शिवपुरी - शहर के समीपस्थ ग्राम चंदनपुरा में चल रही श्रीराम कथा के अष्टम दिवस पर सुंदरकांड की कथा का वर्णन करते हुए आचार्य बृजभूषण महाराज ने बताया कि श्री राम कथा समस्त वेद पुराण तथा शास्त्र एवं उपनिषदों का आभूषण है श्री राम कथा में समस्त प्रश्नों के उत्तर छुपे हुए हैंअगर कोई भी मनुष्य श्री राम कथा को ध्यानपूर्वक पढ़ता हैं और उसका श्रवण करें तो उसका जीवन मंगल मय होता हैं एवं अंत में मुक्ति भी प्राप्त होती हैं श्री राम कथा में आचार्य जी ने सुंदर प्रसंग का वर्णन करते हुए बालि सुग्रीव की साथ वर्णन किया भगवान ने बालि को जिस प्रकार मारा उसकी कथा का वर्णन किया और बताया कि भगवान की शरण में सुग्रीव पहुंच गया तो भगवान ने बालि जैसे महान पापी को मारकर भी सुग्रीव की रक्षा की आचार्य ने सुंदरकांड की कथा का वर्णन सुनाया और कहा कि हनुमान जी महाराज साक्षात शिव जी हैं और उन्होंने भगवान श्री राम के काज करने के लिए पृथ्वी पर अवतार लिया एवं भगवान श्री राम के जो कार्य असंभव थे जिन्हें कोई भी नहीं कर सकता था उन कार्यों को श्री हनुमान जी महाराज ने किया है आचार्य ने बताया भगवान की स्वर्ण कभी जलता नहीं हैं लंका तो भगवान के क्रोध रूपी अग्नि में जल गई जिस प्रकार पुल बांधने के लिए भगवान श्रीराम ने सागर से प्रार्थना की उस प्रसंग को सुनाया और बताया कि कभी भी अपने जीवन में अहंकार नहीं होना चाहिए नहीं तो भागवान उसे समुद्र की तरह समाप्त करने के लिए खड़े को जाते हैं इस कथा का आयोजन 30 अगस्त तक किया जावेगा कथा का आयोजन समस्त धाकड़ परिवार करवा रहा है
शिवपुरी - शहर के समीपस्थ ग्राम चंदनपुरा में चल रही श्रीराम कथा के अष्टम दिवस पर सुंदरकांड की कथा का वर्णन करते हुए आचार्य बृजभूषण महाराज ने बताया कि श्री राम कथा समस्त वेद पुराण तथा शास्त्र एवं उपनिषदों का आभूषण है श्री राम कथा में समस्त प्रश्नों के उत्तर छुपे हुए हैंअगर कोई भी मनुष्य श्री राम कथा को ध्यानपूर्वक पढ़ता हैं और उसका श्रवण करें तो उसका जीवन मंगल मय होता हैं एवं अंत में मुक्ति भी प्राप्त होती हैं श्री राम कथा में आचार्य जी ने सुंदर प्रसंग का वर्णन करते हुए बालि सुग्रीव की साथ वर्णन किया भगवान ने बालि को जिस प्रकार मारा उसकी कथा का वर्णन किया और बताया कि भगवान की शरण में सुग्रीव पहुंच गया तो भगवान ने बालि जैसे महान पापी को मारकर भी सुग्रीव की रक्षा की आचार्य ने सुंदरकांड की कथा का वर्णन सुनाया और कहा कि हनुमान जी महाराज साक्षात शिव जी हैं और उन्होंने भगवान श्री राम के काज करने के लिए पृथ्वी पर अवतार लिया एवं भगवान श्री राम के जो कार्य असंभव थे जिन्हें कोई भी नहीं कर सकता था उन कार्यों को श्री हनुमान जी महाराज ने किया है आचार्य ने बताया भगवान की स्वर्ण कभी जलता नहीं हैं लंका तो भगवान के क्रोध रूपी अग्नि में जल गई जिस प्रकार पुल बांधने के लिए भगवान श्रीराम ने सागर से प्रार्थना की उस प्रसंग को सुनाया और बताया कि कभी भी अपने जीवन में अहंकार नहीं होना चाहिए नहीं तो भागवान उसे समुद्र की तरह समाप्त करने के लिए खड़े को जाते हैं इस कथा का आयोजन 30 अगस्त तक किया जावेगा कथा का आयोजन समस्त धाकड़ परिवार करवा रहा है