बदरवास - शिवपुरी जिले के कोलारस अनुविभाग के बदरवास में बन रही मोदी जैकेट पूरे देश में सप्लाई हो रही है बदरवास में करीब 25 साल पहले जैकेट बनने लगे और अब यह कारोबार 100 करोड़ का आंकड़ा पार कर रहा है इसमें भी 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी के नाम पर बने जैकेट खास तौर पर तैयार हो रहे हैं इस कारोबार में करीब दो हजार परिवारों को रोजगार मिला है।
जैकेट बनाने का यह सिलसिला वर्ष 2000 के आसपास शुरू हुआ एक रेडिमेड व्यापारी ने पुरुष कारीगरों से जैकेट बनवाई। इसे बेचना शुरू किया लोगों को यह जैकेट पसंद आई और धीरे-धीरे यह जैकेट्स आसपास के राज्यों में भी लोकप्रिय हो गई अब सैकड़ों व्यापारी शिवपुरी जिले के बदरवास से जैकेट थोक में लेकर जाते हैं और पूरे देश में इसकी सप्लाई चेन बन चुकी है। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन ने इस काम में अब स्वसहायता समूहों को भी जोड़ लिया है। उन्हें प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
हाल ही में 13 से 18 फरवरी, 2024 तक बदरवास क्लस्टर की 19 महिला कारीगरों को भारतीय उद्यमिता विकास संस्थान (ईडीआईआई) परिसर में क्वालिटी, मार्केटिंग और वर्चुअल मर्चेंडाइजिंग पर एडवांस ट्रेनिंग दी गई। इस कोर्स में कपड़ा निर्माण की पेचीदगियां, बिक्री-मार्केटिंग की रणनीतियां और ब्रांड बनाने के पहलुओं को शामिल किया गया। ईडीआईआई ने हाल ही में नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी (एनआईएफटी) गांधीनगर के साथ पार्टनरशिप की है।
ईडीआईआई के डीजी डॉ. सुनील शुक्ला ने कहा कि ग्रामीण विकास मंत्रालय की यह पहल स्किल ट्रेनिंग से आगे निकल गई है निफ्ट परिसर में चार दिन तक प्रैक्टिकल सेशन आयोजित किए गए इस दौरान महिलाओं को कपड़े की जांच, क्वालिटी, स्टैंडर्ड्स और पैकेजिंग तकनीक की जानकारी दी गई ईडीआईआई के प्रोजेक्ट डायरेक्टर डॉ. राजेश गुप्ता ने कहा कि हमारा उद्देश्य महिलाओं को सही स्किल के साथ पेशेवर ज्ञान उपलब्ध कराना है।
ईडीआईआई के डीजी डॉ. सुनील शुक्ला ने कहा कि ग्रामीण विकास मंत्रालय की यह पहल स्किल ट्रेनिंग से आगे निकल गई है निफ्ट परिसर में चार दिन तक प्रैक्टिकल सेशन आयोजित किए गए इस दौरान महिलाओं को कपड़े की जांच, क्वालिटी, स्टैंडर्ड्स और पैकेजिंग तकनीक की जानकारी दी गई ईडीआईआई के प्रोजेक्ट डायरेक्टर डॉ. राजेश गुप्ता ने कहा कि हमारा उद्देश्य महिलाओं को सही स्किल के साथ पेशेवर ज्ञान उपलब्ध कराना है।
1,000 से अधिक महिलाएं बना रहीं जैकेट
बदरवास में जैकेट की बढ़ती मांग को देखते हुए एनआरएलएम के तहत 50 से अधिक समूहों की करीब एक हजार महिलाओं को अब तक इस काम से जोड़ा जा चुका है। बदरवास के करीब 100 व्यापारी कपड़ा काटकर सिलने देते हैं। सिली हुई जैकेट लेते हैं। जैकेट की क्वालिटी के अनुसार 50 से 500 रुपये प्रति जैकेट तक मेहनताना इन महिलाओं को मिल रहा है। एक महिला क्वालिटी के अनुसार 25-30 जैकेट रोज बना लेती है।
बदरवास में जैकेट की बढ़ती मांग को देखते हुए एनआरएलएम के तहत 50 से अधिक समूहों की करीब एक हजार महिलाओं को अब तक इस काम से जोड़ा जा चुका है। बदरवास के करीब 100 व्यापारी कपड़ा काटकर सिलने देते हैं। सिली हुई जैकेट लेते हैं। जैकेट की क्वालिटी के अनुसार 50 से 500 रुपये प्रति जैकेट तक मेहनताना इन महिलाओं को मिल रहा है। एक महिला क्वालिटी के अनुसार 25-30 जैकेट रोज बना लेती है।