सागर शर्मा शिवपुरी - कलेक्टर रवीन्द्र कुमार चौधरी द्वारा समस्त कार्यालय प्रमुखों को निर्देश दिए है कि अपने एवं अपने अधीनस्थ एवं सम्बद्ध कार्यालयों में आंतरिक परिवाद समिति का गठन करें साथ ही आंतरिक परिवाद समिति गठित कर जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला एवं बाल विकास को अवगत कराऐं।
सर्वाेच्च न्यायालय द्वारा कार्यस्थल पर कामकाजी महिलाओं का यौन उत्पीड़न रोकने के लिए आंतरिक परिवाद समितियों के गठन के निर्देश दिये है जिसमें सर्वाेच्च न्यायालय द्वारा महिलाओं के यौन उत्पीडन को लैंगिक असमानता, स्वंतत्रता के अधिकारों का उल्लंघन, भेदभाव पूर्ण बताते हुए इसकी रोकथाम के लिए कड़े निर्देश दिये है। महिलाओं का कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न (निवारण, प्रतिषेध एवं प्रतितोष) अधिनियम 2013, नियम 2013 के अध्याय 2 की धारा 4 के अंतर्गत शासकीय, अशासकीय, निगम, मण्डल के साथ ही उन सभी संस्थाओं में जहां 10 या 10 से अधिक कर्मचारी कार्यरत है, में अंतरिक परिवाद समिति गठन करने का प्रावधान है।
आंतरिक परिवाद समिति का गठन - प्रत्येक कार्यालय में कार्यालय प्रमुख/ नियोक्ता एक आंतरिक परिवाद समिति का गठन करेगा इस आंतरिक परिवाद समिति में सदस्य के रूप में पीठासीन अधिकारी के रूप में कार्यस्थल पर कार्यरत वरिष्ठ महिला अधिकारी / कर्मचारी को नियुक्त किया जाएगा। यदि कार्यस्थल पर वरिष्ठ महिला उपलब्ध नहीं है, तो अन्य कार्यालय से ऐसी महिला को नामांकित किया जाएगा कर्मचारियों में से दो सदस्य ऐसे होगे जो महिलाओं की समस्याओं के प्रति प्रतिबद्ध है अथवा जिनके पास समाज सुधार के कार्य में अनुभव है या विधिक ज्ञान है महिलाओं की समस्याओं के प्रति प्रतिबद्ध एवं लैंगिक उत्पीड़न से संबंधित मुद्दों से परिचित गैर सरकारी संगठनों से एक सदस्य नामांकित किया जाएगा। कुल नामांकित सदस्यों में से कम से कम आधी सदस्य महिलाऐं होगी समिति के पीठासीन अधिकारी एवं सदस्यों की नियुक्ति अधिकतम 03 वर्षों के लिए होगी। 03 वर्ष पश्चात समिति का पुनर्गठन किया जाऐगा अधिनियम की धारा 26 में दिये गये प्रावधानों का उल्लंघन करने पर 50 हजार रूपये अर्थदण्ड अधिरोपित करने का प्रावधान है।