हस्त शिल्प के नायाब व्यक्तित्व सुरेन्द्र सिंह जाट, काष्ठ एवं पत्थर की प्रतिमाओं को दिया जीवंत रूप - Kolaras



हस्तशिल्प की दुनिया में रंग भरते वाले कुशल चितेरे अपनी लोमहर्षक कलाकृतियों को जीवंत रूप प्रदान करने वाले बहु आयामी व्यक्तित्व पेशे से अधिवक्ता सुरेन्द्र सिंह जाट का बेमिशाल अनूठा संग्रहालय बरवस ही लोगों का ध्यान आकृष्ट कर जाता है । 

हस्त कौशल के धनी जाट के हाथों का अनोखा जादू लकड़ी एवं पत्थर के बेजुवान टुकड़ों को प्रतिमाओं का रूप देकर बोलने को मजबूर कर देता है प्राचीन विधा का चमत्कार उनके घर स्पष्ट रूप से देखने को मिलता है स्वच्छता के मापदण्डों के कीर्तिमान स्थापित करते हुये बेहद खास जीवन की अभिव्यक्ति से ओत प्रोत हो एक अलग ही संसार का निर्माण करते हैं ।

काष्ठ एवं पत्थर की प्रतिमाओं पर कुशलता से उनके हाथों की बेजोड़ कलात्मक विधा देखते ही बनती है अपने घर को उन्होंने एक संग्रहालय का रूप देकर अमूल्य हस्त शिल्प कला का नायाब उदाहरण प्रस्तुत किया है, जो किसी अचरज से कम नहीं है समाज एवं संस्कृति की विरासत को आगे बढ़ाते हुये उन्होंने काष्ट के टुकड़ांे एवं जड़ों से एक से बढ़कर एक प्रतिमाओं का निर्माण कर दिया है ऊदबिलाव, सारस, मगर, हिरण, पेंग्विन, मूषक, डायनोसार, बगुला, नेवला, गेंडा हाथी, महात्मा गांधी, विभिन्न पशु पक्षियों एवं जीव जंतुओं सहित गणेश, शंकर एवं सूर्य देवता की साक्षात कृतियों का निर्माण अपने सधे हुये हाथों से कर उन्हें जीवंत स्वरूप प्रदान कर दिया है। 

वहीं दूसरी ओर उन्होंने पत्थर पर भी अपनी इस शैली को अद्भुत साकार रूप प्रदान कर प्रेरणास्पद कार्य किया है जो निस्संदेह उनके व्यक्तित्व को कला के क्षेत्र में अग्रणी बनाता है एक से बढ़कर एक शिवलिंग की श्रंखला निर्मित कर उम्दा तरीके से महीन नक्काशी उनकी बनाई गई प्रतिमाओं पर रूपस्टतया दृष्टिगोचर होती है जो उनकी साधना एवं समर्पण की कहानी स्वयं ही बयां कर देती है प्राचीन भारतीय परंपरा के संवाहक बनकर उन्होंने प्रदेश भर में अपना एक अलग ही स्थान निर्धारित कर लिया है अपनी लगन, निष्ठा व मेहनत से दर्जनों पत्थरों की प्रतिमाओं को बना डाला । उनके शिवलिंग स्नेहीजन विदेशों में तक ले गये प्रशंसकों की भावनाओं को देखते हुये उन्होंने भी सहर्ष अनेकों लोगों को भेंट कर दिये । छोटे एवं बड़े मंदिरों के निर्माण में उनकी आध्यात्मिक एवं धार्मिक आस्था उभरकर सामने आती है ।

जाट की कार्यकुशलता के बारे में उनकी प्रतिमाओं को देखकर सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि वह जंगलों, गांॅवों व खेतों पर पड़े अनुपयोगी बेजुवान लकड़ी के टुकड़े में एक साथ तीन व चार जानवरों को चित्रित कर आश्चर्य में डाल देते हैं । प्रकृति, पर्यावरण, जंगल, जीव जंतुओं व मानवीयता से समृद्ध जीवन की कल्पना पर आधारित उनकी प्रतिमाऐं स्वच्छ समाज की स्थापना की दिशा में संदेश देती दिखाई पड़ती है प्रत्येक प्रतिमा में जीवन को प्रगतिशील बनाने का मानवीय गुणों को प्रतिबिंबित करता हुआ कौशल रहस्य में डाल देता है श्री हितकुंज की सार्वभौमिकता को निरूपित करते हुये उन्होंने बेहतरीन प्रयास किया है जिसमें मोर, सर्प, नेवला एवं ऊदबिलाव को एक ही काष्ठ पीस में चारों को परस्पर सामंजस्य से दर्शाकर बहुत सुन्दर निर्माण किया गया है मध्य प्रदेश में शिवपुरी जिले के कोलारस तहसील प्लेस पर विधि व्यवसाय मेें रत ग्राम बैंहटा के एडवोकेट सुरेन्द्र सिंह जाट प्राचीन हस्त कौशल गतिविधियों को संचालित कर रहे हैं । वह बताते हैं कि यह सब उनके पिताश्री की देन है जिनसे प्रेरणा लेकर वह इस कला की तपश्चर्या में सुखद एवं शांति से परिपूर्ण जीवन चक्र को आगे बढ़ा रहे हैं । क्षेत्र के नायाब कलाकार की इस गरिमामय हस्तकलां की जितनी भी प्रशंसा की जाये, वह शायद कम ही होगी । प्रचार-प्रसार, पुरूष्कार एवं शासन से दूर वह एक साफ स्वच्छ परिवेश के सन्निर्माण में निर्भीकता से जुटे हुये है । मानव जाति के इतिहास की नींव कला पर वह खूबसूरती से विकास की व्याख्या कर रहे हैं । क्षेत्र के गौरव कला के आदर्श स्थापित करने वाले व्यक्तित्व की प्रतिभा निरन्तर प्रकाशमान होकर अपनी भव्यता को प्रकाशित करती रहे । 

                                   संतोष कुमार गौड़ एडवोकेट की कलम से

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