कोरोना से पीड़ित लोगो के दर्द के कारण भाजपा को मिली दमोह, बंगाल में मात, यही हाल रहा तो केन्द्र और प्रदेश में भी भाजपा को आने वाले चुनावों में झेलनी पड़ सकती है नाराजगी

कोरोना से पीड़ित लोगो के दर्द के कारण भाजपा को मिली दमोह, बंगाल में मात, यही हाल रहा तो केन्द्र और प्रदेश में भी भाजपा को आने वाले चुनावों में झेलनी पड़ सकती है नाराजगी

हरीश भार्गव, शीलकुमार यादव, रोहित वैष्णव कोलारस - रविवार को मध्यप्रदेश के दमोह विधानसभा सीट के लिये हुये उपचुनाव का परिणाम देर रात्रि चुनाव अधिकारी द्वारा घोषित किया गया। दमोह के साथ पश्चिम बंगाल जहां देश से लेकर प्रदेश के नेता कोरोना महामारी के बीच पश्चिम बंगाल में चुनाव प्रचार करते रहे उसका परिणाम भी पश्चिम बंगाल की जनता ने रविवार की देर रात्रि बता दिया। कि जिस समय कोरोना से पीड़ित लोगो को सरकार से जो उम्मीदें थी। उन पर सरकार पूरी तरह से विफल रही उससे आक्रोषित मध्यप्रदेश के दमोह के मतदाताओं से लेकर पश्चिम बंगाल  के मतदाताओं में मध्यप्रदेश की भाजपा सरकार से लेकर केन्द्र सरकार को एक संदेश दिया है। कि 13 माह पूर्व 22 मार्च को लाॅक डाउन के रूप में जब देश में कोरोना वायरस का प्रवेश हुआ था। उसके बाद केन्द्र एवं प्रदेश की सरकारों ने जनता के टैक्स के पैसे को स्वास्थ्य के क्षेत्र में खर्च करने की जगह बंगाल के चुनाव में किस तरह पैसे की बर्वादी की है। देश की जनता मीड़िया के माध्यम से यह सब देखती रही की इधर वायरस के कारण देश के लोगों की बलि चड रही है। इधर जनता के टैक्स के पैसे से मध्यप्रदेश से लेकर देश के नेता स्वय को सुरक्षित करते हुये पश्चिम बंगाल में चुनाव प्रचार के रूप में करोड़ों रूपया पानी की तरह बर्वाद कर रहे है। देश के पास ऐसी कई एजेंसीयां है। जिनका काम सरकार को आपदा से पूर्व सचेत करना है। कि देश में विदेशों की तरह कोरोना वायरस तांडव मचा करता है। क्या एजेंसियों ने केन्द्र सरकार को इसकी जानकारी नहीं दी और यदि नहीं दी तो इसके लिये केन्द्र की एजेंसियां जिम्मेदार है। क्योंकि देश में आज यह स्थिति है। कि लोगो को कही भी इलाज कराने के लिये पलंग, आॅक्सीजन, दवा, चिकित्सक, अंतिम संस्कार के लिये जगह उपलब्ध नहीं हो पा रही है। मध्यप्रदेश से लेकर केन्द्र की सरकार को दमोह एवं पश्चिम बंगाल के चुनाव परिणामों ने एक सबक सिखाने का कार्य अवश्य किया है। यदि सरकार में बैठे लोग इसी तरह लोगो को मरते देखते रहे तो आने वाले चुनावों में शांत या मौन बैठी कांग्रेस के उम्मीदवारों को भाजपा के विरोध के कारण घर बैठे जनता दमोह एवं बंगाल की तरह चुनावों में विजय दिला सकती है। 


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