नवरात्रा के आठवें दिन मां दुर्गा की महागौरी एवं कुलदेवी के रूप में पूजा होगी शनिवार को

नवरात्रा के आठवें दिन मां दुर्गा की महागौरी एवं कुलदेवी के रूप में पूजा होगी शनिवार को

कोलारस - मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा नवरात्रि के दौरान की जाती है। नवरात्रा वर्ष में चार वार पढते है। जिनमें दो वार गुप्त में तथा दो बार सभी लोग नवरात्रि के पर्व को नौ दिनों तक मनाते है। नवरात्रि में सप्तमी से लेकर अष्टमी तथा नवमी इन तीन दिनों में वैष्णव सम्प्रदाय के लोग मां दुर्गा जी को कुल देवी के रूप में पूजते है। शुक्रवार को सभी मंदिरों पर सप्तमी के रूप में मां दुर्गा की पूजा की गई शनिवार को उगिया तिधि यानि की सूर्य के निकलने के समय अष्टमी होने के कारण शनिवार को वैष्णव यानि की सनातन धर्मालम्वी लोग मां दुर्गा जी की महागौरी के रूप में कुलदेवी के स्थान पर पूजन करेंगे। रविवार को उगिया तिधि के अनुसार नवमी होने के कारण रविवार को मां दुर्गा जी की अनेक लोग कुलदेवी के रूप में पूजन अर्चन कर कन्या भोज के साथ नवरात्रि का व्रत उपवास खोलकर नवरात्रि के नौ दिनों के व्रत पूरे करेंगे। सोमवार को दशहरा पर्व तथा मंगलवार को एकादशी का पर्व मनाया जायेंगा। 

नवरात्रि के आठवें दिन मां महागौरी की पूजन अर्चना  

मां दुर्गा का आठवां स्वरुप है महागौरी। नवरात्रि के आठवें दिन मां महागौरी की पूजा अर्चना की जाती है। देवी मां के आठवें स्वरूप को महागौरी के नाम से पुकारा जाता है। वैसे तो कुछ लोग नवमी के दिन भी कन्या पूजन किया जाता है, लेकिन कहा जाता है कि अष्टमी के दिन कन्या पूजन करना ज्यादा फलदायी रहता है। मां महागौरी की पूजा करने से मन पवित्र हो जाता है और भक्तों की सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। कहा जाता है कि भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त करने के लिये इन्होंने कठोर तपस्या की थी। इस दिन मां की पूजा करने से मनचाहे जीवनसाथी की मुराद पूरी होती है। मां की पूजा करने से मनचाहे जीवनसाथी की मुराद पूरी होती है। मां महागौरी के प्रसन्न होने पर भक्तों को सभी सुख स्वतरू ही प्राप्त हो जाते हैं। साथ ही इनकी भक्ति से हमें मन की शांति भी मिलती है। मां की उपासना से तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार, संयम की वृद्धि होती है। ऐसा है स्वरूपरू मां की कृपा से अलौकिक सिद्धियों की प्राप्ति होती है। देवी महागौरी का अत्यंत गौर वर्ण हैं। इनके वस्त्र और आभूषण सफेद हैं। इनकी चार भुजाएं हैं। महागौरी का वाहन बैल है। देवी के दाहिने ओर के ऊपर वाले हाथ में अभय मुद्रा और नीचे वाले हाथ में त्रिशूल है। बाएं ओर के ऊपर वाले हाथ में डमरू और नीचे वाले हाथ में वर मुद्रा है।


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