शिवपुरी - अखंड ब्राह्मण सेवा समिति भारतवर्ष का दो दिवसीय महाधिवेशन "ब्राह्मण महाकुम्भ" प्रयागराज में संपन्न हुआ। जिसमे मध्यप्रदेश, विहार, राजस्थान, गुजरात, दिल्ली, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश के पदाधिकारियों ने सम्मिलित होकर अपने विचार प्रस्तुत किये l
राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं सस्थापक पण्डित सुभाष चतुर्वेदी ने कहा कि जब तक ब्रह्मणों पर राजनितिक प्रभाव रहेगा तब तक ब्राह्मण वर्ग सामाजिक स्तर पर उन्नति नही कर सकता l मध्यप्रदेश के प्रदेश अध्यक्ष पंडित रविराजन मिश्रा ने अपने उद्बोधन में भारत की न्यायपालिका पर प्रश्नचिन्ह उठाते हुए कहा कि आतंकियों के लिए रात्रि में भी कोर्ट खुल सकती है, किन्तु हजारो निरपराध लोग जेलों में बंद है, जिनमे एस्ट्रोसिटी एक्ट से प्रताड़ित लोग भी है, उनकी कोई सुनवाई नही होती है। बल्कि याकूब मेमन जैसे लोगो को सरकारी दामाद बनाकर ऐश ओ आराम की जिन्दगी दी जाती है l कार्यक्रम में इन राज्यों के प्रबुद्ध वक्ताओ ने भी अपने विचार रखे l
शिवपुरी जिला अध्यक्ष पण्डित कैप्टन चन्द्र प्रकाश शर्मा को टीम सहित सम्मानित किया गया।
कैप्टन चन्द्र प्रकाश शर्मा ने अपने उद्बोधन में कहा कि सबकी नकल की जा सकती है लेकिन चरित्र, व्यवहार, संस्कार और ज्ञान की नकल नहीं हो सकती है। यह निरंतर अभ्यास, मेहनत, सात्विक वातावरण और गुणवान लोगों की संगति से ही संभव है जिला अध्यक्ष शर्मा ने कहा कि ब्राह्मणों को कान्यकुब्ज, सनाढ्य, भार्गव, गौड़, जिझोतिया, सरयूपारी, महाराष्ट्रीयन ब्राह्मण, पंजाबी ब्राह्मण, कश्मीरी ब्राह्मण, तथा दक्षिण भारतीय ब्राह्मण का भेद मिटाकर ब्राह्मण मात्र से विवाह संबंध करना चाहिए। विवाह सही समय पर, सही उम्र पर, बिना फिजूल खर्ची और बिना दिखावे के होना चाहिए आज 55% ब्राह्मण गरीबी की रेखा से नीचे रह रहे है, ऐसे लोगों के लिए हर शहर में ब्राह्मण छात्रावास, धर्मशाला बनाना चाहिए जिससे गरीब ब्राह्मण को शिक्षा में मदद मिल सके।
जिला अध्यक्ष ने कहा कि हमें मेहनत से पीछे नहीं हटना चाहिए। काम में शर्म नहीं करनी चाहिए, कर्म ही धर्म है। कार्य छोटा - बड़ा नहीं होता। जो कौम मेहनत करना छोड़ देती है, आलसी हो जाती है, उसका पतन निश्चित है।
शिवपुरी की ओर से जिला महासचिव श्री दिनेश चन्द्र शर्मा ने कहा कि सुंदरकांड, धार्मिक ग्रंथ, गीता, रामायण का पठन-पाठन घर में जरूर होना चाहिए, जिससे हमारे संस्कार सुधरे। उपाध्यक्ष हरिवंश त्रिवेदी ने ब्राह्मण एकता पर बल दिया। सलाहकार कैलाश नारायण मुद्गल ने संस्कृत के पठन-पाठन, शिखा, तिलक, जनेऊ के महत्व को बताया। सचिव संजय शर्मा , कोषाध्यक्ष नरहरि प्रसाद अवस्थी ने अपने विचार व्यक्त किये। संभागीय सचिव पंडित बालमुकुंद पुरोहित ने ब्राह्मणों की दुर्दशा का कारण एक दूसरे की टांग खींचना, बुराई करना, कथनी और करनी में अंतर बताया।
शाम को सभी विप्रबंधु, माताओं एवं बहनों ने गंगा आरती में भाग लिया। सभी को त्रिवेणी संगम स्नान का पुण्य लाभ मिला । विभिन्न प्रदेशों से आए हुए ब्राह्मण बंधुओ से मिलने का अवसर पाकर सभी विप्रबंधु धन्य हुए।
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