21 टन लोहे के कबाड़ से बना अयोध्या का राम मंदिर, बच्चों के टूटे झूले, गाड़ियों के चेचिस काम आए - MP News



अयोध्या में बन रहे राम मंदिर ayodhya ram mandir की प्रतिकृति इंदौर indore में बनाई जा रही है। खास बात यह है कि इसे वेस्ट हो चुके लोहे से बनाया जा रहा है। विश्राम बाग में तैयार हो रही इस प्रतिकृति को 20 मजदूरों ने तीन महीने की मेहनत से इसे तैयार किया है।


खास बातें

21 टन लोहे के स्क्रेप से तैयार किया

ऊंचाई 27 फीट, चौड़ाई 26 फीट और लंबाई 40 फीट 

20 मजदूरों ने तीन महीने दिनरात काम किया


कहां से लाए लोहे के स्क्रैप

नगर निगम ने लोहे के पुराने खंबे, कबाड़ गाड़ियों के चेसिस, नट-बोल्ट, टूटे-फुटे झूले, फिसलपट्टियां, ग्रिल आदि का इस्तेमाल किया है। संभवत: देश में पहली बार लोहे के स्क्रैप से किसी मंदिर की इतनी बड़ी प्रतिकृति तैयार की है।

इंदौर के युवाओं का स्टार्टअप

प्रतिकृति को बनाने का काम महापौर ने इंदौर के दो युवाओं को सौंपा। यह इन दोनों युवाओं का पहला स्टार्टअप है। आर्टिस्ट उज्जवल सिंह सोलंकी और लोकेश सिंह राठौर ने बताया कि यह हमारे लिए पहला प्रोजेक्ट था और इतना बड़ा काम मिलना गौरव की बात रहा। हमने दिनरात मेहनत की है और लोगों से जो प्रतिक्रिया मिल रही है उसने हमारी पूरी थकान मिटा दी है। लोकेश ने बताया कि शुरू के एक महीने सभी ने लगातार 15 घंटे काम किया बाद में चुनाव आ जाने की वजह से काम थोड़ा धीमा हुआ और अब दस दिन में यह मंदिर पूरी तरह से बन जाएगा। उज्जवल और लोकेश के साथ दिल्ली के 20 कारीगरों की टीम ने इसमें काम किया है। 

कलाकारों का सम्मान किया जाएगा

महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने बताया कि विश्राम बाग जहां श्रीराम मंदिर अयोध्या की प्रतिकृति बनाई जा रही है उसके ठीक नीचे वाटर बॉडी है। यहां प्रतिकृति बनने के बाद नीचे पानी से लेकर मंदिर के प्रतिकृति के गुम्बद तक का नजारा बहुत ही खूबसूरत दिखाई देता है। रात को लाइटिंग में इसकी भव्यता, दिव्यता और सुंदरता देखते ही बनती है। यहां रात का दृश्य काफी मनोरम है। महापौर ने बताया कि आचार संहिता के बाद इसे जनता के लिए खोला जाएगा और भव्य तरीके से लोकार्पण होगा। प्रतिकृति बनाने वाली टीम के कलाकारों का सम्मान भी किया जाएगा। 

मंदिर की दीवारों पर श्लोक नजर आएंगे

महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने बताया कि अयोध्या में बन रहे राम मंदिर से प्रेरित होकर ही उन्हें विश्राम बाग में मंदिर की प्रतिकृति तैयार करने की प्रेरणा मिली। बड़ी चुनौती यह थी कि लोहे के स्क्रैप कैसे लाए जाएंगे। इसमें वेल्डिंग वाले कारीगरों की भी महत्वपूर्ण भूमिका रही क्योंकि छोटे-बड़े और टूटे-फूटे लोहे के सामान को मंदिर का रूप देना आसान नहीं था। महापौर ने बताया कि प्रतिकृति की फीनिशिंग का काम जल्द ही शुरू होगा। हमारी योजना फीनिशिंग का काम पूरा होने के बाद मंदिर की प्रतिकृति पर मेटेलिक कलर करने की है। लोहे के मंदिर की दीवारों पर श्लोक भी नजर आएंगे। भार्गव ने बताया कि संभवत: यह देश में अपनी तरह की सबसे बड़ी लोहे के स्क्रैप की प्रतिकृति है।

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