कोलारस - गुरूवार 31 अक्टूबर को जहां वैष्णव हिन्दू संप्रदाय के लोग जहां रूप चतुर्दशी यानि की छोटी दीपावली एवं लक्ष्मी पूजन एक साथ मनायेंगे तो दूसरी ओर कुछ लोग गुरूवार को छोटी दीपावली यानि की रूप चतुर्दशी तथा अगले दिन शुक्रवार को लक्ष्मी पूजन करेंगे दराशल अमावष्या का आगमन गुरूवार की शाम हुआ है जोकि शुक्रवार की शाम तक रहेगा जिसके चलते इस बार लक्ष्मी पूजन कहीं गुरूवार को तो कहीं शुक्रवार को मनाया जायेगा पंचागों के आधार पर विध्ववानों की एक राय न होने के चलते यह पहला मौका है जब वैष्णव हिन्दू संप्रदाय के लोग इस बार दो दिन दीपावली मनायेंगे तो कुछ लोग दोनो दिन लक्ष्मी पूजन भी करेंगे कोलारस की बात करें तो श्री घनश्याम आचार्य जी जगत गुरू, स्वामी केशवा आचार्य जी महाराज एवं निर्णय सागर पंचाग से लेकर कोलारस के मंदिरोें पर 01 नवम्बर शुक्रवार को लक्ष्मी पूजन करने की जानकारी प्राप्त हुई है।
गुरूवार को रुप चतुर्दशी मनाई जायेगी पंडित नवल किशोर शास्त्री
कार्तिक कृष्ण पक्ष चतुर्दशी की रात्रि के अ अन्तमें-जिस दिन चन्द्रोदयके समय चतुर्दशी हो उस दिन प्रभात समयमें दन्तधावन आदि करके 'यमलोकदर्शना- भावकामो ऽहमभ्यंगस्नानं करिष्ये ।' यह संकल्प करे और शरीरमें तिलके तेल आदिका उबटन या मर्दन करके हलसे उखड़ी हुई मिट्टीका ढेला, तुम्बी और अपामार्ग (ऊँगा) - इनको मस्तकके ऊपर बार-बार घुमाकर शुद्ध स्नान करे। यद्यपि कार्तिकस्नान करनेवालोंके लिये 'तैलाभ्यंगं तथा शय्यां परान्नं कांस्यभोजनम्। कार्तिके वर्जयेद् यस्तु परिपूर्णव्रती भवेत् ॥' के अनुसार तैलाभ्यंग वर्जित किया है, किंतु 'नरकस्य चतुर्दश्यां तैलाभ्यंगं च कारयेत् अन्यत्र कार्तिकस्नायी तैलाभ्यंगं विवर्जयेत् ॥' के आदेशसे नरकचतुर्दशी या (रूपचतुर्दशी) को तैलाभ्यंग करनेमें कोई दोष नहीं यदि रूपचतुर्दशी दो दिनतक चन्द्रोदयव्यापिनी हो तो चतुर्दशीके चौथे प्रहरमें स्नान करना चाहिये इस व्रतको चार दिनतक करे तो सुख-सौभाग्यकी वृद्धि होती है।