कोलारस - मुनिश्री 108 मंगलसागर महाराज ने अपने प्रवचनों में कहाँ मनुष्य का जन्म कर्मो के आधार पर आत्मा का जन्म होता है कर्मो के आधार पर ही आत्मा देवता , नरक मनुष्य या पशुपक्षी के रूप में जन्म लेती है जैन धर्म मे धर्म एवं कर्म का सिद्धान्त अहम् है , कर्म का फल होता है चाहे वह अच्छा हो या बुरा । अच्छे कर्मो का फल सुख और कल्याण है जब कि बुरे कर्मो का फल दुख और पीड़ा है जैन धर्म एक अंहिसा धर्म है जो करुणा और दया पर आधारित है संसार में जीव आत्मा और जंड दोनो है जो कर्मो के कारण जन्म मरन के चक्र में फंसे रहते है और मोक्ष (मुक्ति ' ) का मार्ग अंहिसा , सत्य , अस्तेय ' अपरिग्रह ' और ब्रह्मचर्य के पालन से प्राप्त होता । मनुष्य जीवन का लेखा जोखा वाई खाते के तरह चलता है उधार है तो देना है अधिक है तो आपको मिल जाएगा ।
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