उचित मूल की दुकानों पर 100 में से 99 वेईमान फिर कार्यवाही चंद लोगो पर क्यों ? - Kolaras



कोलारस - उचित मूल दुकानें जहां से गरीबों को खाद्यान वितरण होता है उन दुकानों की हम बात करे तो कोलारस ब्लॉक से लेकर बदरवास एवं जिले भर की उचित मूल की दुकानों पर आवंटित खाद्यान सामाग्री से लेकर वितरण व्यवस्था का मिलान किया जाये तो क्षेत्र में शायद ही कोई उचित मूल दुकान होगी जहां 100 प्रतिशत ईमानदारी के साथ वितरण व्यवस्था की जा रही हो।

उचित मूल दुकान पर कार्य करने वाले व्यक्ति ने दावा करते हुये कहा कि वर्ष 2020 से लेकर चालू वर्ष के बीच जहां कुछ समय डवल राशन वितरण करने के लिये आया उस दौरान गरीबों को सिंगल यानि की आधा राशन वितरण किया गया उचित मूल की दुकानों से लेकर राशन उपलब्ध कराने वाली लीड संस्था तथा खाद्य अधिकारियों की मिली भगत से गरीबों का राशन उचित मूल के सैल्समैन बीते कई वर्षो से डकारते चले आ रहे है बीते 3 वर्षो के रिकॉर्ड का मिलान गरीबों के बीच जाकर कर लिया जाये तो शायद ही ऐसा कोई विरला ही उचित मूल विक्रेता होगा जो इस काले कारोबार से यानि की खाद्यान खाने या बाजार में बेचने से बचा हो बीते काफी समय से उचित मूल की दुकानों से गेहॅू की जगह चावल का वितरण किया जा रहा है चावल जिले में लोग कम खाते है इसका लाभ उचित मूल के सैल्समैन चावल की आधी रेट देकर उपभोक्ताओं को रफू चक्कर कर देते है और उसी चावल को पूरे दामों में बाजार में व्यापारियों को कई माह से बेच रहे है एक उचित मूल के सैल्समैन का यहा तक कहना है कि जब उचित मूल की दुकान चलाने वाले अधिकांश लोग खाद्यान को बाजार में बेच रहे है फिर राजनैतिक संरक्षण के चलते उन्हें बचाया जा रहा है और चंद लोगो पर कार्यवाही की जा रही है यदि 3 वर्ष के खाद्यान वितरण व्यवस्था का मिलान कर लिया जाये तो एफआईआर की कार्यवाही से शायद ही कोई बच सके सैल्समैन ने यहां तक कहा कि लीड से खाद्यान उठाने पर सामाग्री कम मिलती है कमीशन संस्था के लोग खा जाते है दुकान एवं कर्मचारी का खर्चा हमें ही वहन करना होता है उसके ऊपर से खाद्य अधिकारियों को कमीशन मिलाकर करीब 15 हजार रू. खर्च हो जाता है यदि कोई सैल्समैन ईमानदारी के साथ 12 माह खाद्यान वितरण करेेगा तो उसकी जमीन बीच जायेगी इन सब खर्चो के साथ घर खर्च चलाने के लिये साल में कुछ माह गडवड़ी करने के साथ कम तोल एवं कुछ सम्पन्न लोगो का खाद्यान बचाकर ही उचित मूल की दुकान चलाई जाती है जिसके चलते बदनाम सैल्समैन होता है जबकि गडवड़ी में लीड से लेकर खाद्य अधिकारी भी शामिल है कुल मिलाकर उचित मूल की दुकानों पर एक ही फिल्मी डायलॉग सत्य सावित होता है कि 100 मे ंसे 99 वेईमान का डायलॉग उचित मूल की दुकानों पर कमीशन खोरी के चलते ऊपर से नीचे तक दिखाई देता है फिर कार्यवाही आखिर चंद लोगो पर ही क्यों ? 


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