कलेक्टर को अधिकार नहीं है कि भरण-पोषण की राशि निर्धारित करें, HC ने लगाई 25 हजार की कॉस्ट - MP High Court

सिंगरौली में कलेक्टर ने जनसुनवाई करते हुए शिक्षक के वेतन से पत्नी को 50 प्रतिशत राशि भरण-पोषण के लिए देने के आदेश जारी किए थे, जिसके खिलाफ दायर की गई याचिका की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट जस्टिस विवेक अग्रवाल ने अपने आदेश में कहा है कि कलेक्टर का आदेश मनमाना और गैर कानूनी है। भरण-पोषण की राशि निर्धारित करने का अधिकार कलेक्टर को नहीं है। एकलपीठ ने कलेक्टर पर 25 हजार रुपये की कॉस्ट भी लगाई है।

शिक्षक कालेश्वर साहू की तरफ से दायर की गई याचिका में कहा गया था कि उसकी पत्नी ने भरण-पोषण के लिए धारा-125 के तहत कुटुम्ब न्यायालय में आवेदन किया था। कुटुम्ब न्यायालय में मामले की सुनवाई लंबित है। सिंगरौली जिला कलेक्टर के समक्ष जनसुनवाई के दौरान उसकी पत्नी मुन्नी साहू उपस्थित हुई थी। कलेक्टर ने उसके वेतन से 50 प्रतिशत की राशि काटकर पत्नी को भरण-पोषण के लिए प्रदान करने के आदेश अक्तूबर 2021 में जारी किए थे। कलेक्टर के निर्देशानुसार, शिक्षा विभाग के जिला समन्वयक अधिकारी ने 50 प्रतिशत वेतन कटौती के आदेश जारी कर दिए।


याचिकाकर्ता की तरफ से तर्क दिया गया कि भरण-पोषण की राशि निर्धारित करने का अधिकार संबंधित न्यायालय को है। ऐसा करने की न्यायिक शक्तियां जिला कलेक्टर के पास नहीं हैं। जिला कलेक्टर के आदेश पूरी तरफ से मनमाना व अवैधानिक हैं। एकलपीठ ने याचिका की सुनवाई के बाद वेतन से कटौती की गई राशि आठ प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ याचिकाकर्ता शिक्षक को प्रदान करने के आदेश जारी किए हैं। एकलपीठ ने कलेक्टर के आदेश को मनमाना व गैरकानूनी मानते हुए याचिका व्यय के लिए 25 हजार रुपये की कॉस्ट लगाई है। कॉस्ट की राशि तत्कालीन कलेक्टर से वसूलने के आदेश एकलपीठ ने जारी किए हैं।

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