शिशुओं की शिक्षा प्रारम्भ कराने से पूर्व आवश्यक है विद्यारम्भ संस्कार - ब्रह्मर्षि श्री राजेश जी महाराज


बसंत पंचमी पर सरस्वती शिशु मंदिर गणेश कॉलोनी में शिशुओं का किया गया विद्यारंभ संस्कार

शिवपुरी - विद्याभारती मध्यभारत प्रान्त की योजनान्तर्गत सरस्वती शिशु मंदिर गणेश कॉलोनी (विद्यापीठ परिसर) में बसंत पंचमी के पावन पर्व पर विद्यारम्भ संस्कार पूर्ण वैदिक पद्धति के साथ वेद पूजन एवं यज्ञ का आयोजन किया गया जिसमें  3 से 5 वर्ष के शिशुओं का विद्यारम्भ संस्कार किया गया ।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि ब्रह्मर्षि श्री राजेश जी महाराज शुकताल वाले, मुख्य वक्ता श्री शिरोमणि दुबे प्रादेशिक सचिव विद्याभारती मध्यभारत प्रान्त, विशिष्ट अतिथि श्री चंद्रहन्स पाठक विभाग समन्वयक  शिवपुरी विभाग, अध्यक्षता श्री पवन शर्मा प्रबंधक सरस्वती विद्यापीठ आवासीय विद्यालय द्वारा की गई ।
कार्यक्रम का शुभारंभ अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलित कर माँ सरस्वती के पूजन के साथ सरस्वती वंदना एवं वेद पूजन से किया गया ।
मुख्य अतिथि की आसंदी से ब्रह्मर्षि श्री राजेश जी महाराज ने अपने प्रबोधन में कहा कि भारतीय जीवन दर्शन में मनुष्य की जीवन यात्रा जन्म से लेकर मृत्यु पर्यन्त चलती है । इस यात्रा में मनुष्य को अनेक परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है । जीवन की इन बदलती परिस्थितियों में जीवन निर्वाह के लिए ऋषि-मुनियों ने कुछ विधि-विधान बताए हैं जिनका पालन करने से जीवन सुखमय बनता है शास्त्रों में इन नियमों को संस्कार नाम दिया गया है मनुष्य जीवन में ऐसे सोलह संस्कार होते हैं उनमें से एक है 'विद्यारम्भ संस्कार' । 
मुख्य वक्ता श्री दुबे ने कहा कि हिन्दू धर्म के अनुसार विद्यारम्भ संस्कार अति आवश्यक माना गया है ।शिशुओं में दिव्य संस्कारों का बीजारोपण है विद्यारम्भ संस्कार। बालक को अक्षर ज्ञान विषय ज्ञान के साथ श्रेष्ठ जीवन के सूत्रों का बोध कराना है विद्यारंभ संस्कार। बालक में अध्ययन के प्रति उत्साह पैदा करने के साथ अभिभावकों एव शिक्षकों  को भी उनके पुण्य पवित्र महान दायित्व के प्रति जागरूक करना है विद्यारम्भ संस्कार। भारतीय जीवन दर्शन में जीवन से मृत्यु तक 16 संस्कारों का अति महत्व है उनमें से अति महत्वपूर्ण संस्कार है विद्यारंभ संस्कार। बालक में मूल संस्कारों की स्थापना जिससे उसकी शिक्षा मात्र ज्ञान न रहकर जीवन निर्माण करने वाली हितकारी विद्या में परिणित हो सके। आधुनिक समाज मे विलुप्त होती जा रही हमारी सनातन संस्कृति शास्त्रों में उल्लेखित हमारे संस्कारों को सहेजता हुआ माँ सरस्वती के प्राकट्य दिवस पर आयोजित विद्यारम्भ संस्कार से हमारी भावी युवा पीढी को हमें समाज में सनातन संस्कृति का वाहक बनाना है उसके लिए हम सभी को अपनी जड़ों की तरफ लौटना ही होगा यही विद्याभारती का उद्देश्य है ।
कार्यक्रम की भूमिका विद्यालय की प्रधानाचार्या श्रीमती श्वेता श्रीवास्तव ने प्रस्तुत की साथ ही  सफल संचालन कु. दामिनी तोमर ने एवं सभी के प्रति आभार विद्यालय के प्राचार्य श्री उमाशंकर भार्गव ने किया ।
इस अवसर पर विभाग प्रचार प्रमुख श्री अरविन्द सविता सहित विद्यालय परिवार, नगर के गणमान्य नागरिक एवं पत्रकार उपस्थित रहे ।

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