डी.आई.जी ने मनाया कर्म योगी संस्था के साथ राखी पर्व, नारी शक्ति को दिया शक्ति का भरोसा

झांसी - पुलिस उप महानिरीक्षक जोगेंद्र कुमार (DIG) झांसी परिक्षेत्र झांसी के आवास पर रक्षाबंधन का पावन पर्व आमंत्रित कर्मयोगी संस्था झांसी की अनेकों वीरांगनाओं के साथ भारतीय पारंपरिक विधि विधान एवं निर्धारित समय अनुसार आरंभ हुआ। कार्यक्रम में अंदर सैयर व्यापार मंडल एवं कर्मयोगी संस्था के अध्यक्ष पंडित संतोष कुमार गौड़, डॉक्टर आर.के. चतुर्वेदी एवं सूर्य प्रकाश मिश्रा आदि ने डी.आई.जी.को श्रीफल एवं शॉल ओढ़ाकर रक्षाबंधन पर्व का श्रीगणेश किया जिसमें कर्म योगी संस्था की  सभी वीरांगनाओं रोली हल्दी एवं अक्षत आदि लगाकर कलाई पर रक्षा सूत्र राखी आदि समर्पित की, कर्म योगी नारी शक्ति मैं रक्षाबंधन पर्व को लेकर एक बड़ा हर्ष और उल्लास देखा गया। रक्षाबंधन पर्व को असीम प्रेम का प्रतीक माना जाता है। इस दिन बहनें अपने भाइयों को रक्षासूत्र बांधती हैं और भाई अपनी बहनों को उनकी रक्षा का वचन देते हैं। पुलिस उपमहानिरीक्षक झांसी परिक्षेत्र झांसी ने सभी नारी शक्ति को शक्ति का भरोसा दिया।

     इस दौरान पंडित संतोष कुमार गौड़ ने कहा की मात्र 1 दिन रक्षाबंधन त्योहार पर बहनों से भाइयों के द्वारा कलाइयों पर राखी बधवाने मात्र से भारत की नारी शक्ति का सशक्तिकरण संभव नहीं।

       देश की वीरांगनाओं को  स्वयं भी अपने आप को समझना होगा भारत की नारी अपने आप में शक्ति है, जरूरत है खुद को पहचानने की, और हम सब भाइयों को उन्हें प्रोत्साहित करने की। परिवारों में लड़कियों की शादी के लिए दहेज इकट्ठा करने की बजाय उनकी शिक्षा पर खर्च किया जाए। जब नारी शिक्षित होगी तो समाज में व्याप्त अनेकों कुरीतियां का हल निकलेगा सामाजिक गतिविधियों में प्रतिभाग करने के लिए लड़कियों को प्रोत्साहित किया जाए।

       देश की प्रत्येक वीरांगना को बिना किसी निर्भरता के भी अपनी लाइन स्वयं तय करनी होगी। तय करना होगा कि उनकी मंजिल कहां है? वह उसे कैसे हासिल कर सकती हैं। स्वयं के आत्म विश्वास से ही उन अधिकारों की बात आगे बढ़ाई जा सकती है, जिसकी भारत की प्रत्येक महिला असली हकदार है। 

नीति निर्धारण में महिलाओं को हक, संसाधनों पर महिलाओं स्वामित्व ही उनको समान अधिकार दिला सकता है। यह शुरुआत घर से होनी चाहिए। 

महिलाओं को खुद बदलना होगा, पुरुषवादी समाज से अपेक्षाएं करने के बजाए खुद निर्णय लेने होंगे और अधिकारों के प्रति  जागरूक  होना होगा। 

समय आपका इंतजार नहीं करेगा, आपको खुद बदलना होगा, फिर समाज से बदलाव की उम्मीद करें। अधिकार कहीं से मिलते नहीं हैं, खुद लिए जाते हैं। 

समान अधिकार के लिए शिक्षा जरूरी है और शिक्षा के लिए प्रर्याप्त संसाधन होना अति आवश्यक है भारत में आज भी महिलाओं का एक तबका शिक्षा से दूर है, यहीं अधिकारों की ज्यादा जरूरत है। आज के दौर में समाज में महिलाओं को बराबरी का दर्जा दिलाए जाने के लिए बहुत काम करने की जरूरत है। कई घरों में संकुचित सोच के चलते आज भी बेटा-बेटी में भेदभाव किया जाता है। महिला सशक्तिकरण के लिए विवाह में पंडित जी को आठवें फेरे के रूप में कन्या भ्रूण हत्या न करवाने का संकल्प दिलाना चाहिए।

कार्यक्रम की अध्यक्षता श्रीमती गीता शर्मा, डॉक्टर आरके चतुर्वेदी एवं सूर्य प्रकाश मिश्रा ने की। कार्यक्रम के अंत में उपस्थित  संस्कृति गौड़, गीता शर्मा, प्रीति सिंह,  स्वेता पाराशर,  माला मल्होत्रा, प्रतिभा निगम, भारतीय गहलोत, आरती रीना साहू आदि का विकल्प निगम ने आभार व्यक्त किया।

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