मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के चर्चित नर्सिंग कॉलेज स्कैम (Nursing College Scam) में सरकार ने बड़ा एक्शन लिया है. एमपी हाईकोर्ट (MP High Court) की फटकार के तुरंत बाद नर्सिंग मामले में सरकार ने एक्शन लेते हुए नर्सिंग काउंसिल (Nursing Council New Chairman) के चेयरमैन और रजिस्ट्रार को हटा दिया. साथ ही, मनोज कुमार सरियाम (भाप्रसे) अपर संचालक, स्वास्थ्य सेवाएं को नर्सिंग काउंसिल के चेयरमैन और कृष्ण कुमार रावत (रा.प्र.से.) राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के मुख्य कार्यपालन अधिकारी को नर्सिंग काउंसिल के रजिस्ट्रार का कार्यभार सौंपा दिया है. बता दें कि गुरुवार को जबलपुर में नर्सिंग फर्जीवाड़ा मामले में सुनवाई के दौरान कोर्ट ने विभाग से जवाब मांगा था कि आदेश देने के बाद भी अब तक इन दोनों को पद से क्यों नहीं हटाया गया है...
एमपी हाईकोर्ट ने लगाई थी फटकार
नर्सिंग घोटाला मामले में गुरुवार को लॉ स्टूडेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष विशाल बघेल की जनहित याचिका के साथ अन्य सभी नर्सिंग मामलों की सुनवाई के दौरान आदेश का पालन न होने पर हाइकोर्ट ने कड़ी नाराजगी जताई थी जिसके चलते सरकार हरकत में आई और देर रात हाईकोर्ट के आदेश का पालन करते हुए काउंसिल के दोनों अधिकारियों को हटाया गया. हाईकोर्ट ने अपने आदेश में राज्य सरकार को यह भी निर्देश दिए हैं कि याचिकाकर्ता ने रजिस्ट्रार अनीता चांद पर आरोप लगाए हैं कि उन्होंने 14 दिसंबर को नर्सिंग काउंसिल के कार्यालय से जरूरी दस्तावेज और फाइलें गायब की हैं. इसकी पुष्टि के लिए हाइकोर्ट ने काउंसिल ऑफिस के 14 दिसंबर से 19 दिसंबर तक के सीसीटीवी फुटेज को सुरक्षित करने के लिए कहा है।
प्रक्रिया पूरी करने के मिले निर्देश
एमपी हाइकोर्ट ने नर्सिंग मामले में राज्य सरकार को सत्र 2024-25 की नर्सिंग कॉलेजों की मान्यता की प्रक्रिया समयबद्ध तरीके से निपटाने के निर्देश भी दिए हैं. कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा है की अगर समय पर मान्यता और एडमिशन की प्रक्रिया नहीं की गई, तो छात्रों के करियर पर असर पड़ेगा. इसलिए मान्यता प्रक्रिया समय पर निपटाने के उचित कदम उठाए जायें।
क्या है नर्सिंग फर्जीवाड़ा मामला
मध्य प्रदेश में पिछले कई सालों से स्वास्थ्य शिक्षा विभाग के बड़े अधिकारी ऐसे नर्सिंग कॉलेज चलाते पाए गए, जिनके पास कोई परिसर तक नहीं था. कई कॉलेज 2-3 कमरों में चलते मिले, तो कई सिर्फ कागजों पर मिले. इसमें सीबीआई रिपोर्ट से यह भी साबित हो गया कि मध्य प्रदेश में 308 नर्सिंग कॉलेज में से सिर्फ 169 नर्सिंग कॉलेज ही मानकों के अनुसार चल रहे थे. इसके अलावा, नर्सिंग कॉलेजों में एडमिशन को लेकर भी बड़ा घोटाला उजागर हुआ था इन दोनों मामलों के कारण मध्य प्रदेश में नर्सिंग के छात्रों को बहुत परेशानी का सामना करना पड़ रहा था।