ईश्वर साधना से मिलते हैं साधनों से नही - बृजभूषण महाराज - Kolaras



कोलारस - भगवान को जब - जब किसी ने प्राप्त किया है तब तब उसने घोर तपस्या करके अथवा जो है प्रेम के द्वारा परमात्मा को प्राप्त किया है क्योंकि भगवान साधनों से प्राप्त नहीं होते परमात्मा को तो साधना के द्वारा ही प्राप्त किया जा सकता है एवं ईश्वर को भक्ति के द्वारा ही प्राप्त किया जा सकता है अन्य किसी मार्ग के द्वारा परमात्मा से मनुष्य का प्रेम हो ही नहीं सकता यह प्रवचन लुकवासा में स्थित श्री मुड़िया खेड़ा धाम में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के छठवें दिन आचार्य श्री बृजभूषण महाराज ने दिए और उन्होंने बताया की साधनों के द्वारा सांसारिक सुखों का आनंद लिया जा सकता है लेकिन अपने आत्मा का आनंद एवं जो है परलोक का आनंद साधना के द्वारा ही प्राप्त किया जा सकता है आचार्य जी ने भागवत के प्रसंग में बताया कि आजकल माता-पिता अपने बच्चों को साधनों से तो उपलब्ध करा रहे हैं परंतु उनके लिए संस्कारवान नहीं बना रहे इसलिए प्रत्येक माता-पिता को चाहिए कि अपने पुत्रों को संस्कारवान अवश्य बनाएं क्योंकि संस्कार युक्त संतान कभी भी पतित नहीं होती है एवं उनका जीवन में उत्थान सदैव होता रहता है इसलिए अपनी संतान को धन भले ही कम देना परंतु उनके लिए संस्कारवान अवश्य बनाना आचार्य जी ने कथा के प्रसंग में सुंदर महारास की कथा का वर्णन किया और उन्होंने बताया कि जो महारास की लीला जो है यह भगवान की अलोकिक लीला है जो कि उन्होंने गोपियों को प्रसन्न करने के लिए की थी आचार्य जी ने कंस वध आदि का वर्णन किया और बताया कि पापी कितना ही महान हो उसका अंत सुनिश्चित हैं आचार्य जी ने कथा के अंत में रुक्मणी कृष्ण का विवाह संपन्न कराया एवं सुंदर व्याख्यानों के द्वारा कथा को विश्राम दिया कथा का आयोजन 11 अप्रैल से 17 अप्रैल तक किया जा रहा है कथा का समय 2:00 बजे से शाम 6:00 बजे तक रखा गया

Post a Comment

Previous Post Next Post

संपर्क फ़ॉर्म