जीवन मे जाने अनजाने ऐसे कर्म करते हैं कि हम सोचते हैं कौन देख रहा है क्या फर्क पड़ता है लेकिन परमात्मा सब देख रहा है - Shrikrishna

प्रभु संकीर्तन - परमात्मा सब देख रहें हैं, हम जानते हैं, किन्तु फिर भी जीवन मे जाने अनजाने ऐसे कर्म करते हैं कि हम सोचते हैं कौन देख रहा है क्या फर्क पड़ता है।आज आप को कुछ छोटे छोटे उदाहरण दे रहे हैं।जो प्रायः हम सभी के जीवन मे आते हैं।पढिये।हमारे घर के पास एक डेरी वाला है। वह डेरी वाला ऐसा है कि आधा किलो "घी"में, अगर 'घी' 502ग्राम तुल गया तो 2 ग्राम 'घी, निकाल लेता था।

एक बार मैं आधा किलो 'घी' लेने गया. उसने मुझे 90 रूपय ज्यादा दे दिये। मैंने कुछ  देर  सोचा और  पैसे  लेकर निकल लिया। मैंने मन में सोचा,कि 2-2 ग्राम से तूने जितना बचाया था,' बच्चू,अब एक ही दिन में निकल गया !

मैंने घर आकर "अपनी गृहलक्ष्मी" को कुछ नहीं बताया और घी दे दिया। उसने जैसे ही 'घी,डब्बे में पलटा आधा घी, बिखर गया, मुझे झट से “बेटा चोरी का  माल मोरी में”  वाली  कहावत  याद आ गयी,और साहब यकीन मानिये वो 'घी,  किचन की सिंक में ही गिरा था।*
 *इस वाकये को कई महीने बीत गये थे। परसों  शाम को मैं  वेज रोल  लेने गया, उसने भी  मुझे  सत्तर रूपये  ज्यादा दे दिये, मैंने मन ही मन सोचा  चलो बेटा ! आज फिर चैक करते हैं की क्या वाकई भगवान 'हमें, देखता है। मैंने रोल पैक कराये और पैसे लेकर निकल लिया। आश्चर्य तब हुआ जब एक रोल  अचानक रास्ते में  ही गिर गया, घर पहुँचा, बचा हुआ रोल टेबल पर रखा, जूस निकालने के लिये  अपना मनपसंद काँच का गिलास उठाया, अरे•••यह क्या•••? गिलास हाथ से फिसल कर टूट गया।* *मैंने हिसाब लगाया करीब-करीब सत्तर में से साठ रूपये का नुकसान हो चुका था, 'मैं,बडा आश्चर्यचकित था।*और अब सुनिये•••ये भगवान तो•••मेरे पीछे ही पड गया, जब कल शाम को 'किराने वाले,ने मुझे  तीस रूपये ज्यादा दे दिये। मैंने अपनी धर्म-पत्नी से पूछा क्या कहती हो !

एक ट्राई और मारें, उन्होने मुस्कुराते हुये कहा–जी नहीं, और हमने पैसे वापस कर दिये।

*बाहर आकर हमारी धर्म-पत्नी जी ने कहा – वैसे एक ट्राई और मारनी चाहिये थी। इतना कहना था•••कि•• उन्हें एक ठोकर लगी•••और वह गिरते-गिरते बचीं !? मैं सोच में पड गया कि वाकई भगवान हमें देख रहा है। हाँ भगवान हमें हर पल हर क्षण देख रहा है। हम  बहुत  सी  जगह  पोस्टर लगे देखते हैं, "आप  कैमरे की नजर में"हैं। पर याद  रखना हम हर  क्षण पल प्रतिपल उसकी नजर में हैं।वो हर पल गलत कार्य करने से पहले और बाद में भी हमें आगाह करता है। लेकिन यह समझना न समझना हमारे विवेक पर निर्भर करता है*॥यह छोटी छोटी चीजे हमे सिखाती है।कि कोई है जो हमे देख रहा है।भगवान श्रीकृष्ण से आपकी सपरिवार स्वस्थ और तनावमुक्त सहित कुशलता की कामना करता हूं।जीवन में सदैव सत्काम का ही प्रयास कीजिए, और प्रसन्न रहिये,जो प्राप्त है, पर्याप्त है ।जय जय श्री राधेकृष्ण जी।श्री हरि आपका कल्याण करें।

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