारियों का पाई-पाई का हिसाब कर दिया जावेगा, चिंतित न हों। बेतहाशा बढ़ती मंहगाई के समय कर्मचारियों की सुविधाओं में होने वाली कटौती से उनकी स्थिति अब बर्दाश्त से बाहर है अभी तक कर्मचारी कोविड के चलते खामोश थे लेकिन अब कर्मचारी शांत नहीं रहेगा। दो वर्षों से चुप्पी साधे बैठे विभिन्न कर्मचारी संगठन अधिकारी कर्मचारी संयुक्त मोर्चा के तले प्रदेश सरकार को इस मुद्दे पर घेरने की तैयारी कर रहे हैं। अधिकारी कर्मचारी संयुक्त मोर्चा कोलारस के ब्लॉक अध्यक्ष मनोज कुमार कोली ने बताया कि कोविड के समय राज्य के लोकसेवकों द्वारा अपनी क्षमतानुसार तन मन धन से हर संभव मदद करने की कोशिश की थी। अपने परिवार और अपनी जान की परवाह किये बिना ही आश्चर्यजनक सहयोग दिया जिसके बूते ही आज मध्यप्रदेश में कोरोना लगभग खात्मे की ओर ही है। वादे के मुताबिक सरकार को अन्य प्रांतों के अनुसार एरीएर्स, डीए पूरा देकर अन्य वेतन विसंगतियों का निराकरण भी होना चाहिए। कोरोना संकट से उबारते उबारते कई अधिकारी कर्मचारियों ने अपने प्राणों की भी आहूति दे दी।  

अधिकारी कर्मचारी संयुक्त मोर्चा कोलारस के संयोजक दीपक भागौरिया तथा तहसील अध्यक्ष विमल शर्मा ने संयुक्त रूप से बताया कि लोकसेवक सरकार की धुरी होते हैं वे ही आपकी सारी योजनाओं का सफल क्रियान्वयन करने में अहम भूमिका निभाते हैं। आज हमारा प्रदेश कई योजनाओं में आगे है पर लोकसेवकों को दी जाने वाली सुविधाओं में पीछे होता जा रहा है। लोकसेवकों की लम्बे समय से चली आ रही वेतन विसंगतियों के हल नहीं होने से कर्मचारियों में असंतोष की लहर है। यदि कर्मचारियों की समस्याओं का शीघ्र ही निराकरण नहीं होता है तो कर्मचारियों को अपनी चुप्पी तोड़ने के लिए बाध्य होना पड़ेगा।

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Milan Tomic

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