मध्यप्रदेश में ओबीसी आरक्षण: राज्य सरकार को चार माह का समय चाहिए, रिपोर्ट बनाकर बताएंगे क्यों जरूरी है 27 फीसद आरक्षण : भूपेन्द्र सिंह

ओबीसी वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण देने के लिए राज्य सरकार, केंद्र सरकार और ओबीसी समाज की ओर से सुप्रीम कोर्ट में तीन पुनर्विचार याचिकाएं लगाई गई हैं। आरक्षण के विषय पर तीन जनवरी को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होना है, किंतु ये पुनर्विचार याचकाएं इसलिए दायर की गई हैं ताकि मामले की जल्दी से सुनवाई हो सके। जितनी जल्दी सुनवाई होगी, उतनी ही जल्दी यह स्पष्ट हो जाएगा कि पंचायत चुनाव होंगे या नहीं। सुप्रीम कोर्ट इस बारे में राज्य निर्वाचन आयोग को जो निर्देश देगा, आयोग को उनका पालन करना होगा।'

ये बातें नगरीय विकास एवं आवास मंत्री श्री भूपेन्द्र सिंह ने पत्रकारों से चर्चा में कही। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश के पंचायत चुनाव में ओबीसी वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण मिले, इसलिए मध्यप्रदेश सरकार द्वारा लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। इसके लिए सरकार ने पंचायत चुनाव का ऑर्डिनेंस वापस लिया है। मध्यप्रदेश सरकार द्वारा इस विषय में सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की गई है। मध्यप्रदेश सरकार की तरफ से इस मामले में वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे पैरवी करेंगे।

दो और याचिकाएं लगाई गईं

भूपेंद्र सिंह ने बताया कि केंद्र सरकार ने भी सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर कर मध्यप्रदेश में ओबीसी वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण देने का आग्रह किया है। केंद्र की तरफ से आदरणीय तुषार मेहता इस मामले में पैरवी करेंगे। वहीं ओबीसी समाज की तरफ से भी सुप्रीम कोर्ट में ही पुनर्विचार याचिका दायर की गई है। वरिष्ठ वकील के. विश्वनाथन समाज की ओर से पक्ष रखेंगे। इस तरह से तीन पुनर्विचार याचिका दायर कर सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया गया है कि याचिकाओं पर शीघ्र सुनवाई कर ओबीसी वर्ग को न्याय दिया जाए।

सरकार मांग रही चार माह का समय

मंत्री ने बताया कि मध्यप्रदेश सरकार ने अपनी याचिका में कहा है कि हमें चार माह का समय दिया जाए। इस अवधि में राज्य का पिछड़ा वर्ग आयोग राज्य में ओबीसी वर्ग की सामाजिक, राजनीतिक तथा आर्थिक स्थिति की रिपोर्ट तैयार कर लेगा। इससे सारे तथ्य सामने आ जाएंगे कि किसलिए राज्य में ओबीसी आबादी को 27 प्रतिशत आरक्षण दिया जाना जरूरी है।

कांग्रेस को भुगतना होंगे परिणाम

भूपेन्द्र सिंह ने कहा कि महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश को छोड़कर देश के सभी राज्यों में ओबीसी आरक्षण लागू है। हमारी सरकार ने मध्यप्रदेश में ओबीसी वर्ग को पंचायत चुनाव में आरक्षण देने के लिए आर्डिनेंस बनाया। इस आरक्षण के आधार पर ही चुनाव हो रहे थे। हमने वार्ड सहित सरपंच पद, जनपद और जिला पंचायत में ओबीसी वर्ग को आरक्षण दिया था। यदि कांग्रेस इस आरक्षण के खिलाफ हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट नहीं गई होती तो इस आरक्षण पर रोक नहीं लगती। कांग्रेस के पाप के कारण ही यह स्थिति बनी है, इसका परिणाम कांग्रेस को भुगतना होगा।

अवैध कॉलोनियां वैध होने से खत्म होंगी कई परेशानियां

भूपेन्द्र सिंह ने कहा कि मध्यप्रदेश सरकार ने कैबिनेट में विधेयक पारित किया था कि प्रदेश की वर्ष 2017 की स्थिति वाली करीब सात हजार अवैध कॉलोनियों को वैध किया जाएगा। यह निर्णय उन कॉलोनियों में रहने वालों को पानी, सड़क, स्ट्रीट लाइट और गार्डन जैसी सुविधाओं की कमी से परेशान होने से बचाने के लिए लिया गया। क्योंकि यह कॉलोनियां वैधानिक नहीं थीं, इसलिए वहां रहने वालों को मकान बनाने के लिए बैंक से लोन सहित प्रॉपर्टी की कीमत भी नहीं मिल पा रही थी। अब हमारी सरकार के इस निर्णय से ऐसी कॉलोनियों में रहने वालों को इन परेशानियों से मुक्ति मिल जाएगी। सरकार ने यह निर्णय भी लिया है कि ऐसी कॉलोनियों के विकास का खर्चा संबंधित कॉलोनाइजर से ही वसूला जाएगा। साथ ही हमारी सरकार ने अवैध कॉलोनियों के मामले में तीन से सात साल की सजा का प्रावधान भी किया है। 

एक अन्य महत्वपूर्ण फैसले के तहत उन अतिरिक्त निर्माण पर कम्पाउंडिंग दस प्रतिशत से बढ़ाकर तीस प्रतिशत की गई है, जो निर्माण सीमा के अंदर ही किए गए हैं। इससे भी लोगों को अनावश्यक नोटिसबाजी तथा परेशानियों का सामना नहीं करना होगा। ऐसे निर्माण वैध हो जाएंगे।

कांग्रेस को भविष्य का इशारा मिल गया

नगरीय विकास तथा आवास मंत्री भूपेन्द्र सिंह ने कांग्रेस के स्थापना दिवस पर पार्टी का ध्वज गिरने के सवाल पर कहा कि ईश्वर सहित प्रकृति और देश की जनता भी नहीं चाहती कि आप ध्वज फहराएं।कांग्रेस को जनता की इस भावना को भी समझना चाहिए। कांग्रेस लगातार गिर रही है और अब तो उसका झंडा भी गिर रहा है। इससे कांग्रेस को अपने भविष्य के बारे में समझ जाना चाहिए। कांग्रेस को अब महात्मा गाँधी के सपने के अनुरूप पार्टी को समाप्त कर इसके नेताओं को अपने-अपने काम धंधे को देखना चाहिए।


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