जिले की पांचो विधानसभा क्षेत्रो में मतदान के बाद की तस्वीर
हरीश भार्गव - शीलकुमार यादव- मतदान समाप्त होने के साथ ही किस विधानसभा सीट पर किसने क्या किया और क्या नही किया मतदान के बाद एक - एक कर तस्वीर निकल कर सामने आना प्रारंभ हो गई है। चुकि मतगणना में अभी 10 दिन का समय शेष बचा है इस बीच जीत - हार को लेकर कयासो यानि चर्चाओ का बाजार जारी रहेगा जिसमें किसने क्या किया इसके बारे में प्रत्याशियो के अलावा अन्य कार्यकर्ताओ की जुवान से सच उगलवाने का प्रयास हमारे द्वारा किया जायेगा। चुकि मतगणना से पूर्व कोई भी किसी भी प्रत्याशी की जीत या हार का दावा करता है तो वह मनगणन्त होगा क्योकि कई बार आंकलन के अनुसार परिणाम नही आते जिसका जीता जाता उदाहरण शिवपुरी में नगर पालिका चुनाव के दौरान सवने देखा कि एक निर्दलीय उम्मीदवार ने सभी को आंकलन के बाद परिणाम आने पर चौका दिया।
शिवपुरी विधानसभा - मतदान समाप्त हो चुका है नामांकन फार्म भरने के बाद से मतदान की समाप्ति तक सभी लोग भाजपा प्रत्याशी की जीत तय मानकर चल रहे थे किन्तु मतदान के बाद शिवपुरी की जनता से लेकर विशेषज्ञ भी मौन साधे हुये है उसके पीछे सबसे बडा कारण यह है कि शिवपुरी विधानसभा में बसपा द्वारा अल्प संख्यक समाज का जो प्रत्याशी उतारा था वह अल्प संख्यक समाज का वोट अपने पक्ष में पूर्ण रूप से परिवर्तन करने में सफल होते हुये दिखाई नही दियें जिसके कारण शिवपुरी विधानसभा में कमजोर माने जाने बाली कांग्रेस मजबूती के साथ खडी दिखाई दे रही है। भाजपा के लिए बसपा प्रत्याशी के द्वारा अपनी ही समाज का वोट स्वयं के पक्ष में एकत्रित न करना भाजपा के लिए परिणाम आने तक टेंशन पैदा अवश्य कर रहा है।
कोलारस विधानसभा - कोलारस विधानसभा क्षेत्र से भाजपा ने सर्वे के आधार पर जीतने बाले प्रत्याशी के रूप में वीरेन्द्र रघुवंशी को चुनाव मैदान में उतारा किन्तु उनके लिए सबसे बडी चुनौती उन्ही के दल के लोगो ने कांग्रेस के पक्ष में पैसा बांट कर उनके लिए जीत की राह को कडा बना दिया है। जिले की पांचो विधानसभा क्षेत्रो में हम भाजपा की बात करें तो कोलारस विधानसभा शायद पहली विधानसभा होगी जहां भाजपा के करीब 75 प्रतिशत से भी अधिक कार्यकर्ता भाजपा प्रत्याशी के विरोध में कार्य करते हुये दिखाई दिये कुल मिला कर भाजपा प्रत्याशी रघुवशी को भाजपा के ही लोगो ने अभिमन्यु की तरह अंत तक घेरे रखा इसके अलावा बसपा प्रत्याशी को अनुमान के हिसाव से कम मत मिलते हुये दिखाई दे रहे है इन्ही कारणो से भाजपा को 2-2 जगहो से चुनौतियो का सामना करना पडा है। इसके बाद भी वीरेन्द्र रघुवंशी समर्थक ही नही बल्कि कांग्रेस के कुछ लोग अभी भी वीरेन्द्र रघुवंशी को जीत की लाईन में सबसे आगे बता रहे है।
पिछोर विधानसभा - पिछोर विधानसभा क्षेत्र लोधी वाहुल्य विधानसभा मानी जाती है। इस विधानसभा क्षेत्र से लगातार तीन बार से भाजपा लोधी प्रत्याशी को चुनाव मैदान में उतार रही है। इन सबके बाबजूद भी भाजपा पिछोर विधानसभा जीतने में सफल नही हो पा रही है। उसके कई कारण है इस बार सम्पन्न हुये विधानसभा के चुनाव में भाजपा ने प्रीतम सिंह लोधी को चुनाव मैदान में उतारा किन्तु कोलारस की तरह यहां भी भाजपा के कई जयचंदो ने भाजपा प्रत्याशी के विरोध में कार्य किया इसके अलावा कोलारस की तरह पिछोर में भी बसपा के उम्मीदवार लालाराम यादव को उम्मीद के हिसाव से कम मिलते मतो के कारण कांग्रेस को मजबूती तथा भाजपा को चुनौती का सामना करना पडा है। इन सबके बाद भी भाजपा प्रत्याशी प्रीतम सिंह लोधी के समर्थक उनकी जीत का पूरा - पूरा दावा कर रहे है।
पोहरी विधानसभा - पोहरी विधानसभा क्षेत्र से दो बार के लगातार विधायक का चुनाव जीतने बाले प्रहलाद भारती जो कि मुख्यमंत्री के सजातिय भाई भी है। भाजपा ने इन्हे चुनाव मैदान में उतारा इस बार भी भाजपा भारती को जीत की रेस में मजबूत मान कर चल रही थी किन्तु कांग्रेस ने भारती को मुकावला देने के लिए धाकड समाज का उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतार दिया। जिसके कारण धाकड समाज का वोट विभाजित होता हुआ दिखाई दिया। इसके अलावा दोनो ही दलो से ब्राहा्रण टिकिट की मांग कर रहे थे किन्तु दोनो ही दलो ने ब्राहा्रण उम्म्ीदवारो को नकार दिया जिसके चलते ब्राहा्रण समाज का अधिकांश वोट आका्रेश के रूप में बसपा उम्मीदवार कैलाश कुशवाह के पक्ष में जाता हुआ दिखाई दिया। जिसके चलते पोहरी में मुकावाल त्रिकोणीय हो गया कुल मिला कर भाजपा प्रत्याशी प्रहलाद भारती के लिए सबसे बडी चुनौती कांग्रेस से धाकड उम्मीदवार उतारने की रही इसके अलावा ब्राहा्रणो का आक्रोश भी भाजपा के लिए मुसीवत के रूप में दिखाई दिया।
करैरा विधानसभा - करैरा विधानसभा की हम बात करें तो यहां के भाजपा के कार्यकर्ताओ से लेकर क्षेत्र की मांग पूर्व विधायक रमेश खटीक के रूप में थी किन्तु भाजपा संगठन ने लगातार दो बार उनका टिकिट काट दिया जिससे नाराज होकर रमेश खटीक सपाक्स से चुनाव मैदान में उतर गये जिसका खामियाजा रमेश खटीक को भुगतना पडे या नही किन्तु भाजपा प्रत्याशी राजकुमार खटीक पर इसका असर सबसे ज्यादा दिखाई दे रहा है। क्यो कि रमेश खटीक स्थानीय निवासी होने के कारण भाजपा एवं एससी वर्ग का काफी वोट अपने पक्ष में करते हुये दिखाई दिये। जिसके चलते करैरा में भाजपा को उन्ही के दल के पूर्व विधायक रमेश खटीक के रूप में सबसे पडी चुनौती दिखाई दी जिसका लाभ कांग्रेस प्रत्याश्ी जसवंत जाटव को सबसे ज्यादा मिलता हुआ दिखाई दिया करैरा में रमेश खटीक के रूप में भाजपा को मिली चुनौती के कारण यहां मुकावला त्रिकोणीय दिखाई दे रहा है।
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