गल्ला व्यापारी राकेश खीरखाने को चेक बाउंस के मामले में 32 लाख से भी अधिक अदा करने के साथ 1 वर्ष का काराबास - kolaras

कोलारस - कोलारस के गल्ला व्यापारी राकेश सिंघल खीरखाने जोकि राकेश कुमार हेमंत कुमार के नाम से कोलारस अनाज मंडी में गल्ले का व्यापार करते थे उनके द्वारा कई वर्ष पूर्व भाजपा जिला अध्यक्ष किसान मोर्चा गुरूप्रीत सिंह चीमा के फार्म हाउस पर जाकर 24,50000/-रू. का चना उधार चेक देकर खरीदा जिसका भुगतान न होने पर कृषक गुरूप्रीत सिंह चीमा द्वारा जबकि चेक को बैंक में लगाया तो चेक बाउंस होने पर कृषक ने व्यापारी राकेश खीरखाने से चेक की राशि मांगी तो उनके द्वारा फर्म फैल बताकर राशि देने से मना कर दिया जिसके बाद भाजपा नेता गुरूप्रीत सिंह द्वारा उक्त चेक कोलारस न्यायालय में अभिभाषक मनीष दरबारी के द्वारा धारा 138 के तहत लगाया गया जिस पर न्यायालय ने 11 फरवरी को दिये अपने निर्णय में गल्ला व्यापारी राकेश सिंघल को चेक की राशि 24,50000/-रू. के साथ 1 वर्ष का काराबास के साथ-साथ उक्त राशि पर 9 प्रतिशत ब्याज की राशि 8,08,500/-रू. को जोड़कर कुल 32,58,500/-रू. देने का निर्णय दिया गया ब्याज की राशि दे देने पर 3 माह का अतिरिक्त काराबास एवं अन्य कागजी खर्च की राशि 20 हजार रू. न देने पर 15 दिवस का अतिरिक्त काराबास देने का निर्णय न्यायालय द्वारा 11 फरवरी को दिया गया। 

न्यायालय द्वारा दिये गये निर्णय का विवरण इस प्रकार है - अभियुक्त के अधिवक्ता के तर्कों पर विचार किया गया। प्रकरण में अभियुक्त के विरूद्ध धारा 138 पराक्रम्य लिखत अधिनियम 1881 का अपराध प्रमाणित है, अभियुक्त एक वयस्क प्रज्ञावान व्यक्ति है प्रकरण की समस्त परिस्थितियों एवं अपराध की प्रकृति को देखते हुए अभियुक्त राकेश कुमार सिंघल को एक वर्ष के सश्रम कारावास से दंडित किया जाता है अभियुक्त द्वारा प्रदत्त चैक की राशि एवं दिनांक तथा अवधि को दृष्टिगत् रखते हुये आलोक में प्रश्नगत् चैक प्र0पी-1 की राशि 24,50,000/-रूपये तथा उस पर प्रदत्त चैक दिनांक-14.05.2018 से निर्णय दिनांक तक 9 प्रतिशत वार्षिक दर से साधारण ब्याज 8,08,500/-रूपये जोड़ते हुए, परिवादी को धारा-357 (3) दप्रसं राशि दिलाई जाना न्यायसंगत प्रतीत होने से अभियुक्त को आदेशित किया जाता है कि धारा-357 (3) दप्रसं के अंतर्गत प्रतिकर राशि 32,58,500/-रूपये बत्तीस लाख अट्ठावन हजार पांच सौ रूपये अदा करे। चूंकि न्यायदृष्टांत में प्रतिपादित विधिक सिद्धातं के अनुसार प्रतिकर सदंाय के व्यतिक्रम पर भी दडं अधिरोपित करने की शक्ति न्यायालय को है अतः आदेश दिया जाता है कि उक्त प्रतिकर राशि संदाय करने के व्यतिक्रम की दशा में अभियुक्त को तीन माह का सश्रम कारावास पृथक से भुगताया जावे परिवादी द्वारा किये गये व्यय आदि हेतु अभियुक्त द्वारा दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 359 के प्रावधानों के आलोक में प्रकरण के संचालन में उपगत व्यय मुख्य रूप से अभिभाषक शुल्क, तलवाने, साक्षी व्यय के आलोक में 20,000/रूपये (बीस हजार रूपये) की राशि परिव्यय स्वरूप परिवादी को अदा की जायेगी। उक्त परिव्यय राशि संदाय करने के व्यतिक्रम की दशा में अभियुक्त राकेश को पंद्रह दिवस का साधारण कारावास पृथक से भुगताया जावे न्याय दृष्टांत में अभिनिर्धारित विधिक सिद्वांत अनुसार प्रतिकर राशि एवं परिव्यय राशि को तत्काल प्रदाय कराये जाने की अनिवार्यतः नहीं है और उसे युक्तियुक्त अवधि में संदाय कराया जा सकता है उक्त विधिक सिद्धांत को दृष्टिगत रखते हुए अभियुक्त को आदेशित किया जाता है कि उक्त प्रतिकर राशि अंतर्गत धारा-357 (3) दप्रस एवं परिव्यय राशि अंतर्गत धारा 359 दप्रस निर्णय दिनांक से एक माह के भीतर परिवादी को अदा कर देवे अन्यथा उपरोक्तानुसार प्रतिकर एवं परिव्यय संदाय के व्यतिक्रम में दिये गये कारावास प्रभावी हो जायेंगे।


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