भारत में कोरोना वायरस के मामले कम क्यों? हैरान कर देने वाले हैं टेस्ट के ये आंकड़े


भारत में कोरोना वायरस परीक्षण की व्यवस्था

देश विदेश में हर दिन कोरोना वायरस से संक्रमित मरीज बढ़ते जा रहे हैं। 14 अप्रैल तक पूरे भारत में लॉकलाउन के एलान के बीच कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या 691 पहुंची है, वहीं इस महामारी से मरने वालों की संख्या 16 हो गई है।
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) के अनुसार, भारत ने 27 मार्च सुबह 9 बजे तक 26,798 व्यक्तियों पर 27,688 परीक्षण किए जिनमें 691 व्यक्तियों को इससे संक्रमित पाया गया। आंकड़े ये कहते हैं कि प्रति दस लाख की आबादी पर लगभग 18 लोगों का ही टेस्ट हो पा रहा है।

आईसीएमआर गाइडलाइन में कहा गया है कि "बीमारी मुख्य रूप से प्रभावित देशों की यात्रा करने वाले व्यक्तियों या पॉजिटिव मामलों के करीबी संपर्क में होती है। इसलिए सभी व्यक्तियों का परीक्षण नहीं किया जाना चाहिए।" लेकिन भारत में कई लोग ऐसे होंगे जो इन यात्रा करने वाले लोगों के संपर्क में आ चुके होंगे। अब सवाल यह उठ रहा है कि आखिर भारत में कोरोना वायरस के मामले लगातार बढ़ क्यों रहे हैं? इसका जवाब है एक अरब से अधिक आबादी वाले देश भारत में जिस हिसाब से टेस्ट किए जा रहे हैं उसके परिणाम भी वैसे ही सामने आ रहे हैं।

corona test lab
corona test lab - फोटो : PTI
विशेषज्ञों का मानना है कि भारत में कोरोना वायरस के कम मामलों की एक वजह सीमित परीक्षण हो सकती है। संक्रमित लोगों के वास्तविक आंकड़े और अधिक हो सकते हैं। चीन के अलावा, संयुक्त राज्य अमेरिका, यूके, इटली और दक्षिण कोरिया जैसे देशों में बहुत तेजी से कोरोना वायरस के मामलों में वृद्धि देखी गई है। इन देशों में परीक्षण की दर भारत की तुलना में कहीं अधिक है। स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार इटली में 25 मार्च तक 3,24,445 टेस्ट किए जिनमें 74,386 लोग इस वायरस से संक्रमित पाए गए यानी प्रति दस लाख पर करीबन 5,268 टेस्ट किए गए। 

वहीं ब्रिटेन ने प्रति मिलियन लोगों पर 1,469 परीक्षणों की दर से अब तक 97,019 टेस्ट किए हैं। ब्रिटेन में कोरोना वायरस के अब तक 9,529 सकारात्मक मामले मिले हैं। अब आप इसी से अंदाजा लगा सकते हैं कि भारत में किस दर से परीक्षण हो रहे हैं। 100वां पॉजीटिव केस आने के बाद भारत में संक्रमण की औसत रोजाना दर 10.8 से बढ़कर 11.8 फीसद हो गई। इस आंकड़े तब आए हैं जब भारत में परीक्षण की दर बहुत कम है। भारत में अब तक कुछ हजार लोगों का ही टेस्ट हुआ है। देश में कोरोना वायरस के लिए टेस्ट करने की किट की संख्या आबादी के हिसाब से बहुत ही कम है।
दक्षिण कोरिया में तीन लाख 16 हजार 664 लोगों के कोरोना की जांच की गई, तो 8 हजार 897 पॉजिटिव मामले सामने आए। ताजा आंकड़ों की मानें तो अब तक यहां संक्रमण के 9037 मामले मिले हैं, 3500 से ज्यादा लोग ठीक हो चुके हैं। सिर्फ 129 लोगों की मौत हुई है। जल्द टेस्ट और बेहतर इलाज की वजह से ही वहां मामले कम हुए और इसीलिए मौतें भी कम हुईं। दक्षिण करिया में 600 से ज्यादा टेस्टिंग सेंटर खोले गए। संक्रमण जांचने के लिए सरकार ने बड़ी इमारतों, होटलों, पार्किंग और सार्वजनिक स्थानों पर थर्मल इमेजिंग कैमरे लगाए, जिससे बुखार पीड़ित व्यक्ति की तुरंत पहचान हो सके। भारत में इस तरह की अभी व्यवस्था नहीं हो पाई है।

भारत में कोरोना वायरस के परीक्षण के लिए सिर्फ 111 सरकारी लैब हैं। हालांकि अब निजी लैब में भी कोरोना की जांच की इजाजत दे दी गई है। यह देखा भी जा रहा है कि जैसे-जैसे कोरोना वायरस का परीक्षण आगे बढ़ रहा है, तो संक्रमित मामलों की संख्या भी बढ़ रही है। ऐसे में आने वाले समय में पीड़ितों की संख्या और बढ़ सकती है।

हालांकि लॉकडाउन इस संक्रमण को रोकने के लिए काफी कारगर उपाय है। आइसीएमआर कि मानें तो सामाजिक दूरी बनाने से संक्रमण की दर आधे से भी कम हो सकती है।

कोरोना वायरस
कोरोना वायरस - फोटो : social media
कोरोना संक्रमण टेस्ट में होते हैं ये टेस्ट
  • स्वाब टेस्ट: इस टेस्ट में कॉटन स्वाब से गले या नाक के अंदर का सैंपल लिया जाता है।
  • नेजल एस्पिरेट: इस टेस्ट में नाक में एक सॉल्यूशन डालने के बाद सैंपल लिया जाता है।
  • ट्रेशल एस्पिरेट: ब्रोंकोस्कोप नाम का एक पतला ट्यूब आपके फेफड़े में डालकर वहां से सैंपल लिया जाता है।
  • सप्टम टेस्ट: यह फेफड़े में जमा मैटेरियल या नाक से स्वाब के जरिये निकाले जाने वाले सैंपल का टेस्ट होता है।
  • ब्लड टेस्ट: इन टेस्ट के साथ-साथ आपका ब्लड टेस्ट भी लिया जाएगा।

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