गांवों में भी खुलेगी संजीवनी क्लीनिक
शहरों की तर्ज पर मिलेगी स्वास्थ्य सुविधा
प्रदेश के शहरों की तर्ज पर अब गांवों में संजीवनी क्लीनिक खोले जाएंगे ताकि ग्रामीण आबादी को भी बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराई जा सके। पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर एक क्लीनिक ग्रामीण क्षेत्र की किसी बस्ती में खोला जाएगा। ग्रामीण क्षेत्रों के लिए डॉक्टर मिले तो और क्लीनिक भी चरणबद्घ तरीके से खोले जाएंगे। दिल्ली के मोहल्ला क्लीनिक से प्रेरित होकर प्रदेश में संजीवनी क्लीनिक खोले जा रहे हैं। 20 दिन के भीतर छह शहरों में छह क्लीनिक खोले जा चुके हैं। 50 हजार की जनसंख्या पर एक क्लीनिक खोला जाना है। प्रदेश की शहरी बस्तियों में 288 संजीवनी क्लीनिक खोले जाएंगे। इन क्लीनिक में मरीजों की 68 तरह की जांचें व 120 तरह की दवाएं मुफ्त हैं। क्लीनिक का समय सुबह 10 से शाम 6 बजे तक है। ग्रामीण क्षेत्रों में खुलने वाले संजीवनी क्लीनिक में यही सुविधाएं रहेंगी। क्लीनिक का समय अलग हो सकता है। बता दें कि दिल्ली के मोहल्ला क्लीनिक की तर्ज पर केरल, तमिलनाडु, आंधप्रदेश और तेलंगाना में अलग- अलग नाम से क्लीनिक चल रहे हैं। एनएचएम के तहत इन क्लीनिक के लिए 60 फीसदी राशि भारत सरकार दे रही है।
प्रदेश के इंदौर, भोपाल, ग्वालियर, जबलपुर, रीवा और सागर में संजीवनी क्लीनिक प्रारंभ किए गए है। एक क्लीनिक में रोजाना 100 से 200 मरीज इलाज के लिए आ रहे हैं। इनमें डॉक्टरों का वेतन 25 हजार रुपए प्रतिमाह के साथ प्रति मरीज 40 रुपए प्रोत्साहन राशि दी जा रही है। वेतन व प्रोत्साहन राशि मिलाकर अधिकतम 75 हजार रुपए दिया जाएगा। ग्रामीण क्षेत्रों में संजीवनी क्लीनिक शुरू करने में सबसे ज्यादा दिक्कत डॉक्टरों को लेकर आएगी। ग्रामीण क्षेत्रों के लिए डॉक्टर मिलना मुश्किल हैं। ऐसे में सरकार को आयुष डॉक्टर या डेंटिस्ट पदस्थ करना पड़ सकता है। या फिर एमबीबीएस डॉक्टरों प्रोत्साहन राशि शहरों से ज्यादा देना होगी। इस संबंध में स्वास्थ्य मंत्री तुलसी सिलावट का कहना है कि शहरी क्षेत्रों में संजीवनी क्लीनिक बहुत अच्छे से चल रहे हैं। मरीजों की संख्या बहुत है। इसी तर्ज पर ग्रामीण क्षेत्रों क्लीनिक शुरू किए जाएंगे। सीएम से चर्चा कर जल्द ही पायलट के तौर पर एक-दो क्लीनिक शुरू करेंगे।
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