बदरवास में घोटालों का कारनामा-सचिवों ने मिठाई की दुकान से खरीद डाले सेनेटाईजर

बदरवास में घोटालों का कारनामा-सचिवों ने मिठाई की दुकान से खरीद डाले सेनेटाईजर 

लालू शर्मा बदरवास - शिवपुरी जिले के कोलारस परगना क्षेत्र के बदरवास जनपद पंचायत के अंतर्गत आने वाली दर्जनों पंचायतों में एक मिठाई के दुकानदार ने कोरोना काल में पंचायतों में लाखों रूपए के मास्क, सेनेटाईज के साथ साबुन व मिष्ठान सामिग्री की सप्लाई कर डाली और लाखों रूपए के बिल थमाकर भुगतान प्राप्त कर लिया। जबकि बिलों में न तो कोई भी जीएसटी नम्बर तक अंकित हैं। इससे साफ जाहिर होता हैं की शासन के खजाने को फर्म संचालक खुलेआम चुना लगाने का मन बना चुका हैं। जबकि कोरोना काल में सभी नागरिक सेवा मानव सेवा करने के उद्देश्य से लगे हुए थे, लेकिन यह सेठ की मानवता तो पूरी रह समाप्त हो चुकी क्योंकि इन्हें पैसे कमाने के लिए करोना काल में भी पीछे नहीं रहे। यहां उल्लेख करना प्रासंगिक होगा कि वरिष्ठ अधिकारियों ने इन फर्जी बिलों को कैसे पास कर रहे। इतना ही नहीं जिस दुकान तुलसी गारमेन्टस के नाम बिल पंचायतों में लगाए हैं उनका भुगतान चैरसिया स्वीट्स के दुकान संचालक के नाम भुगतान हो चुका हैं जिसकी जांच हो जाए तो दोषी फर्म संचालक के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज हो सकी हैं। इससे साफ जाहिर होता हैं कि कहीं न कहीं घाल मेल जरूर नजर आता हैं। क्योंकि सेनेटाईजर का विक्रय करने के लिए मेडीकल फर्म से रजिस्ट्रर्ड दुकान ही विक्रय कर सकती हैं। ऐसी स्थिति में मिठाई की दुकान पर ऐलकोहर का विक्रय कैसे किया जा रहा हैं यह सवालिया निशान खड़े करता हैं। 

इन पंचायतों में लगाए गये फर्जी बिल

बदरवास जनपद पंचायत की इन पंचायतों में यदि बारीकी से परीक्षण कर लिया जाए तो दर्जनों पंचायतों में इनके बिल देखने को मिल सकते हैं। उदाहरण के लिए धामनटूक, पगारा, अटलपुर, अगरा, बरखेड़ा खुर्द, इचैनिया, बारई, बायंगा, मुढैरी, मांगरौल सहित अन्य पंचायतों में भी चैरसिया स्वीट्स के नाम बिल लगाए गए हैं। चैरसिया स्वीट्स के बिल पर किसी भी प्रकार की कोई भी जीएसटी तक अंकित नहीं हैं।  जबकि पंचायतों में लाखों रूपए के बिल मिठाईयों के थमा चुके हैं।

कपड़े की फर्म पर पंचायतों में बेचे साबुन व सेनेटाईजर

यदि बात करें तो पंचायतों में कपड़े के नाम रजिस्ट्रर्ड फर्म तुलसी गारमेंन्ट की फर्म ने पंचायतों में साबुन और सेनेटाईजर तक सप्लाई कर दिए हैं। जिनके नाम पर लाखों रूपए के भुगतान किए गए हैं। अब देनखना यह है की कपड़े की दुकान संचालित करने वाला साबुन और सेनेटाईजर का विक्रय करता हैं या सिर्फ मास्कों का।


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