लोग मर रहे है, आप चुनाव में व्यस्थ है, हम सरकार बदलने के लिए मजबूर है, केन्द्र सरकार से नाराज लोग दे रहे है कांग्रेस से बुरी हालत करने की चेतावनी

 

विश्व में कोरोना मरीजो की संख्या के आंकडो पर नजर डाली जाये तो बर्तमान में जितने मरीज भारत में निकल रहे है उसकी तुलना में अन्य देशो में इनते मरीज नही निकल रहे है। बर्तमान समय में देश की हम बात करें तो मरीजो की संख्या बडने के साथ- साथ मरने बालो की ंसंख्या में भी काफी बडोत्तरी हुई है। एक तरफ देश में कोरोना के मरीजो की संख्या बढ रही है दूसरी तरफ सरकार में बैठे लोग पश्चिम बंगला चुनाव में व्यस्थ है। लोग पूछ रहे है केन्द्र सरकार के लिए लोगो की जान से ज्यादा पश्चिम बंगाल का चुनाव क्या ज्यादा महत्वपूर्ण है जहां पूरी केन्द्र सरकार कई दिनो से चुनाव में व्यस्थ है और देश में कोरोना के मरीजो की संख्या इतनी बडती चली गई कि आज विश्व में सर्वाधिक मरीज भारत में निकल रहे है। सरकार के आंकडे कोरोना से मरने बाले जितने लोग बता रहे है, उसकी तुलना में यदि मुक्ति धाम जाकर सरकार देखे तो मरने बालो का आंकडा कई गुना अधिक है। सरकार भले ही कोरोना से मरने बालो का आंकडा छुपाती रहे किन्तु यह पब्लिक है और यह सव जानती है बस पब्लिक को समय यानि कि चुनाव का इंतजार है। 


क्या लोगो की जान से ज्यादा पश्चिम बंगाल का चुनाव है 



जो व्यक्ति कोरोना संक्रमण का शिकार हो चुके है या कोरोना के चलते जिन लोगो के अपने समय के पहले चले गये है उन लोगो की जुवान पर एक ही सवाल है कि क्या देश के लोगो की जान से ज्यादा केन्द्र सरकार को पश्चिम बंगाल का चुनाव है। क्योकि जहां मार्च माह में पश्चिम बंगाल का चुनाव प्रारंभ हो रहा था उसी समय कोरोना मरीजो की संख्या दिन प्रति दिन बढ रही थी। सरकार जिस प्रकार स्कूलो को बंद एवं बिना परीक्षा के छात्रो को पास कर सकती है क्या वही सरकार पश्चिम बंगाल का चुनाव आगे नही बडा सकती थी। जिस प्रकार पश्चिम बंगाल में केन्द्र सरकार भाजपा की सरकार बनाने के लिए पूरी ताकत झोंके हुये है उसके चलते देश में बडते कोरोना मरीजो की संख्या एवं लाचार स्वास्थ्य व्यवस्था के चलते जिस प्रकार आम लोगो में नाराजगी है, उससे यह लगता है पश्चिम बंगाल में सरकार किसी भी दल की क्यो न बन जाये किन्तु आने बाले लोकसभा के चुनावो में कोरोना का आक्रोश जनता केन्द्र की सरकार को बदलने के रूप में दिखाई दे सकता है। 


कहां हो सरकार न आॅक्सीजन, न दवायें, न मरीजो के लिए भर्ती करने से लेकर अंतिम संस्कार को जगह


केन्द्र सरकार के दवाब में काम करने बाली इलैक्ट्रोनिक मीडिया के आंकडो से हटकर जब लोग अपनो से दूसरे शहर में फोन लगाकर पूछते है कि आपके शहर में कोरोना की क्या स्थिति है। इस पर जो जबाव मिलता है वह सभी लोग भली भांति जानते है। कि केन्द्र की सरकार पश्चिम बंगाल में अपनी सरकार बनाने के लिए जुटी हुई है जबकि देश में कोरोना मरीजो की संख्या दिन प्रतिदिन घटने की जगह बड रही है। हालात यह हो चुके है कि कोरोना संक्रमण के शिकार लोग जब स्वास्थ्य केन्द्रो में पहुंच रहे है तो उन्हे क्या प्राईवेट क्या शासकीय कहीं भी इलाज के लिए जगह नही मिली रही है। लोग अपने ही घरो में बंद रहकर जान लेवा कोरोना संक्रमण का इलाज करने को मजबूर है और अपनो को बचाने के लिए अपनो से दूरी बनाकर कमरे में बंद रहने को मजबूर है। साथ ही जिन लोगो के परिजन कोरोना संक्रमण का इलाज स्वास्थ्य केन्द्रो में करा रहे है। उन्हे दबा मिलना तो दूर की बात है जीवित रहने के लिए आॅक्सीजन तक नसीब नही हो रही है। आॅक्सीजन से लेकर दवा एवं समय पर उपचार न मिलने के कारण जिन लोगो के परिजन कोरोना संक्रमण के चलतंे समय से पहले चले जाते है उन लोगो का अंतिम संस्कार करने के लिए कई दिनो तक इंतजार करना पड रहा है। इससे यह सिद्ध होता है कि देश में कोरोना मरीजो की संख्या एवं इलाज की देश में क्या व्यवस्था है। 

लोग पूछ रहे है कि संक्रमण पर अंकुश लगाने में लाचार सरकार को क्या रहने का हक है ?


देश में जिस प्रकार कोरोना संक्रमण मरीजो की संख्या बडने के साथ-साथ जिस प्रकार इलाज के अभाव में लोग समय से पहले अपनो को छोडकर जा रहे है। उससे देश के लोगो में आक्रोश है लोग पूछ रहे है कि आपके पास विश्व के आंकडे है और कोरोना कोई नई बीमारी नही है इसे डेढ वर्ष के करीब हो गया है। केन्द्र सरकार के पास कई ऐजेंसिओ से लेकर विश्वभर के आंकडे है। उसके बाद भी केन्द्र की सरकार जिस प्रकार अन्य क्षेत्रो में पैसा खर्च करती रही उसी तरह यदि दूसरे देशो की जगह स्वयं के देश के लोगो को वैक्सीन, आॅक्सीजन प्लांट, वेन्टीलेटर बनाने, कोरोना के लिए आवश्यक दवाओ की उपलब्धता यदि आज देश के पास होती तो कोरोना संक्रमण मरीजो की ंसख्या से लेकर मरने बालो की संख्या में इतनी बडोत्तरी नही होती। लोगो का केन्द्र सरकार से सवाल है कि 22 मार्च से लाॅक डाउन प्रारंभ हुआ उससे लेकर अभी तक केन्द्र सरकार ने जितनी भी तैयारियां की वह सभी नाकाम सावित हुई है। उसके चलते केन्द्र की लाचार सरकार को इस्तीफा देेने की मांग लोग करने लगे है। अन्यथा चुनाव होने पर कांग्रेस से बुरी हालत मोदी सरकार की करने की बात करते हुये लोग जगह‘-जगह देखे जा सकते है।  



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