भोपाल। धरमपुरी से कांग्रेस विधायक पांचीलाल मेंढा ने अपना इस्तीफा मुख्यमंत्री कमलनाथ देने भोपाल पहुंचे। वे अपने क्षेत्र में शराब माफिया पर कार्रवाई नहीं होने से दुखी हैं। विधायक का कहना है कि स्कूल के पास बनीं दो शराब दुकानों को हटाने के लिए मैंने अपने कार्यकर्ताओं के साथ बैठक की थी। इसके बाद उन्होंने इसकी शिकायत प्रशासनिक अधिकारियों को भी की थी। इसके बाद भी उन पर कार्रवाई नहीं है। सुबह प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान मंत्री प्रद्युमन सिंह तोमर वहां पहुंचे और विधायक मेंढा को मीडिया के सामने ही अपने साथ में खींचकर ले गए।
इस दौरान उन्होंने विधायक को मीडिया से बात भी नहीं करने दी और कहने लगे कि हम साथ में सीएम कमलनाथ से मिलने के लिए जाएंगे। मेंढा मेरे मित्र हैं और मैं उन्हें अपने साथ ले जाऊंगा। मंत्री विधायक को ले गए फिर बंद कमरे में उनके साथ चर्चा की। विधायक का कहना है कि शराब दुकान तो नहीं हटी पर शराब माफिया ने मेरे कार्यकर्ताओं के साथ अभद्रता की है। उन्होंने अतिरिक्त आबकारी अधिकारी राधेश्याम राय को हटाने की मांग की है।
बता दें कि अपने क्षेत्र में शराब माफिया पर कार्रवाई नहीं होने से पांचीलाल मेड़ा दुखी हैं. उनके मुताबिक जिला प्रशासन अपनी मनमानी कर रहा है. वही पांचीलाल ने खुद की जान का ख़तरा भी बताया और मुख्यमंत्री से मिलकर इस संबंध में चर्चा करने की बात कही है.
पांचीलाल का कहना है कि शराब माफिया की वजह से पुलिस ने 4 घंटे तक उन्हें थाने में बैठाए रखा. इस घटनाक्रम से मुझे बहुत मानसिक पीड़ा हुई, जिससे मै बहुत आहत हुआ हूं.
लोकसभा के चुनावी मौसम में कांग्रेस विधायक के इस्तीफे की पेशकश के बाद पूरी कमलनाथ सरकार घबरा गई. आनन फानन में दो कैबिनेट मंत्री गृहमंत्री बाला बच्चन और खाद्य आपूर्ति मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर हरकत में आ गए और रुठे विधायक को मनाने सीधे विधायक विश्राम गृह पर पहुंच गए.
इससे पहले कि विधायक पांचीलाल मीडिया के सामने कुछ और पत्ते खोलते, मंत्री उनका हाथ पकड़कर गाड़ी में बैठाकर रवाना हो गए. इस दौरान उन्होंने विधायक को मीडिया से बात भी नहीं करने दी. उधर लंबी बातचीत के बाद आखिरकार रूठे विधायक पांचीलाल को दोनो मंत्रियों मनाकर सीधे मानस भवन में आदिवासी विकास परिषद के कार्यक्रम में ले गए और सीधे मंच पर मौजूद कमलनाथ के साथ बैठा दिया. इस दौरान सीएम कमलनाथ ने भी इशारे इशारे में आदिवासी विधायक पांचीलाल को एक कड़ा संदेश दे दिया कि बोलना सीखो.
वहीं कांग्रेस की मानें तो विधायक पांचीलाल ने इस्तीफा नहीं दिया. उनकी नाराजगी थी, लेकिन उन्हें मना लिया है. लेकिन कांग्रेस ये यकीनन मान रही है कि जिला प्रशासन उनके साथ सहयोग नहीं कर रहा है. विधायकों का मानना है कि अफ़सर अभी भी इस गलतफहमी में है कि सरकार अभी बीजेपी की ही है.
हालांकि ये बात स्पष्ट है कि कांग्रेस विधायक का नाराज़गी और इस्तीफे की पेशकश ने जैसे बीजेपी को कांग्रेस के खिलाफ हमलवार होने का मौका दे दिया है. इधर नेता विपक्ष गोपाल भार्गव ने इसे दुखद बताते हुए कहा कि शराब माफिया से प्रताड़ित होकर इस्तीफे की पेशकश विधायक करे, तो अंदाजा लगाया जा सकता है कि 80 दिनों में शराब माफिया प्रदेश में किस तरह हावी हो गया है.
अब सवाल ये कि आखिरकार कांग्रेस के एक विधायक की नाराज़गी और फिर पल भर में इस्तीफे की पेशकश से क्यों इतनी खलबली मच गई. इसके लिए मध्यप्रदेश की सत्ता का गणित समझना होगा. दरअसल 230 में से पूर्ण बहुमत 216 का होता है, जिसमें से 114 कांग्रेस विधायकों और दो बीएसपी, एक समाजवादी पार्टी समेत चार निर्दलीय विधायकों के दम पर कमलनाथ सरकार बनी है. जबकि बीजेपी के पास 109 विधायक हैं. इसी जोड़तोड़ के बीच बनी कांग्रेस की सरकार में पहले से ही बीएसपी विधायक रामबाई और निर्दलीय विधायक सुरेंद्र सिंह शेरा की नाराजगी आए दिन जाहिर हो रही है.
पांचीलाल का कहना है कि शराब माफिया की वजह से पुलिस ने 4 घंटे तक उन्हें थाने में बैठाए रखा. इस घटनाक्रम से मुझे बहुत मानसिक पीड़ा हुई, जिससे मै बहुत आहत हुआ हूं.
लोकसभा के चुनावी मौसम में कांग्रेस विधायक के इस्तीफे की पेशकश के बाद पूरी कमलनाथ सरकार घबरा गई. आनन फानन में दो कैबिनेट मंत्री गृहमंत्री बाला बच्चन और खाद्य आपूर्ति मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर हरकत में आ गए और रुठे विधायक को मनाने सीधे विधायक विश्राम गृह पर पहुंच गए.
इससे पहले कि विधायक पांचीलाल मीडिया के सामने कुछ और पत्ते खोलते, मंत्री उनका हाथ पकड़कर गाड़ी में बैठाकर रवाना हो गए. इस दौरान उन्होंने विधायक को मीडिया से बात भी नहीं करने दी. उधर लंबी बातचीत के बाद आखिरकार रूठे विधायक पांचीलाल को दोनो मंत्रियों मनाकर सीधे मानस भवन में आदिवासी विकास परिषद के कार्यक्रम में ले गए और सीधे मंच पर मौजूद कमलनाथ के साथ बैठा दिया. इस दौरान सीएम कमलनाथ ने भी इशारे इशारे में आदिवासी विधायक पांचीलाल को एक कड़ा संदेश दे दिया कि बोलना सीखो.
वहीं कांग्रेस की मानें तो विधायक पांचीलाल ने इस्तीफा नहीं दिया. उनकी नाराजगी थी, लेकिन उन्हें मना लिया है. लेकिन कांग्रेस ये यकीनन मान रही है कि जिला प्रशासन उनके साथ सहयोग नहीं कर रहा है. विधायकों का मानना है कि अफ़सर अभी भी इस गलतफहमी में है कि सरकार अभी बीजेपी की ही है.
हालांकि ये बात स्पष्ट है कि कांग्रेस विधायक का नाराज़गी और इस्तीफे की पेशकश ने जैसे बीजेपी को कांग्रेस के खिलाफ हमलवार होने का मौका दे दिया है. इधर नेता विपक्ष गोपाल भार्गव ने इसे दुखद बताते हुए कहा कि शराब माफिया से प्रताड़ित होकर इस्तीफे की पेशकश विधायक करे, तो अंदाजा लगाया जा सकता है कि 80 दिनों में शराब माफिया प्रदेश में किस तरह हावी हो गया है.
अब सवाल ये कि आखिरकार कांग्रेस के एक विधायक की नाराज़गी और फिर पल भर में इस्तीफे की पेशकश से क्यों इतनी खलबली मच गई. इसके लिए मध्यप्रदेश की सत्ता का गणित समझना होगा. दरअसल 230 में से पूर्ण बहुमत 216 का होता है, जिसमें से 114 कांग्रेस विधायकों और दो बीएसपी, एक समाजवादी पार्टी समेत चार निर्दलीय विधायकों के दम पर कमलनाथ सरकार बनी है. जबकि बीजेपी के पास 109 विधायक हैं. इसी जोड़तोड़ के बीच बनी कांग्रेस की सरकार में पहले से ही बीएसपी विधायक रामबाई और निर्दलीय विधायक सुरेंद्र सिंह शेरा की नाराजगी आए दिन जाहिर हो रही है.
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