केवल वेश से नहीं अपितु राम के चरित्र को धारण करना ही धर्म...मां कनकेश्वरी देवी - Kolaras


कोलारस - कोलारस में चल रही कथा के आठवें दिन मां कनकेश्वरी देवी ने कहा कि धर्म की अनेक परिभाएं है किंतु सर्वमान्य सिद्धांत ये है कि जो राम ने किया वही धर्म है राम के चरित्र को धारण करना ही धर्म है।

पूज्या मां कनकेश्वरीदेवीजी की ब्रह्म परक वाणी से कथा सूत्र -

- श्री राम के चरित्र को जीना ही धर्म हैं।

- जिस तरह भगवत् भजन करते करते भक्त में भागवत भाव प्रधान हो जाता है उसी तरह भगवान में भी भक्त भाव प्रधान हो सकता हैं।

- नित्य प्रति भगवत् सत्संग श्रवण करने वाला व्यक्ति भगवान की मानसिक अनुभूति कर सकता हैं।

- केवट की तरह ईश्वर की निष्काम भक्ति करनी चाहिए।

- भक्ति की शक्ति से काल को भी टाला जा सकता है।

- चित्रकूट चित्त का स्वरूप हैं यदि हम राम भजन द्वारा इसे भगवान के चरणों में समर्पित कर देना चाहिए। 

- सांसारिक जीवन के कर्त्तव्य जब पूर्णता की ओर हो तो सद्गुरु भगवान से आगे की जीवन यात्रा के लिए मार्गदर्शन लेना चाहिए।

- सद्गुरु अपने वचनों के माध्यम से सदैव हमारे साथ होते हैं।

- वैराग्यवान महापुरुषों के चित्त पर सांसारिक वैभव का कोई असर नहीं होता है।

- स्त्री का शील ही उसकी शक्ति होती है।

- मानव मन मृग की तरह निर्दोष हो तो निश्चित ही राम वहां आते हैं।

- देवत्व और दानत्व व्यक्ति की वाणी और दृष्टि से अनुभव किया जा सकता है।

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