चुनाव आते ही राजनीतिक घटनाक्रमों की रफ्तार भी बढ़ गई है। मध्यप्रदेश में इन दिनों जिस तरह से हालात बदल रहे हैं, उससे भी नित-नए संकेत मिल रहे हैं। भाजपा में शामिल होने के तीन साल बाद केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अपने पुराने मित्र राहुल गांधी पर हमले बोले। यह पहला ही मौका था जब इन तीन सालों में सिंधिया ने इस तरह की भाषा राहुल के खिलाफ बोली हो। इससे अटकलें लग रही हैं कि मध्यप्रदेश के चुनावों में सिंधिया की भूमिका तय हो रही है और दिल्ली में दो दिन पहले हुई उनकी प्रेस कॉन्फ्रेंस इसी कड़ी में पहला कदम है।
दरअसल, ज्योतिरादित्य सिंधिया 10 मार्च 2020 को भाजपा में शामिल हुए थे। तब से उन्होंने राहुल गांधी से जुड़े सवालों पर जवाब तो दिए, लेकिन कभी भी सीधे-सीधे हमला नहीं बोला। फिर अचानक दो दिन पहले दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई। पत्रकारों के सामने कहा कि राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी न्यायपालिका पर दबाव बना रही है। व्यक्तिगत कानूनी लड़ाई को लोकतंत्र की लड़ाई के रूप में बता रहे हैं। यह ठीक नहीं है। यह स्वार्थ की लड़ाई है। इससे पहले भी संसद सदस्यों को सदस्यता से बर्खास्त किया गया है। इस बार इतना हंगामा क्यों किया जा रहा है?
दिग्विजय ने फिर बताया सिंधिया को गद्दार
राहुल पर इस हमले के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया के खिलाफ कांग्रेस भी हमलावर हो गई है। पहले तो कांग्रेस मीडिया विभाग के प्रमुख जयराम रमेश ने सुभद्रा कुमारी चौहान की कविता ट्वीट की और लिखा कि अंग्रेजों के मित्र सिंधिया ने छोड़ी राजधानी थी, .... इस पर पलटवार करते हुए सिंधिया ने लिखा कि कविता कम और इतिहास ज्यादा पढ़ें। उन्होंने मराठा इतिहास की याद भी दिलाई। इस लड़ाई में अब पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह भी कूद पड़े हैं। उन्होंने ट्वीट किया कि गुलाम नबी आज़ाद व ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस में रहकर सारे पद पाकर सत्ता सुख भोगकर अब कांग्रेस की आलोचना कर रहे हैं। राहुल जी के प्रति आपत्तिजनक भाषा का उपयोग कर रहे हैं। इन्हें गद्दार ना कहें तो क्या कहें?
यह है भाजपा की रणनीति
एक समय सिंधिया को गांधी परिवार और राहुल का बेहद करीबी माना जाता था। राहुल को कमजोर करने के लिए ऐसे नेताओं को आगे करना जरूरी है, जो कभी उनके साथ थे। भोपाल के वरिष्ठ पत्रकार प्रभु पटेरिया का कहना है कि राहुल गांधी ने विदेश में भाजपा और मोदी सरकार पर हमले किए। इससे भाजपा को पलटवार करने का मौका मिल गया। पहले भाजपा ने अपने प्रवक्ताओं को उतारा। दूसरे राउंड में उन नेताओं को आगे किया है जो कांग्रेस से भाजपा में आए हैं। सिंधिया एक समय राहुल के करीबी रहे हैं। सिंधिया के बोलने का असर देशभर में होगा। यह भाजपा की रणनीति है। मध्यप्रदेश के विधानसभा चुनावों में भी सिंधिया को महती जिम्मेदारी दी जा सकती है।
एक समय सिंधिया को गांधी परिवार और राहुल का बेहद करीबी माना जाता था। राहुल को कमजोर करने के लिए ऐसे नेताओं को आगे करना जरूरी है, जो कभी उनके साथ थे। भोपाल के वरिष्ठ पत्रकार प्रभु पटेरिया का कहना है कि राहुल गांधी ने विदेश में भाजपा और मोदी सरकार पर हमले किए। इससे भाजपा को पलटवार करने का मौका मिल गया। पहले भाजपा ने अपने प्रवक्ताओं को उतारा। दूसरे राउंड में उन नेताओं को आगे किया है जो कांग्रेस से भाजपा में आए हैं। सिंधिया एक समय राहुल के करीबी रहे हैं। सिंधिया के बोलने का असर देशभर में होगा। यह भाजपा की रणनीति है। मध्यप्रदेश के विधानसभा चुनावों में भी सिंधिया को महती जिम्मेदारी दी जा सकती है।
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