कोलारस - जिसे सरकार अन्नदाता के नाम से पुकारती है उसकी स्थिति वर्तमान समय में क्या है किसी से छिपी नहीं है सरकार तो चुनाव में व्यस्त है अन्नदाता चारो तरफ से घिरा हुआ है बैंक से केसीसी के रूप में लॉन लगभग सभी किसान ले चुके है इस बार फसल कम आने के कारण बैंक की किस्त एवं बाजार का कर्ज न चुका पाने के कारण किसान के सामने विजली के बिल, बीज, खाद, दबा की समस्या से किसान जूझ रहा है उसके ऊपर से वारिश कम होने के कारण नलकूपों में पानी की समस्या तथा बिजली न मिलने से किसान परेशान है साथ में किसानों को डीएपी एवं यूरिया खाद सोसाईटी पर उपलब्ध नहीं है तथा गोदामों पर पर्याप्त मात्रा में न मिलने के कारण बाजार से लेना पड़ रहा है बाजार में डीएपी एवं यूरिया खाद पर व्यापारी काला बाजारी करते हुये निर्धारित दर से 100-150रू. प्रति कट्टा ब्लैक में बेच रहे है।
सरकार चुनावी मोड़ में चल रही है अन्नदाता किसान के साथ खुलेआम लूट हो रही है वह भी बाजारों में जहां कृषि विभाग की मिली भगत से अमानक बीज, कालाबाजारी करके खाद तथा नकली दबाओं का खुला खेल कोलारस के एवी रोड़ से लेकर मानीपुरा एवं लुकवासा से लेकर बदरवास तथा खतौरा से लेकर रन्नौद तक खेला जा रहा है अन्नदाता किसान को उत्तम किस्म का ना तो बीज उपलब्ध हो सका और न ही दबा उसके ऊपर से डीएपी खाद का कट्टा 1360 के स्थान पर 1500 से लेकर 1600 तक में बेचा जा रहा है इसी तरह यूरिया वारिक खाद के नाम पर 275 की जगह 325 से 350 के बीच बेचा जा रहा है अन्नदाता मेहगी दर पर खाद तथा अमानक बीज से लेकर नकली दबाऐं खरीदने पर मजबूर है जब इस संबंध में एक दुकानदार से चर्चा की गई तो उसने बताया कि कृषि विभाग को हम सीजन पर 10-20 हजार देते है वह सैंपिल भी हमारे अनुसार ही भरते है भला किसानों से लेकर नेता हमारा क्या विगाड़ेंगे सरकार जाये या बचे हमें मेहगी दर पर खाद मिल रहा है जिसके चलते हम भी ब्लैक में खाद बेच रहे है जनप्रतिनिधियों से लेकर नेता एवं प्रशासन चुनावी मोड़ में है देखरेख करने वाला विभाग ही जब रूपये लेकर व्यापारियों से मिला हुआ है तो अन्नदाता किसान को न्याय आखिर कहां से मिलेगा ऐसी स्थिति में किसान अपनी भड़ास चुनाव में सरकार के खिलाफ निकालने को मजबूर है।