कमलनाथ कैबिनेट का विस्तार जल्द

लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को मिली करारी हार के बाद कांग्रेस संगठन में फेरबदल की सुगबुगाहट चल रही है. बीजेपी की तरफ से सरकार गिराने के बयानों के बाद अब कमलनाथ अपनी सरकार बचाने की जद्दोजहद में जुट गए हैं. सरकार बचाने की कोशिशों में सबसे पहले मंत्रिमंडल विस्तार की चर्चा जोर पकड़ रही है.
माना जा रहा है कि पार्टी के असंतुष्ट विधायकों और निर्दलीय और अन्य सहयोगी दलों के विधायकों को कमलनाथ अपनी कैबिनेट में शामिल कर सकते हैं. इसके अलावा निगम मंडलों के खाली पड़े पदों पर भी विधायकों की ताजपोशी की जा सकती है. लोकसभा चुनाव के बाद कमलनाथ के खिलाफ भी विरोधी स्वर मुखर हुए हैं, ऐसे में उप मुख्यमंत्री पद की चर्चा भी जोर पकड़ रही है, लेकिन उप मुख्यमंत्री कौन होगा और कितना शक्तिशाली होगा, इसको लेकर अटकलों का दौर गर्म है. हालांकि संगठन स्तर पर उपमुख्यमंत्री की चर्चा को सिर्फ अटकल बाजी करार दिया जा रहा है.
बीजेपी द्वारा सरकार गिराने के बयान को लेकर कमलनाथ इन दिनों विधायकों को एकजुट करने की कवायद में परेशान हैं, दूसरी तरफ कमलनाथ का विरोधी तबका उप मुख्यमंत्री पद के मामले को हवा दे रहा है. इन परिस्थितियों में यह तो तय हो चुका है कि कमलनाथ मंत्रिमंडल का विस्तार आलाकमान की हरी झंडी मिलते ही कर दिया जाएगा. इस विस्तार में कांग्रेस पार्टी के उन वरिष्ठ विधायकों के लिए शामिल किया जाएगा, जो मंत्री न बनाए जाने से नाराज हैं, तो निर्दलीय विधायकों को भी मंत्रिमंडल में शामिल किया जाएगा. इसके अलावा सहयोगी दलों के विधायकों को भी मंत्रिमंडल में जगह दी जा सकती है.
उप मुख्यमंत्री पद के लिए दबाव
ऐसा माना जा रहा है कि ज्यादातर विधायकों को निगम मंडल में भी अहम स्थान दिया जाएगा. कमलनाथ के लिए सबसे बड़ी चिंता का विषय है कि उनके ऊपर उप मुख्यमंत्री पद के सृजन का दबाव बन रहा है. हालांकि कांग्रेस सूत्रों की मानें तो ज्योतिरादित्य सिंधिया उपमुख्यमंत्री पद के लिए पहले ही इनकार कर चुके हैं, लेकिन उन्हीं के खेमे से इस मुद्दे को हवा दी जा रही है. ऐसे में अगर सिंधिया सफल हुए, तो कमलनाथ के साथ एक उपमुख्यमंत्री भी देखने को मिल सकता है. फिलहाल कमलनाथ सरकार बचाने की कवायद में है बैकफुट पर नजर आ रहे हैं. कमलनाथ मंत्रिमंडल विस्तार के साथ निगम मंडलों की नियुक्ति पर भी मंथन में जुट गए हैं.

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