सुदामा जैसा भक्त होना सहज नहीं -बृजभूषण महाराज - Kolaras

कोलारस - सुदामा जी जैसे भक्ति करना हर किसी के बस की बात नहीं है सुदामा जी ने अपने जीवन में समस्त भोगों का त्याग किया है एवं इसलिए उनको परमात्मा के साक्षात दर्शन हुए हैं एवं भगवान ने भी सुदामा जी के चरित्र का ही पूजन किया है उनके त्याग का पूजन किया है यह प्रवचन लुकवासा के समीप मुड़िया खेड़ा धाम में चल रही श्रीमद भागवत कथा के विश्राम दिवस पर आचार्य बृजभूषण महाराज ने दिए और उन्होंने बताया कि सुदामा जी एक ऐसे भगवान के परम प्रिय भक्त हैं जिनके चरण भगवान ने अपने नेत्रों के जल से धोए है इतना सम्मान भगवान ने कभी किसी को नहीं दिया जितना सम्मान भगवान ने सुदामा जी के लिए प्रदान किया है आचार्य जी ने कथा के प्रसंग में सुंदर भगवान के गोलोक धाम जाने की कथा का वर्णन किया एवं जो है समस्त कथा का विस्तार पूर्वक वर्णन किया जिस प्रकार से परीक्षित जी का मोक्ष हुआ एवं जन्मेजय ने सर्प यज्ञ करके करोड़ों सांपों को यज्ञ की आहुति में समा कर भस्म कर दिया उसकी संपूर्ण कथा आचार्य जी ने विस्तार पूर्वक सुनाया और एवं कथा के अंत में कहा कि श्रीमद् भागवत कथा साक्षात भगवान श्रीकृष्ण का स्वरूप है इसके दर्शन मात्र से ही मनुष्य की मुक्ति हो जाती है एवं जो प्रेम के साथ में अपने जीवन में श्रीमद भगवत कथा को सुनते हैं एवं उसका अनुकरण करते है भगवत कृपा से वह मनुष्य समस्त बंधनों से मुक्त हो जाते हैं।

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