हरीश भार्गव- शीलकुमार यादव - गुना लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने बाले शिवपुरी जिले में शिवपुरी, कोलारस, पिछोर विधानसभा शामिल है इन तीनो विधानसभा क्षेत्रो की हम बात करें तो प्रदेश से लेकर देश में किसी भी दल की सरकार क्यो न बनी हो विकास तो दूर की बात है लोग मूलभूत समस्याओ से ही जूझ रहे है। चुनाव आते रहेगे जाते रहेगे किन्तु लोगो की मूलभूत समस्याओ का हल किसी दल या नेता के पास हो तो वह लोगो की मूलभूत समस्याओ पर ध्यान अवश्य दे। जहां एक ओर शिवपुरी में गर्मी आते ही पीने के पानी के लिए लोग तेल की खाली कटटियां लेकर रोड पर दौडते हुये नजर आयेगे वहीं कोलारस की हम बात करें तो मालवा क्षेत्र से जुडा होने तथा फसल विक्री के मामले में कोलारस अब्बल होनेे के बाद भी कृषि से जुडे उद्योग धंधे कोलारस बदरवास में स्थापित न होने के कारण सैंकडो लोग बेरोजगारी के चलते दूसरे क्षेत्रो में मजदूरी करने तथा आत्म हत्या जैसे कदम उठाने को मजबूर है। इसी प्रकार हम गुना लोकसभा क्षेत्र की ही पिछोर विधानसभा की बात करें तो एक नेता पर खदान चलाने का आरोप लगा कर पत्थर की खदाने बंद कर दी गई। तथा खदानो से पलने बाले हजारो लोग बेरोजगार हो गये। विकास की बात करने बाले नेताओ को चुनाव में वोट मांगने से पूर्व यह सोचना चाहिये की हम लोगो को रोजगार, मूलभूत समस्याऐं उपलब्ध नही करा पा रहे है फिर भला विकास के नाम पर वोट मांगना कहां तक न्यायोचित है।
शिवपुरी जिला मुख्यालय में पीने के पानी को तरशते लोग
शिवपुरी कहने को जिला मुख्यालय है यह गुना लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत शामिल है यहां विकास की बात करने बाले लोगो को जरा जनता के बीच पहुंच कर यहां के लोगो की समस्याओ को समझने की आवश्यकता है। तब उन्हे पता चलेगा कि शिवपुरी विकास तो दूर की बात है मूलभूत समस्याओ से ही यहां की जनता जूझ रही है। शिवुपरी विधानसभा क्षेत्र में मूलभूत समस्याओ पर हम नजर डाले तो वर्षा ऋतु के समाप्त होते ही दीपावली बाद शिवपुरी में पीने के पानी की समस्या पैदा हो जाती है। कई चुनावो से सिंध से पानी लाने की नेता घोषणाये करते आ रहे है किन्तु शिवपुरी को अब तक न तो सिंध का पानी मिला और न ही सीवर लाईन से लेकर सडको की समस्याओ से निजात जब लोगो के पास पीने का पानी ही नही होगा तो भला ऐसे शहर में लोग कैम्पर अथवा पानी के टेंकर से जीवन यापन कब तक नेताओ के आश्वासन के सहारे करेगे। पानी के साथ साथ शिवपुरी शहर में रोडो की हालत गांवो की प्रधानमंत्री सडक से भी बुरी है प्रधान मंत्री सडक के सहारे लोग छोटी कारो से गांव तो पहुंच जायेगे किन्तु शिवपुरी शहर में खस्ताहाल सडको तथा जाम के चलते अपनी मंजिल तक पहुंच पायेगे इसकी कोई गारंटी नही है। बदरवास से लेकर सतनबाडा तक कुछ जगह छोड कर शेष जगह पर फोर लाईन बन चुकी है जिसके चलते दुर्घटनाओ का ग्राफ गुना ग्वालियर एवं झांसी कोटा फोरलाईन पर कई गुना बड गया है। दुर्घटना में घायल लोगो को जब उपचार के लिए डॉक्टर शिवपुरी रैफर करते है तो यहां सुविधायें न होने तथा मैडिकल कॉलेज का काम चालू होने के कारण घायल मरीजो को सीधा ग्वालियर के लिए अपने हाल पर मरने के लिए रैफर कर दिया जाता है। यह हाल जिला मुख्यालय शिवपुरी का है।
कोलारस विधानसभा में बेरोजगारी के चलते पलायन करने को मजबूर युवा
कोलारस विधानसभा जिला मुख्यालय शिवपुरी के समीप होने के कारण कोलारस में व्यापार व्यवसाय का कारोबार लगभग ठप्प स्थिति में है। कोलारस में अनाज की खरीद सर्वाधिक होती है किन्तु उद्योग धंधे न होने के कारण कोलारस एवं बदरवास में बेरोजगार युवा भटकते हुये अथवा नशे की गिरफ्त में फस कर अपना जीवन बर्बाद करते हुये दिखाई दे जायेगे। कोलारस विधानसभा क्षेत्र में युवाओ के सामने बेरोजगारी एक सबसे बडी समस्या है। इतना ही नही पर्याटन के क्षेत्र में पारागढ किला, खोकई मठ रन्नौद जैसे स्थान विकास के अभाव में दम तोडने की स्थिति में बने हुये है। आवागमन की हम बात करें तो हाईवे बनने के बाद लग्जरी बसो की संख्या बडी किन्तु किराया अधिक तथा लुकवासा से ग्वालियर के बीच तीन टोल होने के कारण निजी एवं बसो में लगने बाला किराया आम आदमी की पहुंच से वाहर हो चुका है गुना से ग्वालियर के बीच डबल रेलवे लाईन न होने के कारण सुबह पैसिंजर ट्रेन निकलने के बाद दिन भर कोई टै्रन न होने के कारण यात्री बसो में चार गुना ट्रेन से अधिक किराया देकर यात्रा करने को मजबूर है। कुल मिला कर उद्योग धंधे, पत्थर, रेत खदानो की रॉयल्टी न होने के कारण वेरोजगारी एवं डबल रेलवे लाईन न होने के कारण बसो में लुटने को मजबूर कोलारस विधानसभा क्षेत्र की जनता और नेता चुनाव आने पर वोटो की फसल काटने को तैयार और क्षेत्र की जनता फसल की तरह अपना भविष्य कटवाने को मजबूर।
पत्थर खदाने बंद होने से पिछोर क्षेत्र में बडी बेरोजगारी समस्या
गुना लोकसभा क्षेत्र में शामिल पिछोर विधानसभा की हम बात करें तो यहां की जमीन उपजाऊ कम होने तथा उद्योग धंधे न होने के कारण अधिकांश लोगो का व्यापार व्यवसाय पत्थर की खदानो से चलता था किन्तु पूर्व में एक नेता विशेष द्वारा खदानो से लाभ लेने के चलते अनेक पत्थर खदानो को बंद कर दिया गया। जिसके चलते पिछोर ही नही बल्कि जिले में चलने बाला पत्थर का कारोबार एवं उससे चलने बाली फैक्ट्रीयां बंद होने से हजारो लोग बेरोजगार हो गये। जब सरकार के पास लोगो को रोजगार देने का बजट नही है फिर भला खदानो को बंद कर अवैध रूप से चंद लोगो से मिलकर खदाने चलाने का क्या लाभ यदि जिले में रॉयल्टी के साथ पत्थर, रेत, मिटटी एवं खनिज की अन्य खदाने रॉयल्टी देकर चालू कर दी जाये तो प्रशासन की अबैध बसूली बंद होने के साथ क्षेत्र के हजारो युवा जो कि उद्योग धंधो के अभाव में बेरोजगार घूम रहे है उन्हे रोजगार के अवसर प्राप्त हो सकेगे। चुनाव के समय वोट के रूप में लोगो की फसल यानि जीवन से खिलवाड कर वोट मांगने बाले सभी नेताओ को कम से कम लोगो की मूलभूत समस्याओ जिनमें आवागमन, पीने के पानी, रोजगार, पर्याटन जैसे मुददो पर ध्यान देने की आवश्यकता अवश्य है। क्षेत्र के जागरूक मतदाता हमारे द्वारा उठाई गई आवाज को वोट मांगने बाले नेताओ के सामने अवश्य रखे जिससे सभी का भला चुनावो के बाद होने की राह खुल सके।
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