गुरिल्ला युद्ध में माहिर तात्याटोपे के पराक्रम और युद्धकला से फिरंगी खाते थे खौफ :- अवस्थी - Badarwas

अमरशहीद तात्याटोपे की जन्म जयंती पर बक्सपुर विद्यालय में हुआ कार्यक्रम 

बदरवास - अमर शहीद तात्याटोपे के अद्भुत पराक्रम और युद्धकला से फिरंगी हमेशा खौफ खाते रहे।  भारतमाता की आजादी के लिए उनके त्याग और बलिदान ने इस महावीर को अमर बना दिया।उनकी भूमिका महानायक की होकर सबसे महत्वपूर्ण,प्रेरणादायी और बेजोड़ थी। यह बात शा.माध्यमिक विद्यालय बक्सपुर में अमर शहीद तात्याटोपे  की जन्म जयंती पर आयोजित कार्यक्रम में प्रधानाध्यापक गोविन्द अवस्थी ने कही।

कार्यक्रम की शुरुआत महान क्रांतिकारी अमरशहीद तात्याटोपे  की तस्वीर के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन से हुई शिक्षक गोविन्द  अवस्थी, जितेंद्र शर्मा, शैलेंद्र धाकड़, गंगा यादव, सुनील ओझा सहित छात्र छात्राओं ने पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें नमन किया। 

विद्यार्थियों को तात्याटोपे के जीवनवृत्त और अमर बलिदान से परिचित कराते हुए प्रधानाध्यापक गोविन्द अवस्थी ने कहा कि "शीश दे अपमान को सहते नहीं,जो गुलामी में कभी रहते नहीं" ये पंक्तियां अमर शहीद तात्याटोपे पर सटीक बैठती हैं । 

भारत की स्वतंत्रता को छोड़कर और कोई अभिलाषा इस अमरशहीद को नहीं थी भारतमाता की आजादी के लिए तात्याटोपे के त्याग और बलिदान ने इस महावीर को अमर बना दिया उनका सम्पूर्ण जीवन पराक्रम और संघर्ष से भरा रहा तात्याटोपे गुरिल्ला युद्ध में माहिर थे और उनके पराक्रम,युद्धकला तथा अचानक छापामार हमले से अंग्रेजी सेनाएं ख़ौफ़ खाती थी। 

अवस्थी ने कहा कि तात्याटोपे का संबंध मध्यभारत से काफी रहा और वे  नरवर, ग्वालियर, ईसागढ़, चंदेरी, मुंगावली, खुरई, सागर, राजगढ़,  होशंगावाद, इंदौर आदि स्थानों पर उनका आनाजाना रहा तात्या अपनी अदभुत युद्धकौशल, वीरता, धैर्य, साहस एवं सूझबूझ से अंग्रेजी सेना को धराशायी कर देते थे तात्या प्रत्येक अवस्था में प्रत्येक क्षण अंग्रेजों के लिए भारी परेशानी तथा विकट समस्या बने रहे।

हमें तात्या टोपे जैसे अमर शहीदों के प्रति सम्मानभाव रखते हुए इनके बलिदान को हमेशा स्मरण रखना चाहिए शिक्षक जितेंद्र शर्मा ने कहा कि तात्या टोपे जैसे महान व्यक्तित्व से प्रेरणा लेकर जीवन में राष्ट्रप्रेम की भावना जागृत करना ही इन्हें सच्ची श्रद्दांजलि होगी।


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