जिले में नरवाई जलाने पर दर्ज हुए 32 प्रकरण 90 हजार का जुर्माना, 07 प्रकरणों में दर्ज हुई एफआईआर - Shivpuri

नरवाई न जलाने के लिए लगातार किसानों को दी जा रही जानकारी

शिवपुरी - वर्तमान में गेहूं फसल की कटाई के बाद कुछ किसान गेहूं के अवशेष (नरवाई) को जला रहे है जिले में कई गांव में ऐसी घटनाएं घटित हुई है जिनमें लगातार कार्रवाई की गई है। अभी नरवाई जलाने की घटनाओं में कार्यवाही करते हुए 32 प्रकरण दर्ज किए जिनमें 90000 रुपए का जुर्माना किया गया है शिवपुरी में सात प्रकरणों में 20000 का अर्थ दंड, पोहरी में पांच प्रकरण में 17500 का अर्थ दंड, कोलारस में 20 प्रकरणों में 52500 रुपए का अर्थ दंड लगाया गया है और सात प्रकरण में किसानों पर एफआईआर दर्ज की गई है जिसमें कोलारस में 6 और शिवपुरी में एक एफआईआर दर्ज की गई है। 

लगातार स्थानीय अमले द्वारा और प्रचार प्रसार के विभिन्न माध्यमों से किसानों को नरवाई न जलाने के लिए जागरूक किया जा रहा है।

 कलेक्टर रवींद्र कुमार चौधरी ने इस संबंध में प्रतिबंधात्मक आदेश जारी किया है और आदेश का उल्लंघन करने वाले पर लगातार कार्यवाही जारी है।

विदित हो कि नरवाई जलाने से पर्यावरण को भारी क्षति पहुँचती है, साथ ही खेत की मिट्टी के लाभदायक सूक्ष्म जीवाणु मर जाते हैं भूमि की उर्वरता घट जाती है इसलिए किसान खेतों में नरवाई न जलाएँ गेहूं फसल की नरवाई (अवशेष) खेत में जलाने के बजाय रोटावेटर के उपयोग से गेहूं के डंठल को खेत में ही नष्ट करें जिससे भूमि में कार्बनिक पदार्थों की मात्रा बढ़ने से भूमि की उर्वरा शक्ति में वृद्धि होगी फसल के अवशेष जलाने से फैलने वाले प्रदूषण पर अंकुश, अग्नि दुर्घटना रोकने एवं जान-माल की रक्षा के उद्देश्य से नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के दिशा-निर्देशों के तहत आदेश जारी कर जिले में गेहूं की नरवाई इत्यादि जलाने पर प्रतिबंध लगाया गया है नरवाई जलाना दण्डनीय अपराध है। जिले में जो भी कृषक या अन्‍य व्‍यक्ति खेत में नरवाई(अवशेष) जलाते हुये पाये जाते है तो उनके विरूद्ध कार्यवाही की जायेगी। जिसमें 2 एकड़ तक के कृषकों को 2500 रुपये, 2 से 5 एकड़ तक के कृषकों को 5000 रुपये तथा 5 एकड़ या अधिक के कृषकों को 15000 रुपये का अर्थदंड देना होगा।

उप संचालक किसान कल्याण एवं कृषि विकास यू एस तोमर ने बताया कि नरवाई जलाने से भूमि में अम्लीयता बढ़ती है, जिससे मृदा को अत्यधिक क्षति पहुँचती है । सूक्ष्म जीवाणुओं की सक्रियता घटने लगती है एवं भूमि की जलधारण क्षमता पर भी विपरीत प्रभाव पडता है। किसान भाई कम्बाईन हार्वेस्टर से कटाई के साथ ही भूसा बनाने की मशीन को प्रयुक्त कर यदि भूसा बनायेंगे तो पशुओं के लिए भूसा मिलेगा और फसल अवशेषों का बेहतर प्रबंधन हो सकेगा। साथ ही भूमि की उर्वरा शक्ति बनी रहेगी और पर्यावरण भी सुरक्षित होगा।

दलों का गठन

नरवाई जलाने की घटनाओं पर नियंत्रण और प्रबंधन के उद्देश्य से  दल का गठन किया गया है। घटनाओं के प्रबंधन के लिए कंबाइन हार्वेस्टर के साथ स्ट्रा मैनेजमेंट सिस्टम के उपयोग को अनिवार्य किया गया है।जिसके तहत सहायक संचालक कृषि मनोज कुमार रघुवंशी को नोडल अधिकारी और सहायक संचालक कृषि एस एस घुरैया को सहायक नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है। 

 जिला स्तर पर कंट्रोल रूम की स्थापना

  सहायक कृषि यंत्री भगवान सिंह नरवरिया को और सहायक संचालक कृषि डॉ किरण रावत को नोडल नियुक्त किया गया है। नरवाई में आग लगने की घटनाओं की जानकारी 9926346695 पर शिकायत दर्ज की जा सकेगी। 
 
नरवाई प्रबंधन जागरूकता रथ

जिले में नरवाई जलाने की घटनाओं पर नियंत्रण एवं प्रबंधन के लिए किसानों को जागरूकता रथ के माध्यम से भी जागरूक किया जा रहा है। यह रथ गांव गांव घूमकर किसानों को बताएगा कि नरवाई जलाने से न केवल पर्यावरण प्रदूषण होता है बल्कि खेतों की मिट्टी की उर्वरा शक्ति भी नष्ट होती है, इसलिए नरवाई न जलाएं बल्कि सुपर सीडर का उपयोग करें।

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