भाजपा के बागी नेता संतोष शुक्ला जो दोनों पार्टियों द्वारा निकाले जाने की स्थिति में चर्चा का विषय बने हुए हैं
मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव 2023 के बीच बीजेपी और कांग्रेस ने बागी हुए नेताओं और कार्यकर्ताओं को अपनी पार्टी से निकाला दिया है। इनमें दोनों पार्टी के करीब 74 लोग शामिल हैं। हालांकि इनमें से सबसे ज्यादा चर्चा संतोष शुक्ला की हो रही है, क्योंकि दोनों ही पार्टियों की निष्कासन सूची में संतोष शुक्ला का नाम है। जबकि संतोष शुक्ला बीजेपी से बगावत करते हुए निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मुड़वारा विधानसभा से उम्मीदवार बने हुए हैं।
मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस द्वारा जारी हुई अधिकृत प्रत्याशियों की सूचियों के बाद से एकाएक दर्जनों नेताओं और कार्यकर्ताओं ने पार्टी से बगावत कर दी और दूसरी पार्टियों में शामिल हो गए। लेकिन पार्टी से उन तमाम लोगों को निकाला गया है जो चुनावी मैदान में निर्दलीय खड़े होकर पार्टी के लिए मुसीबतें पैदा करते नजर आ रहे हैं। बीजेपी ने बड़वारा विधानसभा से निर्दलीय चुनाव लड़ रही गीता पटेल सहित मुड़वारा की ज्योति दीक्षित और संतोष शुक्ला को भारतीय जनता पार्टी से निकाल दिया। वहीं, कांग्रेस ने भी मुड़वारा से संतोष शुक्ला और बहोरीबंद से शंकर महतो को पार्टी से छह वर्षों के लिए निष्कासित कर दिया है।
‘कांग्रेस की बात हजम नहीं हो रही’ - निर्दलीय उम्मीदवार संतोष शुक्ला ने बताया कि उनके द्वारा कांग्रेस पिछले 12 साल पहले ही छोड़ दी गई थी। उसके बाद से ही उन्होंने बीजेपी का दामन थाम लिया था। इसलिए बीजेपी से निष्कासन तो ठीक है कि मैंने पार्टी के खिलाफ चुनाव लड़ रहा हूं। लेकिन कांग्रेस की बात उन्हें हजम नहीं हुई। संतोष ने बताया कि चुनावी माहौल में कांग्रेस का निष्कासन उन्हें फ्री की पब्लिसिटी दिला रही है। फिलहाल मैं विकास के मुद्दे लेकर चुनावी मैदान में उतरा हूं।
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