बेईमान और नसेलची पटवारियों ने बिगाड़ा पूरा राजस्व विभाग

 बेईमान और नसेलची पटवारियों ने बिगाड़ा पूरा राजस्व विभाग

विवेक व्यास कोलारस - इंद्राज दुरुस्ती नियम में संसोधन आवश्यक, राजस्व की भूल का दंश क्यों भोगे आमजन। राजस्व रिकॉर्ड द्वारा सुधार की त्रुटि को कलेक्टर कार्यालय तक भेजना समय और धन की बर्बादी। बेईमान और नसेलची पटवारियों ने बिगाड़ा पूरा राजस्व विभाग। दिशा बदले तो दशा बदले भाजपा शासन काल मे जब राजस्व मंत्री उमा गुप्ता थे। तो उन्होंने इंद्राज दुरुस्ती सबंधित कुछ संसोधन अपने मंत्रालय के माध्य्म से किये थे। पूर्व में जो जमीन संबंधित गलतियां तहसील कार्यालय में सुधार दिए जाते थे वे अब यदि 5 साल से पूर्व के है तो नए नियम अनुसार जिला कलक्टर कार्यालय भेजे जाते है और यदि 5 साल तक के है तो एसडीएम कार्यालय में भेजें जाते है। हालांकि इस यात्रा के बाद सम्पूर्ण काम तहसील द्वारा ही किया जाना है। लेकिंन इस प्रकार अपने खसरा और नाम संबंधित सुधार जो पटवारियों की गलती का परिणाम है। उसमें किसानों को हद से ज्यादा समय और धन बर्बाद करना पड़ रहा है । जब पूरा राजस्व रिकॉर्ड ऑनलाइन किया जा रहा था बृषभ2012 में तब कई लालची और नसेलची पटवॉरियों ने मनगढ़ंत तरीके से किसानों के रिकॉर्ड की लीपापोती कर दी ,आज 11 साल बाद भी वही पटवॉरियों की गलती को किसान और आमजन भुगत रहा है। कई जमीनी मामले न्यायलय मैं विचारधीन है जिनकी पेसी अधिकारियों को करनी पड़ रही है। इस सुधार के पीछे भी विचारधारा ठीक थीं कि कोई भी रेकॉर्ड को आसानी से खुर्द बुर्द न कर दे लेकिन सोच सफल नहींहो स्की और शिवपुरी में बड़े बड़े घोटाले उजागर हुए। सबसे बड़ी बात ये हैं कि उक्त सुधार की समय सीमा भी नियत है किंतु कई ऐसे मामले है जो समय सीमा के कई महीने बीतने के बाद भी लटके है और कई मामले इस प्रकार के नियमों के कारण न्यायालय मैं है। कई किसान इस गलती की कारण अपनी जमीन बेच नही पा रहे है। कई लोग केसीसी से बंचित है।। कई मुआवजा भी खो बैठे है। कई जाति प्रमाणपत्र को भटक रहे है क्योंकि अनेक कार्यालय में जाति प्रमाणपत्र में पुराने जमीन के कागज मांगे जाते है। कुलमिलाकर अब जनप्रतिनिधियों को इस नियम में बदलाब की आवाज उठाना चाहिए।।तभी कुछ राहत सम्भव।


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