द टूडे टाइम्स (इंडिया) शिवपुरी - अधिकारी एवं कर्मचारियों के गठवंधन ने सूचना के अधिकार यानि की कोई भी गोपनीय या अवैध कार्यो को उजागर करने वाले आरटीआई को रसातल के अंदर दबाने के बाद अब सीएम हेल्प लाईन यानि की मुख्यमंत्री शिकायत ऑनलाईन शाखा भोपाल को ही अपनी जेब में रख लिया है आप किसी भी विभाग की कोई भी शिकायत सीएम हेल्प लाईन पर दर्ज कराओं बाबू एवं भोपाल में बैठे कम्प्यूटर ऑपरेटर उस शिकायत को चंद रूपयों की खातिर खत्म कर देते है शिवपुरी जिले में सीएम हेल्प लाईन पर इस प्रकार की सेंकड़ों शिकायतें मिल जायेंगी जोकि शिकायतकर्ता की सहमति यानि की कार्य पूर्ण होने से पूर्व ही खत्म यानि की निराकरण का मैसेज मोबाईल पर प्राप्त हो गया क्या है इसके पीछे की कहानी हमने उस सच्चाई को अंदर तक जानने का प्रयास किया तो पता चला कि विभागों में बैठे बाबू एवं भोपाल में बैठे कम्प्यूटर ऑपरेटरों का गठवंधन चंद रूपये लेकर अपनी मर्जी से शिकायत का निराकरण कर देते है।
जनपद पंचायत से लेकर नगर परिषद, मंडी, पुलिस, राजस्व सहित अन्य कई विभागों की शिकायते लोग अधिकतर मात्रा में करते है लोगो ने जब हमकों बताया कि हमारी शिकायत का निराकरण हुआ ही नहीं है और मोबाईल पर शिकायत का निराकरण हल करने का मैसेज हमें मिला जब हमने अंदर तक जाकर संबंधित बाबूओं से पता किया तो मालूम हुआ कि जिस विभाग अथवा किसी अधिकारी कर्मचारी की शिकायत की गई है उससे मात्र 300/-रू. लेकर भोपाल में बैठे ऑपरेटर को फोन पे करने के कुछ ही मिनिट बाद शिकायतकर्ता के मोबाईल नम्बर पर शिकायत का निराकरण हो जाने का मैसेज विभाग द्वारा कर दिये जाने का प्राप्त हो जाता है और चंद रूपयों में पीड़ित व्यक्ति की शिकायत खत्म हो जाती है ऐसे एक नहीं बल्कि सैंकड़ों मामले सामने है जिनका निराकरण शिकायतकर्ता की सहमति के बिना ही शिकायत का निराकरण बाबू एवं ऑपरेटर की मिली भगत से कर दिया जिलाधीश से लेकर मुख्यमंत्री को इस संबंध में ध्यान देने की आवश्यकता है कि पीड़ित व्यक्ति की समस्या का हल करने के लिये प्रदेश सरकार जहां भोपाल में सीएम हेल्पलाईन दफ्तर बनाकर करोड़ों रूपया हर माह खर्च कर रही है उसका लाभ पीड़ित व्यक्ति को मिलने की जगह सीएम हेल्प लाईन दफ्तर भोपाल में कार्य करने वाले ऑपरेटर चंद रूपयों के लिये सीएम हेल्प लाईन सेवा में बट्टा लगाने का कार्य तथा प्रदेश सरकार की मंशा पर पानी फेरने से लेकर सरकार का करोड़ों का बजट खा रहे है और पीड़ित मानव को उसका लाभ नहीं मिल पा रहा है।