कोलारस से दूरी,पोहरी से नजदीकी क्या सिंधिया का ग्वालियर जाना तय


हरीश भार्गव-शीलकुमार यादव कोलारस-गुना-शिवपुरी लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली कोलारस विधानसभा क्षेत्र की हम बात करें। तो लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली कोलारस विधानसभा क्षेत्र से पूर्व सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया का विशेष लगाब रहा है। कोलारस विधानसभा क्षेत्र के लोगो ने हमेंशा सिंधिया के आव्हान पर लोकसभा के चुनावों में जीत दिलाई है। इतना ही नहीं कोलारस के लोगों ने पूर्व में स्व. रामसिंह यादव को सिंधिया के आव्हान पर 25 हजार मतों से जीत दिलाई उसके बाद उप चुनाव में समूची प्रदेश सरकार से लेकर मुंख्यमंत्री तक की सभाओं के बाद कोलारस के लोगो ने सिंधिया के आव्हान पर कांग्रेस के उम्मीदवार महेन्द्र यादव को करीब 8 हजार मतों से जीत दिलाई। किन्तु पिछले वर्ष सम्पन्न हुये विधानसभा के चुनावों मेेंं भाजपा के विधायक को 720 मतों की जीत उसके बाद लोकसभा के चुनावों में कोलारस विधानसभा से 29 सौ के करीब मतों से कोलारस विधानसभा में पीछे रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया कोलारस विधानसभा के लोगो से इतने नाराज हो गये। कि लोकसभा चुनाव के परिणाम के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया कोलारस की जनता का आभार व्यक्त करना तक भूल गये। यदि गुना-शिवपुरी लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली 8 विधानसभाओं का रिकॉर्ड देखा जाये तो जिन 7 विधानसभाओं से सिंधिया पीछे रहे है। उन सभी विधानसभाओं में कोलारस की हार सबसे कम मतों की रही है। 8 विधानसभाओं में से केबल पिछोर को छोडकर शेष विधानसभाओं से सिंधिया चुनाव हारे किन्तु कोलारस क्षेत्र की जनता ने उनका साथ दिया और कोलारस से सबसे कम मतो से हार सिंधिया को मिली किन्तु लोकसभा चुनाव के परिणाम के बाद सिंधिया का कोलारस विधानसभा क्षेत्र के मतदाताओं का आभार व्यक्त करने के लिये समय न निकालना और ग्वालियर लोकसभा क्षेत्र की पोहरी विधानसभा में पहुंच कर लोगो के बीच यह बात कहना कि सिंधिया परिवार का पोहरी की जनता से चांद सितारों जैसा संबंध है। क्या यह सब कुछ समझदार लोगो के लिये सिंधिया का इशारा है। कि गुना-शिवपुरी लोकसभा से वाय-वाय और ग्वालियर लोकसभा से अगले चुनाव की तैयारी। 

ग्वालियर के कार्यक्रमों में शामिल होना तथा गुना से दूरी, संकेत ग्वालियर जाने के 

पूर्व सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया लोकसभा चुनाव के बाद गुना -शिवपुरी से लेकर अशोकनगर एवं शेष सभी आठ विधानसभाओं में लोकसभा के परिणाम आने के बाद आठ बार भी मतदाताओं का आभार व्यक्त करने गुना लोकसभा क्षेत्र में नहीं आये यदि आंकडें उठाकर देखा जाये तो इस लोकसभा के परिणाम से पूर्व जितने भी लोकसभा के चुनाव हुये सिंधिया परिवार या उनका उम्मीदवार इस लोकसभा क्षेत्र से चुनाव जीता है। यह पहला चुनाव रहा जिसमें मोदी हवा, कांग्रेस के यादव नेताओं की बगावत, कुटीरों के प्रभाव के चलते पहली बार गुना लोकसभा क्षेत्र से महल का उम्मीदवार चुनाव हारा वह भी सबा लाख के विशाल अंतर से लोकसभा चुनाव के परिणाम के बाद सिंधिया द्वारा भले ही इस लोकसभा क्षेत्र से दूरी बना ली हो किन्तु भविष्य में उनके परिवार अथवा उनका समर्थक चुनाव लडेगा तो सिंधिया को यहां वोट मांगने आना पडेगा। गुना लोकसभा क्षेत्र 8 विधानसभाओं में से केबल पिछोर से सिंधिया को जीत मिली तथा सबसे कम वोटों से कोलारस से हार उसके बाद भी इन विधानसभा क्षेत्रों में आभार व्यक्त के लिये समय न देना तथा ग्वालियर एवं उसके अंतर्गत आने वाली विधानसभाओं में सिंधिया परिवार का रिस्ता गिनाना स्पष्टï रूप से गुना से दूरी तथा ग्वालियर से लगाव का संकेत देते है। 

मोदी लहर, यादवी नेताओं की बगावत,कुटीरों के प्रभाव से मिली सिंधिया को हार

लोकसभा के चुनाव संपन्न हुये अभी एक वर्ष भी पूरा नहीं हुआ है। इस बीच पूर्व सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया की गुना लोकसभा से दूरी तथा ग्वालियर लोकसभा से नजदीकी यह संकेत देती है। कि अगला लोकसभा चुनाव सिंधिया ग्वालियर से लड सकते है। लोकसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद कई कांग्रेसी नेताओं को सिंधिया द्वारा फटकार लगाना तथा नेताओं से न मिलना, जनता के बीच हार का दर्द सिंधिया सभाओं के बीच वयां कर चुके है। किन्तु विधानसभा के चुनावों में बगावत करने वाले कांग्रेसियों पर कार्यवाही न करना तथा मोदी लहर से लेकर कांग्रेस के यादवी नेताओं की बगावत तथा आम लोगो को मिली कुटीरों ने गुना लोकसभा क्षेत्र में पहली बार सिंधिया परिवार को सबा लाख से चुनाव हराया है। अभी भी यदि बगावतियों पर कार्यवाही एवं जनता के बीच आभार का समय सिंधिया नहीं निकाल पाये तो भिंड,मुरैना की तरह गुना लोकसभा भी महल की पकड से दूर निकल जायेगा?

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