राजकुमार शर्मा/किरण कुमार शर्मा कोलारस - पंचायती राज व्यवस्था के अनुरूप सरकार का यह चुनाव निरस्त करना कतई ठीक नहीं हैं क्योंकि आदिवासी परिवार के लोग जो लगातार पांच साल से नागरिकों की सेवा कर रहे थे वह अब निर्विरोध चुनाव जीत गए थे ऐसे लोगों की उम्मीदों पर पानी फिर गया है क्योंकि आगे फिर एक बार आरक्षण के आधार पर उनके हक मिल पाएगा या फिर नहीं यह सबसे बड़ा सवाल हैं। ऐसे प्रत्याशियों का सरकार के प्रति इनका आक्रोष भी हैं।
बदरवास तहसील के अंतर्गत आने वाली रामगढ़ पंचायत जहां आदिवासी सरपंच निर्विरोध निर्वाचित हुई थी। वहां अमित यादव रामगढ़ का कहना था कि हमारे सरपंच एवं जनपद सदस्य के लिए दो-दो प्रत्याशी मैदान में थे, लेकिन सरकार ने एक दम यह निर्णय दिया हैं यह पहले से ही सोच समझ कर चुनाव का निर्णय लेना था लेकिन अब एकदम चुनाव निरस्त करना कतई ठीक नहीं हैं, क्योंकि गरीब लोग सरपंच एवं जनपद सदस्य का चुनाव लड़ते हैं। उनका पैसा तो लग ही गया। उन्हें धन की हानि भी हुई हैं। कई प्रत्याशी हमने निर्विरोध भी जीत चुके हैं। उनके मनसूवों पर भी पानी फिर गया ऐसी स्थिति में प्रत्याशियों का सरकार का निर्णय उनकी भावनाओं को ठेस पहुंचाना हैं। यह प्रक्रिया पहले ही करना थी या तो चुनाव नहीं कराना थे और कराए थे तो इन्हें पूरा करना था। धर्मवीर सिंह यादव का कहना था कि यदि चुनाव सरकार को निरस्त करना थे तो नामांकन भरते समय ही निरस्त करा देते तो पंचायतों के प्रत्याशियों पर इतना धन का नुकसान नहीं होता और उनके मन पर भी नहीं आती। ऐसी स्थिति में सरकार ने चुनाव आयोग मध्य प्रदेश में पंचायत चुनाव करवा रहा था उसे कैबिनेट ने उस प्रस्ताव को वापस ले लिया हैं। यह प्रक्रिया सरकार को पहले ही करना थी जिससे प्रथम चरण में होने वाली प्रत्याशियों पर अतिरिक्त धन खर्ची का लोड नहीं पड़ता।
निर्विरोध निर्वाचित प्रत्याशी एक बार फिर हुए सरकार के निर्णय से हताश: चैन सिंह यादव
हाल ही में निर्विरोध बदरवास जनपद सदस्य चैन सिंह यादव का कहना हैं कि इस प्रक्रिया सरकार ने सभी वर्गों की बुराई ले ली हैं। पर्चे छप गए और दीवाल लेखन भी हो गया इतना ही नहीं पंचायत चुनावों में स्थानीय स्तर के होने के कारण आपस में नागरिकों में मनमुटाव भी हो गया लेकिन इसके बाद भी अब प्रत्याशी एक बार फिर हताश हो गए हैं। सरकार को चुनाव का निर्णय पूर्व में ही लेना था, इस समय अलग-अलग तरह के निर्णय लेना निर्वाचन आयोग एवं सरकार ने सभी को ठेस पहुंचाई हैं यह गलत हैं। यह चुनाव कराना अब अनिर्र्वाय था।
जनभावनाओं को ध्यान में रखना था सरकार को: हरिशंकर धाकड़
जनभावनाओं के साथ सरकार ने खिलवाड़ किया हैं इस सिर्फ ओबीसी की बात नहीं सामान्य नागरिक भी इस सरकार के इस निर्णय से रूष्ठ हैं क्योंकि मतदाताओं में भी सकराकर का निर्णय आते ही मायूसी छा गई। क्योंकि 6 तारीख को तो मतदान ही होना था। जिला परिषद सदस्य प्रत्याशी हरिशंकर धाकड़ का कहना था कि हमने पिछले 15 दिनों से जनसंपर्क करके पूरे 15 ग्रांमों में संपर्क किया और माहौल तैयार कर लिया था, लेकिन सरकार ने हमारी जनभावनाओं को नहीं समझा हैं।