तन्खा की मानहानि मामले में शिवराज, वीडी और भूपेंद्र सिंह को राहत, जमानती वारंट पर HC की रोक - MP News



मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा और पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह को राहत दी है। अंडरटेकिंग देने के लिए व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने के आदेश का पालन न करने पर उनके खिलाफ जमानती वारंट जारी हुए थे। हालांकि, हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने गुरुवार को कहा कि शिवराज और शर्मा इस समय लोकसभा चुनावों में प्रत्याशी हैं। इस आधार पर उनके खिलाफ जमानती वारंट जारी करने के दो अप्रैल के फैसले पर रोक लगाई जाती है। 

जस्टिस संजय द्विवेदी की बैंच ने भाजपा के तीनों वरिष्ठ नेताओं के खिलाफ जमानती वारंट जारी करने के आदेश पर रोक लगा दी है। इस संबंध में अगली सुनवाई 23 अप्रैल को होगी। तब तक भाजपा के तीनों नेताओं के खिलाफ कोई वारंट जारी नहीं होगा। राज्यसभा सांसद व कांग्रेस के वरिष्ठ नेता विवेक तन्खा ने दस करोड़ रुपये की मानहानि का मुकदमा दायर किया है। एमपी-एमएलए कोर्ट ने शिवराज सिंह चौहान, विष्णुदत्त शर्मा व भूपेन्द्र सिंह के खिलाफ पांच-पांच सौ रुपये का जमानती वारंट जारी किया है। कोर्ट ने पाया कि आदेश के बावजूद भी तीनों अंडरटेडिंग देने व्यक्तिगत रूप से उपस्थित नहीं हुए। कोर्ट ने प्रकरण में अगली सुनवाई सात मई को निर्धारित की है। शिवराज सिंह चौहान विदिशा से और विष्णुदत्त शर्मा खजुराहो से भाजपा के प्रत्याशी हैं। विदिशा में तो सात मई को ही मतदान होना है। इस लिहाज से दोनों का व्यक्तिगत तौर पर उपस्थित होकर अंडरटेकिंग देना थोड़ा मुश्किल है। वकीलों की यह दलील कोर्ट ने स्वीकार की और फिलहाल वारंट जारी करने पर रोक लगाई है। 


यह है मानहानि याचिका
 कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य विवेक कृष्ण तन्खा ने एमपीएमएलए कोर्ट जबलपुर में शिवराज, वीडी शर्मा और भूपेंद्र सिंह के खिलाफ 10 करोड़ की मानहानि का परिवाद दायर किया था। परिवाद में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट में ओबीसी आरक्षण पर उन्होंने कोई बात नहीं कही थी। उन्होंने मध्य प्रदेश में पंचायत और निकाय चुनाव मामले में परिसीमन और रोटेशन की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में पैरवी की थी। सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव में ओबीसी आरक्षण पर रोक लगा दी तो भाजपा नेताओं ने साजिश करते हुए इसे गलत ढंग से पेश किया भाजपा नेताओं ने गलत बयान देकर ओबीसी आरक्षण पर रोक का ठीकरा उनके सिर फोड़ दिया। इससे उनकी छवि धूमिल करके आपराधिक मानहानि की है। एमपी-एमएलए विशेष कोर्ट ने 20 जनवरी को तीनों के विरुद्ध मानहानि का प्रकरण दर्ज करने के निर्देश दिए थे।

अंडरटेकिंग देने नहीं हुए उपस्थित
कोर्ट ने तीनों नेताओं को 22 मार्च को मामले की सुनवाई में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित के निर्देश दिए थे। निर्धारित तारीख को तीनों नेताओं की तरफ से गैर-हाजिरी माफी आवेदन प्रस्तुत किया था। स्वयं को लोकसभा चुनाव में व्यस्त बताते हुए आग्रह किया था कि उन्हें सात जून तक का समय प्रदान किया जाए। न्यायालय ने आवेदन स्वीकार किया था। साथ ही कहा था कि तीनों नेता दो अप्रैल को स्वयं उपस्थित होकर इस संबंध में अंडरटेकिंग प्रस्तुत करें। दो अप्रैल को भी तीनों नेता कोर्ट में उपस्थित नहीं हुए। इसे कोर्ट ने गंभीरता से लिया और उनके खिलाफ जमानती वारंट जारी करते हुए सात मई को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने का आदेश जारी किया था। इस आदेश पर ही हाईकोर्ट ने रोक लगाई है।  

हाईकोर्ट से नहीं मिली थी राहत
तीनों नेताओं ने मानहानि का प्रकरण दर्ज करने के खिलाफ हाईकोर्ट की शरण ली थी। तीनों नेताओं ने हाईकोर्ट से आग्रह किया था कि प्रकरण की सुनवाई के दौरान उन्हें व्यक्तिगत उपस्थिति से छूट प्रदान की जाए। याचिका की सुनवाई करते हुए जस्टिस संजय द्विवेदी की सिंगल बैंच ने तीनों नेताओं को लोकसभा चुनाव की व्यस्तता के आधार पर हाजिरी माफी का आवेदन संबंधित न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करने के निर्देश दिए थे। हाईकोर्ट में याचिका की अगली सुनवाई 23 अप्रैल को निर्धारित है।

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