कोलारस-बदरवास-होली महोत्सव का प्रारम्भ भगवान श्री कृष्ण जी के बाल स्वरूप में ग्वलो एवं गोपीकाओं के बीच हजारों वर्ष पहले भगवान श्री कृष्ण जी द्वारा होली खेली गई थी। तब से वृज में होली महोत्सव प्रारम्भ हुआ था। वृज के प्रमुख स्थानों पर जहां भगवान श्री कृष्ण जी ने लीलायें की थी। उन स्थानों पर हजारों वर्ष से वृज में होली का महोत्सव प्रत्येक वर्ष होल काष्टïक से प्रारम्भ होकर भाई दौज तक यानि की 9 दिन तक वृज में अलग-अलग दिन अलग-अलग स्थानों पर होली महोत्सव मनाया जाता है। इस वर्ष होल काष्टïक 3 मार्च मंगलवार से प्रारम्भ होंगे। होल काष्टïक के साथ फाग महोत्सव प्रारम्भ हो जाता है। जोकि वृज में भाई दौज तक तथा देश के अन्य स्थानों पर होली महोत्सव मुख्य रूप से पणमा एवं पंचमी के दिन होली महोत्सव मनाया जाता है। देश के अधिकांश लोग पणमा से लेकर पंचमी तक होली महोत्सव मनाते है। जबकि वृज में होल काष्टïक से लेकर भाई दौज तक फाग महोत्सव मनाया जाता है। जो लोग वृज के 9 दिवसीय फाग महोत्सव में भाग लेना चाहते है। वह मंगलवार से लेकर 11 मार्च तक कभी भी वृज के फाग महोत्सव में शामिल हो सकते है। वृज के फाग महोत्सव में किस दिन कहां होली खेली जायेगी। उसका कार्यक्रम इस प्रकार है। बरसाना की लड्डू होली - 3 मार्च, बरसाना की ल_मार होली - 4 मार्च, नंदगाँव की ल_मार होली - 5 मार्च, श्री बाँके बिहारी (वृंदावन) होली - 6 मार्च, श्री कृष्ण जन्मभूमि (मथुरा) होली एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम - 6 मार्च, श्री द्वारिकाधीश (मथुरा) होली डोला - 9 मार्च , ग्राम फालैन का पंडा - 9 मार्च , श्री द्वारिकाधीश (मथुरा) टेसू फूल/गुलाल होली - 10 मार्च, दाऊजी का हुरँगा - 11 मार्च वृज के फाग महोत्सव में कोलारस एवं बदरवास से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों एवं जिले भर से हजारों लोग वृज में पहुंचते है।
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