बाढ़ पीडि़तों के लिए उम्मीद बनकर उभरी सहरिया क्रांति
▪️दुर्गम रास्तों का सफर तय कर मदद पहुंचा रहे हैं संजय बेचैन
▪️नदी तालाबों को पार कर पहुंचाई जा रही है राशन सामग्री
शिवपुरी - बाढ़ प्रभावित इलाकों में अभी भी हालत के जस तस के बने हुए हैं, जिन इलाकों में पानी भरा था और ग्रामीणों के घर गिर थे, उनके अनाज खराब हो गए थे वहां अभी भी लोगों को खाने के लिए अनाज नहीं है, सरकारी राहत सिर्फ कागजों में ही बंट रही है, वास्तविक आहत तक नहीं पहुंच पाई है। ऐसे में इन ग्रामीण इलाकों में अब सहरिया क्रांति पीडि़तों के लिए नई उम्मीद के रूप में उभरी है। सहरिया क्रांति के संयोजक संजय बेचैन सहरिया क्रांति के सदस्यों के साथ उबाड़ खाबड़ रास्तों से होते हुए बियावान जंगलों में नदी तालाबों को पार कर राशन सामग्री पहुंचा रहे हैं।
बाढ़ के कहर को 27 दिन से ज्यादा समय हो गया, कई हवाई सर्वे हुए, मंत्री मुख्यमंत्री ने दावे वादे किए लेकिन जमीनी हकीकत आप देखकर दंग रह जाएंगे। जी हां नरवर ब्लाक का गांव है पडुआ जो आज भी सड़क मार्ग से कटा हुआ है, इस गांव में ग्रामीण ट्यूब या लकड़ी की जुगाड़ नाव का सहारा लेकर जाते हैं। दुर्भाग्य बाढ़ के बाद आज तक इस गांव की न तो नेताओं ने सुध ली और न ही प्रशासन का अदना से कर्मचारी वहां आज तक कोई राहत सामग्री लेकर पहुंचा है । आदिवासियों ने अपने संजय बेचैन को अपने भयावह हालातों से अवगत कराया तो उन्होंने दुर्गम रास्ते पार कर इस गांव का रुख किया। आज कई दुर्गम रास्तों से होकर पैदल चलकर व टूटी नाव से सहरिया क्रांति साथी राजेन्द्र सहरिया व औतार सहरिया के साथ संजय बेचैन नरवर ब्लॉक के दूरस्थ गांव पडुआ गांव पहंचे जहां बाढ़ ने सब कुछ तवाह कर दिया है । आदिवासी खामोशी ओड़े हुए वहां नजर आ रहे थे बच्चे बूढ़े ओर जवान, इस गांव में आज 27 दिन बाद भी सर्वे तो दूर सेकेट्री व पटवारी तक नहीं पहुंचा, भूख से बिलखते आदिवासियों के बीच आज पहुंचकर उनको ढांढ़स बंधाया व राशन, कपड़े आदि सामग्री प्रदाय कर सेवा की।अभी तक सैकड़ों गांवों में हजारों लोगों को सहरिया क्रांति द्वारा सहायता पहुंचाई गई है।
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