शिवपुरी भूमि घोटाला - कमिश्नर सही तो क्या गजट बेकार
नेशनल पार्क की सरकारी जमीन बिकवा गए अफसर,
राजपत्र में जो भूमि नेशनल पार्क की उसे कमिश्नर ने निजी बताई
सोलर कम्पनी के एजेंट पर भी मुकदमा दर्ज
बिना अनुमति के आरएफ की भूमि में प्लांट का काम शुरु
कम भूभाटक जमा कराने से लेकर संचित को असंचित बता कर लगाया चूना
सरकारी भूमि का निजी हित में डायवर्सन, और नामांतरण
संजय बेचैन शिवपुरी - सरकारी जमीनों को किस तरह से राजस्व विभाग के अधिकारी कर्मचारी भू-माफि याओं के साथ मिलकर खुर्द खुर्द कर रहे हैं इसकी बड़ी बानगी शिवपुरी शहर के निकट बन रहे सोलर प्लांट की जमीन की खरीद फ रोख्त में निकल कर सामने आई है। इस मामले में लोकायुक्त पुलिस ने गत रोज जांच उपरांत राज्य प्रशासनिक सेवा के लोगों के कई आला अधिकारियों सहित 10 लोगों के विरुद्ध नामजद एफ आईआर दर्ज की है जबकि प्रकरण की विवेचना के विस्तृत चरण में कई और अधिकारी भी नपते दिखाई दे रहे हैं। इस मामले में ग्वालियर कमिश्नर एमबी ओझा के एक पत्र को आधार बना कर लोकायुक्त की कार्यवाही को चुनौती देने का प्रयास भी शुरु हो गया है जबकि अब कमिश्नर का यह पत्र भी अब जांच के घेरे में इसलिए आ गया है कि जिस भूमि का नेशनल पार्क को आवंटित होने सम्बंधी गजट नोटिफिकेशन हो गया हो उसे कमिश्नर कैसे निजी बता सकते हैं। यहां चौंकाने वाला खुलासा यह भी सामने आया है कि यहां नेशनल पार्क के लिए आवंटित और राजपत्र में नोटिफाइड भूमि तक ना केवल प्रायवेट हाथों में बेच डाली बल्कि शिवपुरी के तत्कालीन एसडीएम प्रदीप तोमर ने इस भूमि का डायवर्सन भी आनन.फ फानन में कर दिया।
उल्लेखनीय है कि इस प्रकरण को सबसे पहले दैनिक जागरण ने प्रमुखता के साथ उजागर किया था, तदोपरांत उन्हीं तथ्यों के साथ प्रकरण की शिकायत लोकायुक्त को हुई और अब स्थिति यह बनी कि पटवारी से लेकर एसडीएम तक आरोपों के कठघरे में खड़े होकर नामजद आरोपी बन गए हैं।
इस तरह जानिए क्या है मामला
शिवपुरी के नगरीय क्षेत्र से लगे चंदनपुरा एवं विनेगा की भूमि से संबंधित 8 रजिस्ट्रियां यहां भूमि क्रेता शिवयोग इंफ्रटेक प्राइवेट लिमिटेड के हक में संपादित की गई। पंजीयकृत भूमि में से रजिस्ट्री क्रमांक एमपी 3929229171565744 की भूमि संचित है, जबकि शेष 7 रजिस्ट्रियों वाली भूमि सिंचित है। जबकि रजिस्ट्री अभिलेख के भीतर सभी भूमियां सिंचित होना उल्लेखित किया गया है। जांच में यह तथ्य सामने आया कि रजिस्ट्रार कार्यालय के सब रजिस्ट्रार अशोक कुमार श्रीवास्तव महेंद्र सिंह कौरव द्वारा शिवयोग इंफ्र ाटेक प्राइवेट लिमिटेड के डायरेक्टर सत्येंद्र सिंह सेंगर को लाभ पहुंचाए जाने की दृष्टि से सिंचित भूमि को असिंचित बताकर उनकी रजिस्ट्रियां संपादित कर दीं और शासन को राजस्व हानि पहुंचाई। जिसके चलते इनके विरुद्ध लोकायुक्त पुलिस ने मामला संज्ञान में लिया।
अफसरों का कारनामा नेशनल पार्क की जमीन ही बिकवा डाली
वन संरक्षक एवं डायरेक्टर माधव राष्ट्रीय उद्यान के द्वारा जो जानकारी निकलकर सामने आई उसके अनुसार इन रजिस्ट्रिओं में उल्लेखित सर्वे की सभी भूमिया सर्वे नंबर1225 जिसका पूर्व खसरा क्रमांक 404 एवं 405 है, इनको कलेक्टर जिला शिवपुरी के पत्र क्रमांक 11102 /1958 दिनांक 8 मई 1958 द्वारा माधव राष्ट्रीय उद्यान शिवपुरी को आवंटित किए जाने से यह भूमि माधव नेशनल पार्क की सीमा से 2 किलोमीटर के अंदर होकर माधव राष्ट्रीय उद्यान शिवपुरी के अधिसूचित इको सेंसेटिव जोन की 2 किलोमीटर सीमा के अंदर होना मध्य प्रदेश शासन के राजपत्र में भी घोषित किया गया जा चुका था। यह भूमि राजपत्र में भी माधव राष्ट्रीय उद्यान को आवंटित दर्शाई गई है। ऐसे में इस भूमि को निजी और राजस्व की भूमि बता कर कैसे उसका विक्रय किया गया यह गंभीर विसंगति का द्योतक है। जबकि खुद कलेक्टर से लेकर कमिश्नर तक को यह तथ्य ज्ञात था, हैरत की बात यह है कि इस तथ्य को उप पंजीयक द्वारा रजिस्ट्री के दौरान सत्यापित ना कराते हुए आंख मूंदकर नेशनल पार्क की भूमि की रजिस्ट्रीयां कर डाली गईं। सब कुछ बेहद संगठित अंदाज में घटित हुआ इस गोरखधंधे में पटवारी उप पंजीयक, आरआई से लेकर नायब तहसीलदार, तहसीलदार और एसडीएम तक तथ्यों से आंखें बंद किए रहे।
नेशनल पार्क की भूमि में सोलर प्लांट की स्थापना ही सवालों में -
सोलर प्लांट स्थापित होने से पूर्व शिवपुरी तहसीलदार नायब तहसीलदार और राजस्व निरीक्षक की रिपोर्ट के आधार पर निर्माणाधीन सोलर प्लांट कहां लगाया जा रहा है यह तय किया गया। उस समय भी यह भूमि माधव राष्ट्रीय उद्यान के अधिसूचित इको सेंसेटिव जोन के अंतर्गत आती थी। मुख्य वन संरक्षक एवं संचालक माधव राष्ट्रीय उद्यान शिवपुरी ने बताया कि यह भूमि खसरा क्रमांक 1225 पूर्व खसरा क्रमांक 404 एवं 405 माधव राष्ट्रीय उद्यान को आवंटित भूमि है। उक्त खसरे की भूमि