मध्यप्रदेश

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बाल विवाह का अनुष्ठान करना, कराना एवं उसमें किसी भी प्रकार का सहयोग करना दंडनीय अपराध

शिवपुरी - समाज में अनेक ऐसी दुष्प्रथाएं प्रचलित है, जिन्हें मिटाना बेहद आवश्यक हो गया है बाल विवाह एक सामाजिक बुराई के साथ ही गंभीर अपराध की श्रेणी में आता है बाल विवाह बच्चों के विकास में सबसे बड़े अवरोध के रूप में चिन्हित किया गया है। बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 में बाल विवाह का अनुष्ठान करना, कराना एवं उसमें किसी भी प्रकार का सहयोग करना दंडनीय अपराध माना गया है। 

कलेक्टर एवं बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारी श्री अक्षय कुमार सिंह ने बताया कि बाल विवाह के लिए कानून में 2 वर्ष की सजा एवं एक लाख रूपये अर्थदंड का प्रावधान किया है संशोधित किशोर न्याय (बालकों की देखरेख एवं संरक्षण) अधिनियम 2015 में बाल विवाह को बच्चों के साथ क्रूरता मानते हुए 3 वर्ष की सजा एवं एक लाख रूपये अर्थदंड का प्रावधान किया गया है। प्रदेश को बाल विवाह रहित बनाने के लिए वर्ष 2013 से म.प्र. सरकार द्वारा लाड़ो अभियान का संचालन किया जा रहा है, उसके बावजूद भी बाल विवाहों का बड़ी संख्या में अनुष्ठान होना गंभीर विषय है आज भी प्रदेश में 39 प्रतिशत विवाह तय आयु से पूर्व हो रहे है। 

जिले में बाल विवाह प्रतिषेध की मंशा से अधिनियम की धारा 13 एवं 16 में प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए आवश्यक व्यवस्थाएं स्थापित की गई है। गांव/वार्ड में बाल विवाह होने पर उसे स्थान के ग्राम/वार्ड स्तरीय अमले (आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, सहायिका, आशा कार्यकर्ता, स्कूल टीचरों, हल्का पटवारी पंचायत सचिव एवं ग्राम कोटवार) की जिम्मेदारी तय की जाएगी। ग्राम स्तरीय अमले की जिम्मेदारी होगी कि यह निश्चित करें कि उनके क्षेत्र के अंतर्गत कोई बाल विवाह ना हो, इसके लिए सभी आवश्यक उपाय करे तथा आवश्यक होने पर आयोजन के पूर्व पुलिस व प्रशासन को सूचित करें। यदि बाल विवाह की सूचना स्थानीय अमले के बजाय किसी अन्य माध्यम से प्राप्त होती है या बाल विवाह का अनुष्ठान हो जाता है, तो संबंधित अमले को बाल विवाह का सहयोगी मानकर कानून के प्रावधानों के अनुसार कार्यवाही की जाएगी। सभी सेवा प्रदाता (हलवाई, टेंट, लाइट, बैंड, पंडित मौलवी, मैरिज गार्डन, विवाह पत्रिका प्रकाशक इत्यादि) बाल विवाह नहीं है यह सुनिश्चित करने के पश्चात ही अपनी सेवाएं दे अन्यथा उन्हें भी बाल विवाह में सहायक मानकर कार्यवाही की जाएगी। समस्त शासकीय/अशासकीय सामूहिक विवाह आयोजन स्थलों पर बाल विवाह निषेध का संलग्न प्रारूप अनुसार बोर्ड प्रदर्शित किया जाना आवश्यक होगा। समस्त मैरिज गार्डन संचालक आयोजन परिसर के दृश्य भाग में कम से कम दो स्थानों पर बाल विवाह निषेध का बोर्ड प्रदर्शित करेंगे। प्रिंटिंग प्रेस संचालक विवाह पत्रिका प्रकाशन से पूर्व वर वधू के उम्र के प्रमाण आवश्यक रूप से प्राप्त करें वर की आयु 21 वर्ष एवं वधु की आयु 18 वर्ष पूर्ण होने पर ही पत्रिका का प्रकाशन करें तथा पत्रिका के नीचे छोटे अक्षरों में अंकित करेंगे कि वर-वधू के उम्र के लिए गए है। 

इसी प्रकार प्रत्येक ग्राम सभा की बैठक में बाल विवाह के दुष्परिणामों को बताते हुए बाल विवाह न करने के लिए एवं जन समुदाय को बाल विवाह का प्रतिकार करने के लिए प्रेरित किया जाए। विवाह हेतु उम्र के निर्धारण के लिये वर-वधु के उम्र संबंधी दस्तावेजों में जन्म प्रमाणपत्र, स्कूल की अंकसूची अथवा आंगनबाड़ी केन्द्र के रिकॉर्ड से मिलान किया जाये। इन दस्तावेजों के अभाव में ही मेडीकल बोर्ड द्वारा जारी प्रमाण पत्र को मान्य किया जाये। यदि बालक/बालिका का नाम स्कूल में दर्ज है तो मेडिकल प्रमाण-पत्र को मान्य नहीं किया जायेगा। प्रत्येक ग्राम/वार्ड में बाल विवाह की सूचना देने हेतु चाइल्ड लाइन नम्बर 1098 महिला हेल्पलाइन 181 एवं पुलिस के डायल 100 का समुचित प्रचार-प्रसार किया जाये।

जिन बालक बालिकाओं के बाल विवाह पूर्व में हो चुके हैं, यदि वे बालक बालिका अपना बाल विवाह शून्य/निरस्त कराना चाहें तो इसके लिए भी कानून में प्रावधान किए गए बालक/बालिकाओं को बाल विवाह का विरोध करने के लिए प्रेरित/प्रोत्साहित किया जाये। बाल विवाह शुन्यीकरण हेतु महिला एवं बाल विकास विभाग में आवेदन किया जा सकता है। यह आदेश लोक हित से जुड़ा होकर विशाल जनसमुदाय पर समान रूप से प्रभावी होगा तथा इस आदेश की तामील प्रत्येक व्यक्ति/संस्थान को कराया जाना संभव नहीं है।

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Milan Tomic

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