कोलारस-भाजपा के राजस्व संबंधी सुधार और संसोधन कागजो में तो जारी है और स्वागत योग्य भी है किंतु इसका लाभ बही राजस्व कर्मचारी जनता को दिला पा रहा है जिसे उनकी पूरी जानकारी है। उपचुनाव के दौरान हमने राजस्व के मामलों में सरलीकरण को लेकर राजस्व मंत्री उमाशंकर गुप्ता से जब संबाद किया था तो उन्होंने बताया था कि हम राजस्व संहिता में 142 संसोधन करने जा रहे है जिससे जमीन संबंधित मामले में जनता और राजस्व विभाग को काम करने में अधिक परेसानी नहीं होगी। बटवारा,डायवर्सन, इंद्राज दुरस्थि, हक त्याग,कंप्यूटर अमल सहित अन्य कई ऐसे मामले राजस्व के सामने आते थे जिसमें ऑनलाइन प्रिकिया के चलते काफी परेशानी आ रही थी साथ ही कई जटिल राजस्व निर्देश के अमल में भी सॉफ्टवेयर के चलते परेसानी पैदा हो रही थी। किन्तु अब ऐसा नहीं है राजस्व संहिता में किये गए कई बदलाव से जनता को राहत मिलना तय है ये बात अलग है कि उक्त संसोधन का ज्ञान जिन पटवारियों और अन्य अमले को नही है वे जनता को इस वदलाव का पूरा लाभ नही दे पा रहे है ।
चुकी उक्त संसोधन नवीन है और इसी क्रम में आचार संहिता लागू हो गई है जिसके चलते इन नियमों का प्रशिक्षण उन्हें नही दिया जा सका तो पूरे काम का भार तहसीलदार और वरिष्ट अधिकारियों पर आ गया है । यदि उक्त राजस्व संहिता में हुए संशोधन का पूरा लाभ जनता को मिलता है तो भाजपा के लिए ये बदलाब इस चुनाव में लाभदायक हो सकते है। आचार संहिता के बाद चुकी राजनीतिक स्तर से इनकी मोनिटरिंग नही हो पा रही है तो ये जानकारी देना मुश्किल है कि जनता को इसका कितना लाभ मिला। चुकी ये संसोधन चुनाव के ऐन बक्त हुए है इस कारण इससे भाजपा को जितना लाभ मिलना चाइए उतना मिलेगा इसने संशय बरकार है बही कांग्रेस का कहना है कि ये बदलाव दिखावा मात्र है सारे काम अभी भी पूर्व परंपरागत तरीके से हो रहे है जिसके कई प्रमाण हमारे पास है । ऑनलाइन प्रथा को लागू करने के बाद राजस्व विभाग को हर तहसील पर लाखों रुपये से निर्मित कंप्यूटर लेब निर्मित की गई थी किन्तु कोलारस में उसकी चोरी गो चुकी है । पूर्व में एसडीएम कार्यालय के पास उक्त लेब निर्मित की गई थी लेकिन उसके पूरे कंप्यूटर खुर्द बुर्द कर दिए गए । इस प्रकार के राजस्व बदलाब भाजपा शासन में चले है जिनका हकीकत की जमीन से कोई लेना देना नही है।अधिकारियों का भी उक्त भयंकर अव्यवस्था पर वर्षो से कोई गौर नही ये हैरान करने वाला पहलू है। जिन पटवारियों पर कंप्यूटर या लैपटॉप नही है वे लेब न होने के कारण बाजार में अपना काम कराने को मजबूर है।