कोलारस में जैन समाज द्वारा विश्व शांति के लिये विधान का आयोजन जारी

 कोलारस में जैन समाज द्वारा विश्व शांति के लिये विधान का आयोजन जारी 

कोलारस - -पक्ष पन्दह दिन का होता है यदि ये सौलह दिवस का हो जाये तो इसमें भगवान शान्तिनाथ स्वामी की महा आराधना रूप सौलह दिवसीय विश्व शांति महायज्ञ का विशेष महत्व होता हैं मुनि पुगंव श्री सुधासागरजी महाराज ने इस संदर्भ में वहुत विस्तार से वताते हुये कहा था ये जगत के प्राणीयों के  कल्याण के लिए वहुत महत्व पूर्ण दिन है इस महा आराधना से आपको अतिशय पुण्य की प्राप्ति होगी ये सब नगर गौरव अंसू भइया जी के कारण हो सका वे हमेशा यहाँ महोत्सवो की भावना रखते हैं उक्त विचार महोत्सव के दौरान भारत वर्षिये दि जैन तीर्थ क्षेत्र कमेटी के राष्ट्रीय मुख्य पत्र तीर्थ वंदना के सह सम्पादक विजय जैन धुर्रा ने महा आराधना के दौरान व्यक्त किए ।

इसके पहले प्रतिष्ठा चार्य नगर गौरव अंसू भइया जी के मंत्रोकचार के वीच भगवान का अभिषेक किया गया इसके वाद विधान पुण्यार्जक परिवार महावीर कुमार संजय कुमार सन्मति जैन साखनौर विजय जैन धुर्रा अशोक नगर सुरेश चन्द अजय कुमार साखनौर नगर गौरव एडीजे कुलदीप  जैन, कासीराम राजेन्द्र कुमार अकाझिरि वीरेन्द्र कुमार दीपक कुमार नीतेश कुमार अकाझिरि अतुल सराफ सहित अन्य भक्तों ने भगवान की महा शान्तिधारा की  सभी पात्रों को रजत मुकुट तिलक कर जीवंदरजैन अजय जैन वन्टी शान्तिकुमार विपिन सर प्रवीण सराफ आदि ने सतकार किया 

मंडल पर ध्वज समर्पित किए

इसके वाद व्रह्मचारी अंसू भइया के मन्त्रोकचार के साथ मंडल पर विश्व शांति की भावना से शान्तिकलश रीना विजय धुर्रा प्रन्सी सन्मति जैन ने स्थापित किया 

इस अवसर पर ब्रह्मचारी अंसू भइया ने कहा कि भगवान की उपासना में हम जितना मन लगायेगे उतना शुभ कर्मों का पुण्य रूप वंध होगा जो हमारे भाग्य को जगायेगा उन्होंने कहा कि हमें आचार्य श्री विद्या सागर जी महाराज के आशीर्वाद से धर्म ध्यान करने का सौभाग्य मिला आज जो युवा इस मार्ग में लगे हैं ये सब आचार्यश्री की देन हैं इस नगर पर उनकी अनुकम्पा हमेशा रहती हैं परोक्ष मैं भी उनका आशीर्वाद हमे मिलता रहता है आज जो लोग भगवान की भक्ति कर रहे हैं वे भाग्य साली है नहीं तो अभी देखो लाकडाऊन में भगवान के दर्शन भी वहुत से नगरों में दुर्लभ हो गये थे

मंडल पर श्री फल अर्पित किए

 विश्व शांति महायज्ञ के दौरान क्रमक्रम से मंडल पर अर्घ समर्पित किए गए संगीत कर सुनील जैन के मधुर भजनों के साथ मुख्य पात्रों ने भगवान की महा आराधना करते हुए श्री फल समर्पित किए साथ ही साथ मंडल पर एक सौ आठ मत्रों के साथ ध्वजाये भी भक्तों दारा चड़ाई गई ।

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