मध्यप्रदेश भी इसके प्रभाव से अछूता नही है।
भाजपा के गिरते ग्राफ को देखकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने जनआशीर्वाद यात्रा निकालकर भाजपा के पक्ष में माहौल तैयार किया था।
ये कांग्रेस के नेताओं के लिए भी परेसानी वाला साबित हो रहा है।
खासकर समान्य बर्ग के नेता जो दोनों पार्टियों में आराम से स्वर्ण बर्ग के नाम से नेतागीरी कर रहे थे उनकी हालात काफी पतली है।ऐसा कहा जाता रहा है कि स्वर्ण समुदाय कभी एक नही होता किन्तु इस मामले ने उसे एक कर दिया है। जो सबको भारी पड़ रहा है।
बड़े बडे शहरो में जो विरोध होना था वह छोटे छोटे ग्रामों में हो रहा है स्वर्ण नेताओं को सरहदों में घुसने नही दिया जा रहा। राजा महाराजा और मुख्यमंत्री के वाहनों को काले झंडे दिखाए जा रहे है और पत्थर वाजी भी हो रही है। इस प्रकार इस कानून के विरोध में जनमानस आक्रोशित है।
इस स्तिथि में मध्यप्रदेश में उक्त कानून ने सम्पूर्ण राजनीतिक वातावरण को बदलकर रख दिया है । राजनीतिक विद्द्वान, विचारक, चिंतक भी अब चुनावी परिणाम को नए सिरे से मंथन करने पर विवश हो गए है।
जहाँ आगामी समय मे इस कानून के चलते स्वर्ण वर्ग और अधिक ताकत से विरोध करेगा बही स्वर्ण नेताओं की चुप्पी उनको इस माहौल में उनके राजनैतिक जीवन का अंत करने वाला तक साबित होगा।
काफी समय से स्वर्ण वर्ग के नाम पर राजनीति करने वाले नेता यदि और अधिक चुप रहते है तो उनको आगमी चुनाव में बड़ी हार का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए।
आगमी समय मे समाजवाद एक गंभीर समस्या के रूप में पनपने की पूरी संभावना है । इस घटनाक्रम से पूरा राजनैतिक वातावरण बिगड़ गया है भाजपा और कांग्रेस के प्रति जनता आक्रोशित है बसपा के प्रति भी नरम रुख नही है और बसपा से स्वर्ण समाज के नेता को टिकिट मिलना माने उसकी तो हार तय ही समझी जाए।बही इस समय सपा को मध्य्प्रदेश में खासा विकसित होने का बातावरण तैयार हो गया है।
इस समय बिना किसी मांग के उच्चतम न्यायालय से भी बाहर जाकर कार्यपालिका ने जो जोखिम भरा काम किया है वह प्रजातंत्र, समाज,जनमानस और स्वर्ण समाज के अस्तित्व के लिए घातक हो गया है।इसके वाद पूरी राजनीति में हर दिन नए नए वदलाव देखने को मिलेंगे।देश कर साथ साथ मध्यप्रदेश में आइस्थि ता का वह माहौल पैदा हो गया है जो आगमी समय मे नया इतिहास लिखने वाला होगा।
कोलारस- जनआशीर्वाद यात्रा के परिणाम को किया धूमिल चुनाव के दौरान प्रचार करने वाले नेताओं को करना पड़ेगा भारी विरोध का सामना इसी के चलते दिग्विजयसिंह को सत्ता से उतारा जनता ने , आगे भी तख्त पलट की बन सकती है स्तिथि। दिशा बदले तो दशा बदले/विवेक व्यास चुनाव से पहले sc।st का गुब्बारा फोड़कर भाजपा ने पूरे देश मे चुनावी वातावरण को एक ही झटके में वदल दिया है।
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