दिल के अरमां आंसुओं में बह गये मामा के ओबीसी बोट बैंक के चलते लाखों गवाने वाले घर बैठे रह गये.......दिल के अरमा ?-mp

मध्यप्रदेश में पंचायत चुनाव पहले एवं दूसरे चरण का ओबीसी सीटो को छोड़कर शेष जिन पंचायतों में चुनाव हो रहे थे उन स्थानों पर प्रत्याशियों से लेकर निर्वाचन कार्य में लगे सभी अधिकारी-कर्मचारी चुनाव को अंतिम रूप देने में जुटे हुये थे क्योंकि पहले चरण का मतदान 6 जनवरी को होना था जिसमें करीब 10 दिन समय शेष बचा था उन स्थानों पर सरपंच से लेकर जिला पंचायत एवं जनपद का चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों द्वारा नामांकन फार्म भरने से लेकर रविवार तक लाखों रूपया विजनिस की तरह दाव पर लगा रखा था सरकार के मंत्रियों द्वारा ओबीसी बोट बैंक को साधने के लिये जिस प्रकार स्टेटमैंट दिये जा रहा थे उनसे संकेत लग रहे थे कि ओबीसी बोट बैंक के चक्कर में सरकार चुनाव टाल सकती है जिस पर रविवार की दोपहर सरकार द्वारा अध्यादेश बापिस लेने की कैबिनेट मोहर लगते ही चुनाव लम्बे समय के लिये लटक गये मामा की सरकार के आदेश से प्रदेश में चुनाव लड़ने वाले सरपंच से लेकर जनपद एवं जिला पंचायत के सदस्यों द्वारा जिस प्रकार लाखों रूपया प्रत्याशियों के फार्म बापिस कराने से लेकर प्रचार सामग्री एवं बाहनों के किराये में खर्च किये गये थे वह लोक रविवार को प्रदेश सरकार को कोसते हुये इसी तरह दिखाई दिये जिस प्रकार फिल्म का गाना दिल के अरमां आंसुओं में बह गये और हम लाखों गवाने के बाद घर बैठे रहे गये। 

ओबीसी बोट बैंक के चलते सरकार के द्वारा घुटने टेकने से सर्वण समाज में नाराजगी 

मध्यप्रदेश सरकार द्वारा ओबीसी बोट बैंक को साधने के चक्कर में जिस प्रकार सर्वण समाज के अलावा अन्य समाज के उम्मीदवारों के लाखों रूपये खर्च कराने के बाद चुनाव को ओबीसी बोट बैंक की खातिर टाला है उससे सर्वण समाज में प्रदेश सरकार के खिलाफ काफी नाराजगी है सर्वण समाज के लोगो का कहना है कि जिस प्रकार प्रदेश सरकार ओबीसी बोट बैंक को प्रदेश में करीब 52 प्रतिशत बताकर 27 प्रतिशत आरक्षण देने की बकालात कर रही है क्या सर्वण समाज के करीब 25 प्रतिशत से भी अधिक बोट बैंक के लिये आरक्षण देने पर सरकार ने कभी बिचार किया है जिस प्रकार प्रदेश में गरीब सर्वणों को एक वर्ष के लिये 10 प्रतिशत आरक्षण का प्रमाण पत्र दिया जाता है उससे सर्वण समाज में नाराजगी है सर्वण समाज भी ओबीसी की तरह जनसंख्या के मान से आरक्षण का हकदार है जिस प्रकार प्रदेश की सरकार ने ओबीसी आरक्षण के चलते चुनाव टाला है उसी प्रकार सर्वणों के प्रति किसी भी सरकार ने कदम नहीं उठाय है जिसके चलते सर्वण समाज भी आगामी विधानसभा के चुनावों में सरकार के प्रति लामबंद हो सकता है।

सरपंची के चक्कर में कई पंचायतों में लाखों रूपये लगाये गये थे दाब पर 

मध्यप्रदेश में पहले एवं दूसरे चरण के लिये नामांकन फार्म भरने से लेकर नाम बापसी की प्रक्रिया तक कोलारस विधानसभा क्षेत्र से लेकर जिले एवं प्रदेश में जिन स्थानों पर निर्विरोध सरपंच बने उनकी कहानी तलासी जाये तो उसके पीछे की कहानी यह है कि निर्विरोध जिन पंचायतों में सरपंच रहे अथवा जिन पंचायतों में कई दावेदारों के नामांकन फार्म बापिस कराये गये उनके पीछे लाखों रूपये की डील कहीं मंदिर के नाम पर तो कहीं अन्य के नाम पर सौदेवाजी निकलकर सामने आई है कोलारस विधानसभा क्षेत्र में लुकवासा, बेंहटा, अलावदी, रामगढ़, एजवारा, धंदेरा सहित कोलारस परगने की करीब 130 ग्राम पंचायतों में से लगभग अधिकांश पंचायतों में सरपंची के लिये निर्विरोध कराने से लेकर नाम बापसी के लिये लाखों रूपये गवा चुके लोग प्रदेश की सरकार को चुनाव रोकने के बाद कोसते ही कोसते रविवार को दिखाई दिये सर्वण समाज के साथ साथ सरपंची, जनपद, जिला पंचायत सदस्य का पद प्राप्त करने के लिये लाखों रूपये गवाने वाले सरकार के फैसले को अंतिम समय तक शायद ही भुला पायेंगे जिसको प्रदेश की सरकार को 2023 में होने वाले विधानसभा के चुनावों में ही समझ में आयेगा। 






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