25 ग्रामों में 165 हैक्टेयर में 200 किसानों के यहां नरवाई प्रबंधन का डेमो
द टुडे टाइम्स (इंडिया) शिवपुरी - वर्तमान में गेहूं फसल की कटाई के बाद कुछ किसान गेहूं के अवशेष (नरवाई) को जला रहे है जिले में कई गांव में ऐसी घटनाएं घटित हुई है जिनमें लगातार कार्रवाई की गई है अभी नरवाई जलाने की घटनाओं में कार्यवाही करते हुए 136 किसानों पर एसडीएम द्वारा नोटिस जारी कर 3 लाख 40 हजार का जुर्माना लगाया गया है, जिसमें पोहरी में 4, नरवर में 27, कोलारस 27 बदरवास 36, पिछोर में एक, करेरा 4 और खनियाधाना में 27 किसानों पर जुर्माना लगाया गया है। अभी तक सात प्रकरण में किसानों पर एफआईआर भी दर्ज हुई है।
कलेक्टर रवींद्र कुमार चौधरी ने इस संबंध में प्रतिबंधात्मक आदेश जारी किया है और आदेश का उल्लंघन करने वाले पर लगातार कार्यवाही जारी है।
उपसंचालक कृषि डॉ यू एस तोमर ने बताया कि गत दिवस सैटेलाइट मॉनिटरिंग के द्वारा प्राप्त 82 घटनाओं को आकलन किया गया था, वह अब घटकर 13 हो गई है। जिले के 25 ग्रामों में 165 हैक्टेयर में 200 किसानों के यहां सुपर सीडरकम स्ट्रा रीपर से भूसा बनाने तथा रिवर्सिबल प्लाउ से नरवाई को जमीन में मिलाकर मिट्टी की उर्वरा शक्ति को बढ़ाने के लिए प्रत्यक्ष प्रदर्शन आयोजित किए गए।
वर्तमान में जे फॉर्मऐप पर 37 कृषि यंत्र धारक पंजीकृत हुए हैं जिससे अन्य किसानों ने एप के माध्यम से कृषि यंत्रों को किराए पर लेकर अपने खेतों में नरवाई प्रबंधन के लिए उपयोग किया इस ऐप के माध्यम से नरवाई प्रबंधन में किसानों को अत्यधिक सुविधा उपलब्ध हो रही है। साथ ही किसान भाइयों के लिए नरवाई प्रबंधन के लिए हैप्पी सीडर एवं सुपर सीडर यंत्रों के आवेदन 18 अप्रैल से ऑनलाइन डीबीटी पोर्टल के माध्यम से आमंत्रित किए गए हैं।
विदित हो कि नरवाई जलाने से पर्यावरण को भारी क्षति पहुँचती है, साथ ही खेत की मिट्टी के लाभदायक सूक्ष्म जीवाणु मर जाते हैं भूमि की उर्वरता घट जाती है इसलिए किसान खेतों में नरवाई न जलाएँ गेहूं फसल की नरवाई(अवशेष) खेत में जलाने के बजाय रोटावेटर के उपयोग से गेहूं के डंठल को खेत में ही नष्ट करें जिससे भूमि में कार्बनिक पदार्थों की मात्रा बढ़ने से भूमि की उर्वरा शक्ति में वृद्धि होगी फसल के अवशेष जलाने से फैलने वाले प्रदूषण पर अंकुश, अग्नि दुर्घटना रोकने एवं जान-माल की रक्षा के उद्देश्य से नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के दिशा-निर्देशों के तहत आदेश जारी कर जिले में गेहूं की नरवाई इत्यादि जलाने पर प्रतिबंध लगाया गया है।
नरवाई जलाना दण्डनीय अपराध है। जिले में जो भी कृषक या अन्य व्यक्ति खेत में नरवाई(अवशेष) जलाते हुये पाये जाते है तो उनके विरूद्ध कार्यवाही की जायेगी। जिसमें 2 एकड़ तक के कृषकों को 2500 रुपये, 2 से 5 एकड़ तक के कृषकों को 5000 रुपये तथा 5 एकड़ या अधिक के कृषकों को 15000 रुपये का अर्थदंड देना होगा।
दलों का गठन
नरवाई जलाने की घटनाओं पर नियंत्रण और प्रबंधन के उद्देश्य से दल का गठन किया गया है। घटनाओं के प्रबंधन के लिए कंबाइन हार्वेस्टर के साथ स्ट्रा मैनेजमेंट सिस्टम के उपयोग को अनिवार्य किया गया है।जिसके तहत सहायक संचालक कृषि मनोज कुमार रघुवंशी को नोडल अधिकारी और सहायक संचालक कृषि एस एस घुरैया को सहायक नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है।
जिला स्तर पर कंट्रोल रूम की स्थापना
सहायक कृषि यंत्री भगवान सिंह नरवरिया को और सहायक संचालक कृषि डॉ किरण रावत को नोडल नियुक्त किया गया है। नरवाई में आग लगने की घटनाओं की जानकारी 9926346695 पर शिकायत दर्ज की जा सकेगी।
नरवाई प्रबंधन जागरूकता रथ
जिले में नरवाई जलाने की घटनाओं पर नियंत्रण एवं प्रबंधन के लिए किसानों को जागरूकता रथ के माध्यम से भी जागरूक किया जा रहा है। यह रथ गांव गांव घूमकर किसानों को बताएगा कि नरवाई जलाने से न केवल पर्यावरण प्रदूषण होता है बल्कि खेतों की मिट्टी की उर्वरा शक्ति भी नष्ट होती है, इसलिए नरवाई न जलाएं बल्कि सुपर सीडर का उपयोग करें।
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