कोलारस - कोलारस नगर में स्थित जिला सहकारी बैंक में हुए 80 करोड़ के गबन के मामले में हाईकोर्ट में दायर याचिका पर सुनवाई करते हुये मामले में बैंक के खाता धारकों के खाते से करोड़ों रुपयों का ट्रांजिक्शन किया गया उक्त मामले में जिला कलेक्टर ने उन सभी खाता धारकों को रिकवरी नोटिस भेज कर पैसे जमा करने की बात कही वहीं शुक्रवार को हुई सुनवाई में याचिकाकर्ता के वकील राघवेंद्र दीक्षित ने कलेक्टर की कार्यवाही पर सवाल खड़े किए तो वही सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने शिवपुरी कलेक्टर के द्वारा की गई सभी कार्यवाही और जारी किए गए नोटिस पर स्टे लगा दी तथा इसके साथ ही याचिका में उत्तरदायी बैंक के अधिकारियों, कलेक्टर सहित अन्य अधिकारियों को नोटिस भी जारी किए हैं।
बकील द्वारा दी गई जानकारी के अनुसारः- याचिकाकर्ता के वकील राघवेंद्र दीक्षित ने कहा कि एक माह पूर्व दायर याचिका कोलारस की जिला सहकारी बैंक में हुए 80 करोड़ के गबन में कलेक्टर की कार्यवाही के खिलाफ दायर की गई थी।
शिवपुरी कलेक्टर के नोटिस के खिलाफ दायर की गई थी याचिका
उक्त मामले में बैंक के कर्मचारी तथा कलेक्टर के पत्र के आधार पर सभी खाता धारकों से करोड़ों की वसूली का नोटिस जारी हुआ था साथ ही खाता धारको से यह भी स्पष्टीकरण मांगा गया कि आखिर उनके खिलाफ केस क्यों न दर्ज किया जाए इस पर जब खाता धारकों ने ट्रांजिक्शन के वाउचर मांगे तो वह उन्हें उपलब्ध नहीं करवाए गए कोर्ट ने कलेक्टर की कार्यवाही पर यह कहते हुए स्टे कर दिया कि कलेक्टर को बतौर जिला दंडाधिकारी इस मामले में कोई कार्यवाही करने का अधिकार नहीं है।
द्वारा बैंक की 80 करोड़ रुपए की राशि (ग्राहकों द्वारा जमा राशि) धोखाधड़ी कर कई खातों में डालकर निकाल ली गई। यह काम एक ही दिन में किया गया। यानि यहां पैसे डाले और दूसरी जगह निकाल लिए गए। इस गबन की जानकारी सहकारिता भोपाल के आयुक्त को मिली तो उन्होंने तत्काल 13 लोगों की कमेटी बना कर मामले की जांच करवाई। जांच के बाद दल ने अपनी रिपोर्ट पेश की जिसमें बैक कर्मियों के खिलाफ एफआइआर की अनुशंसा की। इस मामले में बैंक के अधिकारियों ने जिला कलेक्टर को पत्र लिखकर खाता धारकों के खिलाफ भी कार्यवाही की मांग की, जिसके चलते कलेक्टर ने सभी 24 खाता धारकों को नोटिस जारी कर दिया।
आखिर कैसे पता नहीं चला खाता धारकों को:-
जिन खातों में इस रकम को डालकर निकाला गया है उन पर न तो कोई एसएमएस अलर्ट था, न कोई एटीएम कार्ड न ही कोई अन्य ऐसी सुविधा जिससे ट्रांजिक्शन की कोई भी जानकारी मिल सके इसके चलते कब खाते में पैसे डाले गए और कब निकल गए किसी खाता धारक को पता ही नहीं चला।
वही खाता धारकों का कहना है कि हमने कोई वाउचर नहीं भरा -
हमने कोई वाउचर नहीं भरा जब इस मामले में खाताधारकों से पूछताछ की गई तो उन्होंने बताया कि हमने न किसी तरह की रकम को जमा करने के लिए वाउचर भरा है और नहीं किसी निकासी के लिए जब आयुक्त द्वारा बनाई कमेटी ने मामले की जांच की तो पता चला कि किसी खाताधारक ने कोई वाउचर नहीं भरा था।